‘अनमेट नीड’ परिवार नियोजन में बाधक, सामूहिक सहभागिता से बदलेगी तस्वीर - अपर निदेशक



  • मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम कर सकता है परिवार नियोजन साधनों का सही समय पर प्रयोग
  • अपर निदेशक की अध्यक्षता में परिवार नियोजन कार्यक्रम की मण्डलीय समीक्षा बैठक का आयोजन

कानपुर नगर - दो बच्चों में अंतराल एवं शादी के बाद पहले बच्चे के जन्म में अंतराल रखने की सोच के बाद भी महिलाएं परिवार नियोजन साधनों का इस्तेमाल नहीं कर पाती है। इससे ही ‘अनमेट नीड’ (अपूर्ण जरूरत) में वृद्धि होती है। इसके पीछे आम लोगों में परिवार नियोजन साधनों के प्रति जागरूकता का आभाव प्रदर्शित होता है। इसके लिए जिला स्तर से लेकर सामुदायिक स्तर तक परिवार नियोजन साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है। इसके लिए सामूहिक सहभागिता की जरूरत है। इससे शीघ्र ही अनमेट नीड में कमी देखने को मिलेगी। यह बातें चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कानपुर मंडल के अपर निदेशक डॉ जीके माहेश्वरी ने कहीं । वह मंगलवार को जिला पुरुष अस्पताल, उर्सला में परिवार नियोजन कार्यक्रम की मंडलीय समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहे थे।

संयुक्त निदेशक डॉ रचना गुप्ता ने मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिये कि नसबंदी शिविरों को उचित योजना बनाकर आयोजित किया जाए। वही एसीएमओ को निर्देश दिये कि जनपद में गठित परिवार नियोजन क्वालिटी एश्योरेंस की टीम त्रिमासिक बैठक कर गैप को चिन्हित करे, और उचित योजना बनाकर कार्य करे। संयुक्त निदेशक डॉ जीके मिश्रा ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान ही दंपति को प्रसव पश्चात परिवार नियोजन के मनपसंद साधन के लिए प्रेरित किया जाए । दंपति को समझाया जाए कि ऐसा करने से मां और बच्चे दोनों सुपोषित रहते हैं और पहले बच्चे का सम्पूर्ण विकास हो पाता है । जिन दंपति को दूसरा बच्चा होने वाला हो, उन्हें पहले से ही स्थायी साधन नसबंदी या दीर्घकालीन गर्भनिरोधन के साधन पीपीआईयूसीडी या आईयूसीडी के लिए तैयार करें।

संयुक्त निदेशक डॉ विनीता राय ने बताया कि जब लाभार्थी अस्पताल में आएं तो उसी समय उन्हें परिवार नियोजन के साधनों की महत्ता और प्रसव एवं गर्भपात की स्थिति में इनके चुनाव की महत्ता से अवगत करा दिया जाना चाहिए । इस कार्य में परिवार नियोजन काउंसलर के अलावा विशेषज्ञ महिला चिकित्सक, नर्स मेंटर, लेबर रुम इंचार्ज व एएनएम की भूमिका अहम है ।

एनएचएम/सिफ़प्सा के मण्डलीय प्रबन्धक राजन प्रसाद ने कहा कि यदि समाज परिवार नियोजन के साधनों को सही समय पर अपनाता है तो मातृ मृत्यु दर में 30 प्रतिशत तक कमी लाई जा सकती है। परिवार नियोजन के साधनों का सही समय पर प्रयोग इनमें से 3000 महिलाओं व 22000 शिशुओं को बचा सकता है। इसी तरह परिवार नियोजन साधनों के सही समय प्रयोग से शिशु मृत्यु दर में भी 10 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है।

उत्तर प्रदेश टेक्नीकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) के राज्य प्रतिनिधि ने कहा की परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की सक्रिय भागीदारी इस वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है, क्योंकि पुरुष नसबंदी महिला नसबंदी की अपेक्षा बहुत ही सरल और आसान है। इसका कोई दुष्प्रभाव भी शरीर पर नहीं पड़ता है, इसलिए किसी भी भ्रम में पड़े बगैर पुरुष वर्ग आगे आये और परिवार पूर्ण होने पर नसबंदी की सेवा का लाभ उठाये। इस दौरान सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारीयों सहित नोडल अधिकारी, रीजनल मैनेजर सामुदायिक प्रक्रिया जयप्रकाश, मंडलीय एफपीएलएमआईएस प्रबंधक अर्जुन प्रजापति, सभी जिलों के डीएफपीएलआईएम, परिवार नियोजन विशेषज्ञ, डीपीएम , डीसीपीएम व अन्य लोग उपस्थित रहे।  

आइए जानें क्या है अनमेट नीड : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार कानपुर जिले में कुल 6.8 प्रतिशत अनमेट नीड है। आशय यह है कि जिले में 6.8  प्रतिशत महिलाएं बच्चों में अंतराल एवं परिवार सीमित करना चाहती हैं, लेकिन किसी कारणवश वह परिवार नियोजन साधनों का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है। वहीं, जिले में 2.3 प्रतिशत ऐसी महिलाएं भी हैं, जो बच्चों में अंतराल रखने के लिए इच्छुक है। लेकिन फिर भी किसी परिवार नियोजन साधन का प्रयोग नहीं कर रही हैं।

अनमेट नीड के कारण :

• परिवार नियोजन के प्रति पुरुषों की उदासीनता
• सटीक गर्भनिरोधक साधनों की जानकारी नहीं होना
• परिवार के सदस्यों या अन्य नजदीकी लोगों द्वारा गर्भनिरोधक का विरोध
• साधनों के साइड इफैक्ट को लेकर भ्रांतियाँ
• परिवार नियोजन के प्रति सामाजिक एवं पारिवारिक प्रथाएँ
• मांग के अनुरूप साधनों की आपूर्ति में कमी