- चल रहा पुरुष नसबंदी पखवारा
- पिछले साढ़े तीन सालों में मण्डल में कुल 1222 पुरुषों ने अपनाई नसबंदी
- लखनऊ में सबसे अधिक पुरुषों ने इस सेवा को अपनाया
लखनऊ। लखनऊ मण्डल में पिछले साढ़े तीन सालों में 1222 पुरुषों ने नसबंदी(एनएसवी) की सेवा अपनाई है जिसमें सर्वाधिक लखनऊ जनपद में 828 पुरुषों ने एनएसवी को अपनाया है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मण्डल प्रबंधक सतीश यादव बताते हैं कि भ्रांतियों के चलते पुरुष इस सेवा को अपनाने से हिचकते हैं। इसलिए समुदाय को एनएसवी के बारे में जागरूक करने और इस सेवा को प्रदान करने के लिए 21 नवंबर से चार दिसंबर तक एनएसवी पखवारा मनाया जा रहा है इस दौरान जहां न केवल समुदाय को जागरुक किया जाएगा बल्कि इसे अपनाने के लिए पुरुष लाभार्थियों को प्रेरित भी किया जाएगा। यह पखवारा दो चरणों में चलाया जा रहा है।
प्रथम चरण यानि मोबिलाइजेशन फेज 21 नवंबर से 27 नवंबर तकतथा द्वितीय चरण, सेवा प्रदायगी फेज 28 नवंबर से 4 दिसंबर तक चलेगा जिसमें पुरुषों की भागीदारी से संबंधित गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।
उन्होंने कहा कि पुरुष नसबंदी को लेकर लोगों में भ्रांतिया हैं कि इसको अपनाने से कमजोरी आ जाती है, कोई भारी वजन नहीं उठा पाएंगे, वैवाहिक जीवन पर असर पड़ेगा लेकिन इसमें कोई सच्चाई नहीं है | यह प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित है।
पुरुष नसबंदी, महिला नसबंदी की अपेक्षा ज्यादा आसान है। यह बिना चीरा टांका वाली एक आसान प्रक्रिया है और परिवार नियोजन का एक स्थाई उपाय है। इस प्रक्रिया में शुक्राणु नालिका बंद कर दी जाती है जिससे शुक्राणु वीर्य में नहीं मिल पाते और महिला को गर्भ नहीं ठहरता| इसे वह सभी पुरुष करवा सकते हैं जो 60 वर्ष से कम उम्र के हों और जिनका कम से कम एक बच्चा हो।
पुरुष नसबंदी की प्रक्रिया पूरी होने में केवल 10-15 मिनट का समय लगता है। इसमें ज्यादा से ज्यादा एक दिन के आराम की जरुरत होती है। नसबंदी के 99 फीसद मामले सफल होते हैं।
लाभार्थी को एनएसवी करवाने पर 3000 की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। नसबंदी विफल होने पर 60,000 की क्षतिपूर्ति राशि दी जाती है।
श्री यादव ने बताया कि जिन पुरुषों ने इस सेवा को अपनाया है और उन्हें अपना नाम सार्वजनिक करने में कोई झिझक नहीं है तथा वह समुदाय में एनएसवी को लेकर जागरूकता फैलाना चाहते हैं तो ऐसे पुरुषों को एनएसवी चॅम्पियन कहा जाएगा और एनएसवी पखवारे के दौरान अन्य लक्षित पुरुष लाभार्थियों को जागरूक करने में उनकी मदद ली जाएगी ।