विश्व एड्स दिवस पर विशेष : एचआईवी ग्रसित मां के आंचल में गूंजी स्वस्थ किलकारी



  • मां ने रखा पूरा ध्यान, बच्चे के जीवन में नहीं आया व्यवधान
  • संक्रमित मां से पैदा हुए बच्चों की विशेष निगरानी की जरूरत : डा. सुमन
केस – लखनऊ निवासी 25 वर्षीय गीता (बदला हुआ नाम) को जून 2021 में प्रसव पूर्व जांच के दौरान पता चला कि वह एचआईवी ग्रसित हैं। उन्हें किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) स्थित एंटी रेट्रो थेरेपी (एआरटी) प्लस सेंटर भेजा गया। जहां उनके पति की भी जांच हुई तो पता चला कि वह भी एचआईवी ग्रसित हैं। ऐसे में दोनों ही बहुत परेशान हुए कि अगर बच्चा होगा तो वह भी एचआईवी ग्रसित होगा, लेकिन यहाँ पर उनकी काउंसलिंग की गई और बताया कि एआरटी सेंटर की सलाह का पालन करने पर एचआईवी ग्रसित बच्चा होने की संभावना न के बराबर रह जाती है। जनवरी 2022 में समय से पहले बच्चे का जन्म हुआ। दंपति ने एआरटी सेंटर की सलाह का अक्षरशः पालन करते हुए उसकी देखभाल की और आज बच्चा पूर्णतया स्वस्थ है।

लखनऊ - केजीएमयू स्थित एआरटी प्लस  सेंटर की मेडिकल ऑफिसर डॉ. सुमन शुक्ला बताती हैं कि एचआईवी (ह्युमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस) एक ऐसा वायरस है जो कि मानव शरीर में पाया जाता है। एड्स एचआईवी की एक अवस्था है जो कि मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता को धीरे-धीरे कम करती है।

एआरटी प्लस सेंटर पर आने पर सबसे पहले गर्भवती की सभी जाँच की जाती हैं और उसका इलाज शुरू किया जाता है। वैसा ही  गीता के साथ भी किया गया। प्रसव के लिए गीता को क्वीन मेरी स्थित जच्चा बच्चा केंद्र भेजा गया। एचआईवी ग्रसित गर्भवती को प्रसव के लिए यहीं भेजा जाता है। प्रोटोकॉल के अनुसार जन्म के तुरंत बाद से लेकर तीन माह तक एचआईवी संक्रमण से बचाव की दवा बच्चे को दी गयी। अगस्त 2023 में 18 माह का होने पर एचआईवी की पुष्टि के लिए एलाइजा टेस्ट किया गया, जिसमें बच्चा निगेटिव आया बच्चा संक्रमण मुक्त है। प्रसव के तुरंत बाद नवजात को एक विशेष दवा (सिरप) दी जाती है। यह सिरप नवजात को 72 घंटे के भीतर देना जरूरी है। ऐसे बच्चों का ड्राई ब्लड स्पॉट टेस्ट ( डीबीएस) बच्चे के जन्म के 1.5 से 2 माह पर कराया जाता है। इसके अलावा छह माह, 12 माह और 18 माह पर एंटीबॉडी टेस्ट किये जाते हैं यह टेस्ट नेगेटिव आने पर बच्चे को संक्रमण मुक्त घोषित किया जाता है। यानि बच्चे को मां से संक्रमण नहीं मिला।

डा. सुमन बताती हैं कि यदि माँ का एचआईवी का इलाज चल रहा है और बच्चा ऊपर का दूध पी रहा है तो उसे डेढ़ माँह तक दिन में दो बार विशेष दवा दी जाती है। यदि बच्चा केवल माँ का दूध पी रहा है और उच्च खतरे में है व माँ का इलाज अभी शुरू नहीं हुआ है तब बच्चे को तीन माह तक यह विशेष दवा दिन में दो बार दी जाती है। डा. सुमन बताती है कि बच्चा समय से पहले हुआ था। दंपति घबराए भी लेकिन अस्पताल से घर जाने पर उन्होंने चिकित्सकों द्वारा बताई गई बातों को माना और उसी के अनुसार बच्चे की देखभाल की । जिसका परिणाम रहा कि बच्चा स्वस्थ है।

डा. नीतू बताती हैं कि एचआईवी संक्रमित मां को सलाह दी जाती है कि वह बच्चे को या तो केवल स्तनपान कराए या केवल ऊपर का दूध दें। बच्चे को मिक्स्ड फीडिंग नहीं करानी है यानि कि उसे स्तनपान और ऊपर का दूध जैसे  गाय या भैंस या डिब्बाबंद दूध एक साथ नहीं देना है। गीता ने बच्चे को केवल ऊपर का दूध दिया। दंपति का यहाँ से इलाज चल रहा है | एआरटी सेंटर पर हर माह कम से कम पाँच गर्भवती एचआईवी ग्रसित आती हैं।

एआरटी सेन्टर की स्वास्थ्य अधिकारी डा. नीतू गुप्ता  बताती हैं कि एआरटी प्लस सेंटर इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ पर एचआईवी के इलाज के लिए सेकंड लाइन की दवाएं भी दी जाती हैं | उन्होंने बताया कि एआरटी प्लस सेंटर में वर्तमान में  3620 एचआईवी के सक्रिय मरीजों का इलाज चल रहा है | इसके अलावा  केजीएमयू सहित अन्य अस्पताल के मेडिकल और पैरा  मेडिकल स्टाफ का यदि संक्रमित सुई या रक्त से एक्सपोजर होता है तो उसका भी इलाज किया जाता है | हालांकि अभी तक कोई भी स्टाफ पॉजिटिव नहीं हुआ है। जनपद में इस वित्तीय वर्ष में अब तक एआरटी प्लस सेंटर पर  37  गर्भवती का इलाज चल रहा है।

केजीएमयू की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डा. सुजाता देव बताती हैं कि हर गर्भवती की प्रसव पूर्व एचआईवी जांच जरूर की जाती है। बच्चे को एचआईवी संक्रमण माँ से या तो गर्भावस्था के दौरान या प्रसव के दौरान या स्तनपान के दौरान होता है। लगभग चार फीसद संक्रमण बच्चों में इस तरह से होता है। नवजात में संक्रमण होने के कारण होते हैं – माँ जल्द ही एचआईवी ग्रसित हुई हो या उसमें वायरल लोड ज्यादा हो या प्रसव के दौरान औजार का उपयोग या नवजात के मुंह में घाव या बच्चे को मिक्स्ड फीडिंग कराई गई हो।

बच्चे का टीकाकरण समय से कराएं। माँ से बच्चे में संक्रमण न हो इसके लिए गर्भवती को नियमित एचआईवी की जांच करानी चाहिए इससे वायरल लोड का पता चलता है | इसके अलावा अन्य जाँचें भी समय से और नियमित रूप से करनी चाहिए। एचआईवी ग्रसित गर्भवती को प्रसव संस्थागत ही करवाना चाहिए। गर्भवती को खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। एआरटी सेंटर पर नियमित रूप से पूरे जीवन नियमित जांच और इलाज कराना चाहिए।

एक दिसम्बर को मनाया जाता है विश्व एड्स दिवस : हर साल दिसम्बर की पहली तारीख (एक दिसंबर) विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को एचआईवी वायरस से फैलने वाली बीमारियों के बारे में जागरूक करना और एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) से पीड़ित व्यक्तियों को सहायता प्रदान करना है। इस वर्ष विश्व एड्स दिवस की थीम “एड्स से प्रभावित समुदायों को नेतृत्व करने देना” है।