- मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से विश्व एड्स दिवस पर निकाली गयी जनजागरूकता रैली
गोरखपुर - ह्यूमन इम्युनो डिफिशियंसी वायरस (एचआईवी) शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को धीरे धीरे कम करता है और समय से पहचान कर उपचार न शुरू करने से इस क्षमता को नष्ट भी कर देता है । सिर्फ मनुष्य में पाए जाने वाले इस वायरस का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण संक्रमित रक्त या असुरक्षित यौन सम्पर्क के जरिये ही हो सकता है। ऐसे मरीज के साथ रहने, खाने, सोने, हाथ मिलाने, चुम्बन करने या उसके इस्तेमाल किये गये बिस्तर व शौचालय का इस्तेमाल करने से संक्रमण नहीं होता है।
यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने दी । जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव राम कृपाल और सीएमओ ने विश्व एड्स दिवस पर सीएमओ कार्यालय परिसर से शुक्रवार को जनजागरूकता रैली को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया । रैली के जरिये लोगों को एचआईवी और एड्स के प्रति व्याप्त भ्रांतियों के बारे में जागरूक किया गया । यह रैली शास्त्री चौक, कलक्ट्रेट चौक, टाऊनहाल और घोस कंपनी होते हुए जिला क्षय रोग केंद्र पर आकर समाप्त हुई। जनजागरूकता के संदेशों वाली तख्तियों और नारों के जरिये राहगीरों को एचआईवी और एड्स के बारे में संदेश दिये गये । प्रदेश के विधिक सेवा प्राधिकरण और जनपद न्यायधीश के दिशा निर्देशन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने भी रैली के आयोजन में सक्रिय सहयोग किया ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि एचआईवी संक्रमण की आखिरी अवस्था को एक्वायर्ड इम्युनो डिफिशियंसी सिंड्रोम (एड्स) कहते हैं। यह ऐसी अवस्था है जिसमें एचआईवी के साथ साथ कई बीमारियों के लक्षण दिखने लगते हैं। इस अवस्था में मनुष्य बीमारियों से लड़ने की ताकत पूरी तरह से खो देता है। एड्स एक लाइलाज बीमारी है। पूर्ण और सही जानकारी ही इसका एक मात्र उपचार है। एचआईवी की समय से पहचान कर एंट्री रेट्रो वायरल ट्रीटमेंट (एआरटी) औषधियों का सेवन किया जाए तो मरीज अच्छा, लम्बा और स्वस्थ जीवन जी सकता है। यह औषधियां मेडिकल कॉलेज स्थित एआरटी सेंटर से सरकारी प्रावधानों के अनुसार उपलब्ध हैं। इस बीमारी से संबंधी अधिक जानकारी के लिए नाको के टोल फ्री नंबर 1097 से भी मदद ली जा सकती है। बीमारी की जांच की सुविधा मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, ब्लड बैंक और ब्लॉक स्तरीय अस्पतालों में उपलब्ध है। ब्लॉक स्तरीय 11 अस्पतालों पर एचआईवी जांच के अलावा परामर्श की भी सेवा दी जा रही है।
एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ गणेश यादव ने बताया कि एचआईवी जांच रिपोर्ट गोपनीय रखी जाती है। कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से यह जांच करवा सकता है। जांच के पहले और बाद में अनिवार्य तौर पर परामर्श दिया जाता है। इस वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए यौन संबंधों में संयम, जीवन साथी के प्रति वफादारी, कंडोम का इस्तेमाल, लक्षण दिखने पर जांच, सरकारी व अधिकृत ब्लड बैंक के एचआईवी मुक्त रक्त का इस्तेमाल, हमेशा नई सीरिंज का इस्तेमाल और प्रत्येक गर्भवती की एचआईवी जांच करवा करवाना जरूरी है।
रैली में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एके चौधरी, डॉ नंदलाल कुशवाहा, डिप्टी सीएमओ डॉ अनिल कुमार सिंह, उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, एआरओ एसएन शुक्ला, डीपीसी धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र, मिर्जा आफताब बेग समेत कई स्कूलों के विद्यार्थी, नर्सिंग स्टूडेंट और स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधिगण भी शामिल हुए।
5461 मरीजों की हो रही है देखभाल : नोडल अधिकारी ने बताया कि जिले में वर्तमान समय में 5461 एचआईवी मरीजों की सरकारी व्यवस्था के अन्तर्गत देखभाल की जा रही है। एचआईवी मरीज के टीबी होने की आशंका ज्यादा होती है, क्योकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम हो जाती है। अक्टूबर में 64 एचआईवी मरीजों की टीबी जांच की गयी जिनमें से पांच टीबी रोगी मिले। जिले में 61 एचआईवी मरीज ऐसे हैं जिन्हें टीबी का भी संक्रमण है । ऐसे लोगों में जटिलताओं की आशंका ज्यादा होती है। इसलिए प्रत्येक टीबी मरीज की एचआईवी और प्रत्येक एचआईवी मरीज की टीबी जांच जरूर कराई जाती है।
एड्स के लक्षण :
• वजन घटना
• एक महीने से अधिक बुखार आना
• एक महीने से अधिक दस्त
यह भी हैं सामान्य लक्षण : डॉ यादव ने बताया कि लगातार खांसी, चर्म रोग, मुंह एवं गले में छाले होना, लगातार सर्दी एवं जुकाम, लसिका ग्रंथियों में सूजन व गिल्टी होना, याददाश्त खोना, मानसिक क्षमता कम होना और शारीरिक शक्ति का कम होना एड्स के सामान्य लक्षणों में शामिल है ।
भेदभाव से डरते हैं मरीज : रैली में आई एचआईवी काउंसलर मनीषा का कहना है कि भेदभाव से एड्स के मरीज समाज में डर कर रहते हैं। रैली से ऐसे मरीजों के प्रति समानता के व्यवहार का भी संदेश दिया गया।