सीएचसी मोहनलालगंज में फाइलेरिया मरीजों को दी गई एमएमडीपी किट



  • फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल के बारे में भी दिया गया प्रशिक्षण

लखनऊ- राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तत्वावधान में और सहयोगी संस्था पाथ व सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) के सहयोग से  शुक्रवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र(सीएचसी) मोहनलालगंज में फाइलेरिया रोगियों को रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता उपचार (एमएमडीपी) किट का वितरण किया गया। किट में इसके साथ ही उन्हें फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल और व्यायाम की जानकारी भी दी गई।  किट में मग,टब, साबुन आदि चीजें थीं।

मोहनलालगंज ब्लॉक के बिंदौवा, टिकरा सानी, भसंडा और भदेसुवा गाँव के कुल 15 मरीजों को किट मिला। सीएचसी अधीक्षक डा. अशोक कुमार ने मरीजों से कहा कि जो एमएमडीपी किट मिली है उसका उपयोग फाइलेरिया प्रभावित अंगों की साफ सफाई में करें। जो भी बातें प्रशिक्षण में बताई गई उनका नियमित रूप से अभ्यास करें | तभी इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की सार्थकता होगी।

मलेरिया निरीक्षक अर्शिता सिंह ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर से होने वाली बीमारी है और यह लाइलाज है। इसके केवल प्रबंधन ही हो सकता है। इसलिए मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी या मच्छररोधी अगरबत्ती का प्रयोग करें व मच्छरजननित परिस्थितियाँ न उत्पन्न होने दें।

पाथ के प्रतिनिधि डा. अनंत ने   प्रभावित अंगों की देखभाल कैसे करना है इसके बारे में प्रदर्शन करके बताया। इसके साथ ही व्यायाम करके भी दिखाया। डा. अनंत ने कहा कि नियमित रूप से व्यायाम करने से फाइलेरिया प्रभावित अंगों की सूजन में कमी आती है। उन्होंने अंगों की साफ सफाई के बारे में बताया कि कभी भी साबुन को सीधे अंगों पर न लगाएं बल्कि साबुन का फेना बनाकर, फेने को अंग पर लगाएं और हल्के हाथ से साफ करें। इसके बाद पानी से धोएं और हल्के हाथों से तौलिए से पोंछें | यदि अंग पर घाव है तो अच्छे से पोंछने के बाद उस पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएं।

फाइलेरिया मरीज 36 वर्षीय श्रवण ने बताया कि वह 20 साल से फाइलेरिया से पीड़ित हैं और उनका बायां अंग इससे प्रभावित है। वह काफी परेशान थे उन्हें संस्था इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड डर्मेटोलॉजी(आईएडी) के बारे में जानकारी हुई और उन्होंने वहाँ  जाकर अपना इलाज कराया।  उससे उन्हें  बहुत  फायदा हुआ है। इसलिए अगर कोई इलाज कराना चाहता है तो इसका लाभ जरूर उठाएं। यह संस्था इंदिरा नगर में स्थित है।  यहाँ पर फाइलेरिया रोगियों का आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज किया जाता है।

इस मौके पर स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी शशिभूषण,  बीसीपीम आनंद, यूनिसेफ़ से राम बहादुर, सीफॉर से अमृता और विपिन तथा फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के 15 सदस्य मौजूद थे।