एसटीएस ने दो टीबी मरीजों को लिया गोद, उपचार चलने तक करेंगे सहयोग



  • मरीजों के घर जाकर दी गयी पोषण पोटली

गोरखपुर - बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के टीबी यूनिट में वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक (एसटीएस) अमित नारायण मिश्रा ने दो टीबी मरीजों को  गोद लिया है । गोद लिये गये दो वर्षीय बच्चे और 18 वर्षीय युवक को इलाज चलने तक उन्होंने सहयोग का संकल्प लिया है। उनका कहना है कि हाल ही में पब्लिक प्राइवेट मिक्स (पीपीएम) समन्वयक और एक चिकित्सक द्वारा तीन टीबी मरीजों को गोद लिये जाने की जानकारी होने पर प्रेरित होकर उन्होंने भी मरीजों को एडॉप्ट करने का निर्णय लिया । वह दोनों मरीजों के घर गये और उन्हें पोषण पोटली देने के साथ साथ पूरे परिवार को सरकारी अस्पताल से मिलने वाली टीबी की दवा की महत्ता की भी जानकारी दी ।

एसटीएस ने बताया कि उनके द्वारा एडॉप्ट किया गया दो वर्षीय बच्चा दिमाग की टीबी (एक्स्ट्रा पल्मनरी)  का मरीज है, जबकि 18 वर्षीय युवक भी फेफड़े में पानी भरने के कारण हुई टीबी (एक्स्ट्रा पल्मनरी) का मरीज है । वह दोनों मरीजों को प्रति माह पोषण पोटली देंगे और सुनिश्चित करेंगे कि वह एक भी दिन दवा लेना न भूलें। एक्स्ट्रा प्लमनरी टीबी के मरीज दूसरों को संक्रमित नहीं कर सकते हैं, लेकिन उनके इलाज के दौरान भी पोषक खाद्य पदार्थों का सेवन अति आवश्यक है। एक एसटीएस के तौर पर उनका अनुभव रहा है कि दवा छोड़ने वाले एक्स्ट्रा पल्मनरी टीबी मरीज भी ड्रग रेसिस्टेंट (डीआर) टीबी मरीज बन जाते हैं और उनका इलाज जटिल हो जाता है । इन टीबी मरीजों को एडॉप्ट कर उनका नियमित फॉलो करने से उनका मनोबल बढ़ जाता है और वह दवा भी लेना नहीं भूलते हैं। पोषण में भी सहयोग मिलने से मरीज को जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है । इसी उद्देश्य से उन्होंने दोनों मरीजों को एडॉप्ट किया है ।

गोद लिये गये 18 वर्षीय टीबी मरीज ने बताया कि नवम्बर 2023 से उनकी दवा चल रही है । वह फास्ट फूड का ठेला लगाते हैं । उनको अक्टूबर से ही खांसी की दिक्कत थी। साथ में चक्कर भी आता था। पहले उन्होंने प्राइवेट चिकित्सक को दिखाया जहां से उन्हें जांच और इलाज के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज भेजा गया । मेडिकल कॉलेज में ही दवा शुरू करने के साथ उनका सारा विवरण टीबी यूनिट पर दर्ज किया गया है। पासबुक की कॉपी और आधार कार्ड की कॉपी ले कर उन्हें बताया गया कि निक्षय पोषण योजना के तहत उनके खाते में 500 रुपये प्रति माह दिये जाएंगे। इन पैसों से फल, दाल, दूध, पनीर, मांस, मछली आदि का सेवन करना है ताकि इलाज के दौरान शरीर में पोषक तत्वों की कमी न होने पाए । उन्हें एसटीएस ने भी पोषण पोटली दी है जिसमें चला, फल, गूड़ और मूंगफली आदि चीजे हैं । साथ ही उन्हें बताया है कि हर महीने उन्हें यह पोषक सामग्री देंगे। दवा से उन्हें काफी आराम है और सहयोग से उनका मनोबल बढ़ा है। वह पहले की तरह अपना दुकान लगा कर सामान्य जीवन जी रहे हैं।

निक्षय मित्र बनने के लिए आगे आएं : जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश यादव ने कहा है कि लोग खुद टीबी मरीजों को गोद लेने के लिए आगे आ रहे हैं और यह एक अच्छी सोच है । जिले में 880 से अधिक निक्षय मित्रों द्वारा 2535 से अधिक टीबी मरीजों को गोद लेकर उनकी मदद की जा रही है । ऐसा करने वाले निक्षय मित्रों को समय समय पर सम्मानित भी किया जाता है। मरीजों को गोद लेने वाले लोग पौष्टिक सामग्री देने के साथ साथ उन्हें मानसिक संबल देते हैं। मरीजों को पात्रता के अनुसार सामाजिक सहायता योजनाओं से भी जोड़ने में मदद की जानी चाहिए। टीबी मरीजों को गोद लेने के इच्छुक लोग जिला क्षय रोग केंद्र के हेल्पलाइन नंबर 8299807923 पर सम्पर्क कर सकते हैं।