लखनऊ: राष्ट्रीय क्षय(टीबी)उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मनोज अग्रवाल के निर्देशन में काकोरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रहमानखेड़ा स्थित अति हिमीकृत वीर्य उत्पादन केंद्र में स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया गया ।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. डा.ए.के.सिंघल ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र काकोरी अधीक्षक डा. अवधेश कुमार के नेतृत्व में टीबी यूनिट मलिहाबाद और काकोरी द्वारा रहमानखेड़ा स्थित अति हिमीकृत वीर्य उत्पादन केंद्र के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की टीबी के लिए स्क्रीनिंग की गई।
उन्होंने बताया कि यह गतिविधि साल 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के क्रम में की गई।
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि केंद्र में लगभग सौ अधिकारियों एवं कर्मचारियों के बलगम के नमूने एकत्र किए गए। संग्रहित बलगम के नमूनों की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र काकोरी पर जांच की जाएगी तथा टीबी की पुष्टि होने पर उपचार प्रारम्भ किया जाएगा।
स्वास्थ्य शिविर में टीबी यूनिट काकोरी के वरिष्ठ टीबी प्रयोगशाला पर्यवेक्षक विजय कुमार मौर्य ने उपस्थित लोगों को बताया कि टीबी लाइलाज नहीं है।
चिकित्सक की सलाह के अनुसार नियमित दवा और पौष्टिक भोजन का सेवन करना बहुत जरूरी है।
नियमित दवा का सेवन न करने से मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट(एमडीआर) टीबी होने की संभावना होती है जिसका इलाज लंबा चलता है।
सरकार द्वारा टीबी मरीजों को पोषण के इलाज के दौरान हर माह 500 रुपये की राशि खाते में भेजी जाती है।
सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी की जांच और इलाज दोनों ही उपलब्ध हैं।
उन्होंने टीबी के लक्षणों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि किसी दो हफ्ते से ज्यादा खांसी आना, शाम के समय बुखार आना, रात में पसीना आना, वजन कम होना और भूख न लगना आदि टीबी के लक्षण हैं।
किस व्यक्ति में अगर यह लक्षण दिखें तो इसे नजरअंदाज नहीं करें और जांच के लिए पास के स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं।
इस मौके पर टीबी हेल्थ विजिटर सुधीर कुमार अवस्थी, जीत प्रोजेक्ट के एलटीबी आई अमर सिंह, टीबी यूनिट मलिहाबाद के वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक मनीष सिंह, अति हिमीकृत वीर्य उत्पादन केंद्र संयुक्त निदेशक डा. हौसला प्रसाद, उप निदेशक डा. अनवर आलम, डा. दीप्ति वर्मा, डा सर्वेंद्र गुप्ता, डा.सी. पी. सिंह,पशु चिकित्सा अधिकारी आदि उपस्थित रहे।