डॉ. सूर्यकान्त यूपी आईएमए के स्टेट ओरेशन से सम्मानित



लखनऊ । किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष प्रो. सूर्यकान्त को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, यूपी ने ’’डॉ. आईडीपीएल आईएमए यूपी ओरेशन अवार्ड’’ से सम्मानित किया है। आयोजन समिति ने यह पुरस्कार उन्हें रेस्परेटरी चिकित्सा और राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए प्रदान किया है। डॉ. सूर्यकान्त का यह 17वॉ ओरेशन अवार्ड है, इससे पहले भी कई ओरेशन एवार्ड लंग कैंसर, सांस रोग, टीबी रोग, एलर्जी, अस्थमा आदि के क्षेत्र में प्राप्त हो चुके हैं।

ज्ञात हो कि डॉ. सूर्यकान्त ने उप्र स्टेट टास्क फोर्स का कार्यभार वर्ष 2013 में ग्रहण किया। उस समय टीबी परफॉरमेन्स के इंडिकेटर्स में उत्तर प्रदेश नॉर्थ जोन टास्क फोर्स के सभी राज्यों में नीचे पायदान पर था। डॉ. सूर्यकान्त की कड़ी मेहनत व कार्यकुशलता से दो वर्ष के अन्तराल में सन् 2015 में नार्थ जोन के सभी स्टेट में उप्र का स्थान सर्वप्रथम हो गया। उनके प्रयास से तत्कालीन समस्त 30 मेडिकल कालेजों में नेशनल टीबी कंट्रोल प्रोग्राम की गतिविधियां सक्रिय रूप से शुरू हुईं और उसके पश्चात एडवोकेसी, अवेयरनेस, पेसेन्ट केयर, ट्रेनिंग, रिसर्च का कार्य तेजी से उप्र में बढ़ा। डॉ. सूर्यकान्त दस वर्ष (जून 2013 से जून 2023) उप्र स्टेट टास्क फोर्स के चेयरमेन रहे और इस दौरान उन्होंने उप्र में मेडिकल कालेजों के राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम की गतिविधियां सक्रिय रूप से सम्पन्न हुईं। इसके फलस्वरूप उप्र में अब सभी 67 मेडिकल कॉलेज (36 गर्वेंमेन्ट सेक्टर के और 31 प्राइवेट सेक्टर) में नेशनल टीबी एलिमिनेशन प्रोग्राम की गतिविधियां सुचारू रूप से चल रही हैं।

डॉ. सूर्यकान्त को ’’डॉक्टर ऑफ साइंस (डी.एस.सी.)’’ की (मानद उपाधि) से भी सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. सूर्यकान्त केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग में लगभग 18 वर्ष से प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं एवं 12 वर्ष से विभागाध्यक्ष के पद पर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इसके अलावा चिकित्सा विज्ञान सम्बंधित विषयों पर 21 किताबें भी लिख चुके हैं तथा एलर्जी, अस्थमा, टी.बी. एवं लंग कैंसर के क्षेत्र में उनके अब तक लगभग 800 से अधिक शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अर्न्तराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं। दो अंतर्राष्ट्रीय पेटेन्ट का भी उनके नाम श्रेय जाता है। लगभग 200 एमडी/पीएचडी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन, 50 से अधिक परियोजनाओं का निर्देशन, 17 ओरेशन एवार्ड का भी श्रेय उनके नाम ही जाता है, तथा इससे पहले भी अमेरिकन कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन, इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन, इण्डियन चेस्ट सोसाइटी, नेशनल कालेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन आदि संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 22 फैलोशिप सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है तथा ब्रोन्कियल अस्थमा के क्षेत्र में बेस्ट इनोवेशन (एल.एस. लोवेशके पुरस्कार 2006) भी शामिल है। उन्हें उप्र सरकार द्वारा विज्ञान गौरव अवार्ड (विज्ञान के क्षेत्र में उप्र का सर्वोच्च पुरस्कार) और केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा एवं उप्र हिन्दी संस्थान से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें अब तक अन्तरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा लगभग 196 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।