आदर्श परिवार की पहचान बने ‘विश्वनाथ और सुषमा’



  • नसबंदी अपनाकर खुशहाल जिंदगी जी रहे यशोदा नगर के विश्वनाथ पाठक
  • पुरुष नसबंदी अपनाने में ब्लॉक बिधनू जनपद में शीर्ष पर

कानपुर नगर - जनपद के यशोदानगर निवासी विश्वनाथ पाठक पेशे से मजदूर हैं । दो बच्चों के पिता विश्वनाथ ने जब अपने परिवार को सीमित रखने का फैसला लिया तो उसके साथ एक और फैसला लिया कि वह न सिर्फ़ परिवार को सीमित रखेंगे बल्कि इसको सीमित रखने के लिए खुद मुख्य भूमिका निभाएंगे। विश्वनाथ ने गत एक सप्ताह पहले ही नसबंदी कराई है।

विश्वनाथ ने बताया कि उनकी शादी वर्ष 2008 में हुई थी। शादी के बाद एक बेटा और एक बेटी का जन्म हुआ। उसके बाद अभी साल भर पहले उनकी पत्नी फिर से गर्भवती हो गई  लेकिन स्वास्थ्य कारणों के चलते गर्भपात हो गया। तभी विश्वनाथ ने अपने क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता से बात की। आशा कार्यकर्ता ने पुरुष और महिला नसबंदी दोनों के विषय में जानकारी दी पर उन्होंने पुरुष नसबंदी के फायदे गिनाये और उन्हें नसबंदी के लिए प्रोत्साहित किया। विश्वनाथ ने बताया  “यह निर्णय लेने से पहले मैंने अपनी पत्नी सुषमा और अपने संयुक्त परिवार में चर्चा की और सभी की सहमति से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिधनू में जाकर नसबंदी करवा ली। नसबंदी को एक सप्ताह से ऊपर हो गया है और मुझे किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं है।” उनका कहना है कि इस दौर में दो बच्चों की परवरिश अच्छे से हो जाए, और पत्नी का स्वास्थ्य ठीक बना रहे, यह ज्यादा जरूरी है। विश्वनाथ ने बताया नसबंदी में लगभग पांच मिनट लगे थे और घर आने के बाद उसी दिन मजदूरी करने चले गये और उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई | वह कहते हैं पत्नी की नसबंदी होती तो टांका कटने और सामान्य कार्य करने में एक सप्ताह से अधिक समय लग जाता।

कोई गलत असर नहीं पड़ता : अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (परिवार कल्याण) डॉ. रमित रस्तोगी का कहना है कि कुछ लोगों को भ्रांति है कि पुरुष नसबंदी से यौन इच्छा एवं क्षमता पर असर पड़ता है। यह भ्रांति निराधार है। ऐसा कुछ भी नहीं है। पुरुष नसबंदी में केवल शुक्राणु वाहक नलिका को बांध दिया जाता है। यौन इच्छा एवं क्षमता पहले की ही तरह बनी रहती है।

नसबंदी की योग्यता : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिधनू की सर्जन डॉ मिनी अवस्थी ने बताया कि पुरुष नसबंदी के लिए चार योग्यताएं प्रमुख हैं। पुरुष विवाहित होना चाहिए, उसकी आयु 60 वर्ष या उससे कम हो और दंपती के पास कम से कम एक बच्चा हो, जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो। पति या पत्नी में से किसी एक की ही नसबंदी होती है। उन्होंने यह भी बताया कि पुरुष नसबंदी कराने वाले लाभार्थियों को 3000 रुपये उनके बैंक खाते में भेजे जाते हैं। पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरक एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 400 रुपये दिए जाते हैं। पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरित करने वाले गैर सरकारी व्यक्ति को भी 400 रुपये देने का प्रावधान है।

चंद मिनट में होती है पुरुष नसबंदी, 99.5 फीसदी है प्रभावी : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) बिधनू के चिकित्सा अधीक्षक डॉ नीरज सचान बताते हैं कि बिना चीरा और टांका (एनएसवी) के पुरुष नसबंदी महज एक छोटी सी शल्य क्रिया होती है। परिवार नियोजन के स्थायी साधन पुरुष नसबंदी का विकल्प सुरक्षित भी है और असरदार भी। चंद मिनट में होने वाली पुरुष नसबंदी की सफलता भी 99.5 फीसदी है। उन्होंने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में अब तक सीएचसी बिधनू में कुल 15 पुरुष नसबंदी के लिए आगे आये हैं। इन सभी को प्रेरित करने में उनके क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता सहित परिवार कल्याण सलाहकार अंजलि यादव का मुख्य योगदान है।

जनपद में अब तक हुई कुल 79 नसबंदी : स्वास्थ्य विभाग से मिले आकड़ों के अनुसार कानपुर जनपद में अप्रैल 2023 से 15 जनवरी 2024 तक कुल 77 पुरुष नसबंदी हुई हैं। सबसे अधिक पुरुष नसबंदी ब्लॉक बिधनू में हुईं हैं। इसी के साथ मंडल में भी जनपद का प्रथम स्थान है।