प्रदेश के 08 जनपदों में स्थापित होगा कम्प्रेस्ड बायोगैस संयंत्र- मुख्यमंत्री



  • प्रधानमंत्री की ‘वेस्ट-टू-वेल्थ’ परिकल्पना को साकार करने के क्रम में  जनपद बदायूं में कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट का लोकार्पण

लखनऊ । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘वेस्ट-टू-वेल्थ’ परिकल्पना को साकार करने के क्रम में आज जनपद बदायूं में एच0पी0सी0एल0 के कम्प्रेस्ड बायोगैस (सी0बी0जी0) प्लांट का लोकार्पण तथा प्रदेश के आठ जनपदों में स्थापित होने वाले कम्प्रेस्ड बायोगैस के नए संयंत्रों का शिलान्यास होने जा रहा है। यह संयंत्र इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लि0, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि0 तथा भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि0 आदि कम्पनियों के माध्यम से स्थापित किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री आज यहां अपने सरकारी आवास पर आयोजित प्रेसवार्ता को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नवम्बर प्रारम्भ होते ही एन0सी0आर0 में होने वाली स्मॉग की समस्या का समाधान करने, किसानों को पराली का अतिरिक्त दाम मिल सके तथा वेस्ट किसानों की समृद्धि का कारक बन सके इस दृष्टि से यह कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट न केवल पर्यावरण की दृष्टि से उपयोगी होंगे, बल्कि किसानों की आमदनी में वृद्धि, रोजगार सृजन तथा निवेश के नए क्षेत्र का सृजन करने में सक्षम होंगे।

केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रभु श्री रामलला के स्वयं की जन्म भूमि पर लौटने की खुशियां केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मनाई जा रही हैं। इस कार्य की प्रशंसा दुनिया भर में हो रही है। वर्तमान में अयोध्या नगरी में प्रतिदिन लगभग 05 लाख श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं, कनेक्टिविटी बढ़ने के साथ-साथ आने वाले समय में 05 लाख से अधिक श्रद्धालु प्रभु श्री रामलला का दर्शन करेंगे। यह संख्या अंतरराष्ट्रीय धार्मिक एवं पर्यटन केंद्रों पर पहुंचने वाले लोगों की संख्या के बराबर या उससे अधिक होगी। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में भेजा गया। पहले उत्तर प्रदेश को बीमारू राज्य कहा जाता था। विगत साढ़े छः वर्षों में प्रदेश में विकास के उल्लेखनीय कार्य किए गए हैं। प्रदेश सड़क, मेट्रो, सिविल एविएशन, एयरपोर्ट्स जैसे अनेक विकास कार्यों का साक्षी बना है। उत्तर प्रदेश में दुनिया भर के निवेशक निवेश करना चाहते हैं। भारत के अन्य राज्यों के निवेशकों द्वारा भी प्रदेश में निवेश किया जा रहा है।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आज जनपद बदायूं में लोकार्पित होने वाला कम्प्रेस्ड बायोगैस संयंत्र 50 एकड़ भूमि में विस्तारित है। सी0बी0जी0 संयंत्र की लागत 133 करोड़ रुपये है। यह संयंत्र प्रतिदिन 100 मीट्रिक टन कृषि अवशेष अर्थात चावल की पराली का उपयोग करके, 14 मीट्रिक टन कम्प्रेस्ड बायोगैस तथा 65 मीट्रिक टन ठोस जैविक खाद का उत्पादन करेगा। इसके अतिरिक्त आज प्रदेश के आठ जनपदों में स्थापित होने वाले नए सी0बी0जी0 संयंत्रों का शिलान्यास किया जाएगा। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 37 सी0बी0जी0 संयंत्रों के लिए भूमि चिन्हित की जा चुकी है। प्रदेश में आने वाले समय में ऐसे 100 संयंत्र ऑयल मार्केटिंग कंपनियों द्वारा स्थापित किए जाएंगे। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 से पूर्व देश में एथेनॉल या बायोफ्यूल ब्लेन्डिग के क्षेत्र में अधिक सफलता प्राप्त नहीं हुई थी। पिछली सरकारों द्वारा वर्ष 2004 से वर्ष 2014 के बीच 10 राज्योंध्केंद्र शासित प्रदेशों में पांच प्रतिशत ब्लेन्डिग करने का निर्णय लिया गया था। वर्ष 2014 तक इथेनॉल और बायोफ्यूल में ब्लेन्डिग लेवल केवल 1.4 प्रतिशत रहा। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री जी द्वारा नवम्बर 2022 तक 10 प्रतिशत ब्लेन्डिग करने का निर्णय लिया गया। यह लक्ष्य 05 माह पूर्व ही प्राप्त कर लिया गया। 20 प्रतिशत ब्लेन्डिग के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निर्धारित समयावधि वर्ष 2030 से कम कर वर्ष 2025 कर दी गई। वर्तमान में 12 प्रतिशत से अधिक बायोफ्यूल ब्लेन्डिग की जा रही है। देश में स्थापित हो रहे बायोफ्यूल प्लांट्स में पराली, गन्ना तथा मक्का आदि का प्रयोग किया जाएगा। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की विकास दर से तीन गुना अधिक तेजी से बढ़ रही है। देश में प्रतिदिन 05 मिलियन बैरल कच्चे तेल का प्रयोग किया जाता है। प्रतिदिन लगभग 06 करोड़ लोग पेट्रोल पम्प पर ईंधन के लिए जाते हैं। इसलिए बायोफ्यूल्स और कम्प्रेस्ड बायोगैस को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। देश में एथेनॉल, बायोफ्यूल्स के क्षेत्र में अच्छा काम हुआ है। कम्प्रेस्ड बायोगैस के क्षेत्र में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। केन्द्रीय पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव  पंकज जैन ने बताया कि उत्तर प्रदेश ने कम्प्रेस्ड बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इसके दूरगामी प्रभाव देखने को मिलेंगे। इस हेतु प्रदेश की जैव ईंधन नीति के अन्तर्गत 20 करोड़ रुपये तक के अनुदान की व्यवस्था की गई है। प्रदेश में संयंत्र लगाने के लिए भूमि का लीज रेंट बहुत कम है। विद्युत में भी छूट प्रदान की गई है। बायोमास एग्रीगेशन मशीनों के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अलग से अनुदान की व्यवस्था की गई है। प्रदेश में कम्प्रेस्ड बायोगैस के लिए अनेक सम्भावनाएं हैं। प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान किया जा रहे सहयोग के साथ-साथ यहां पराली, म्युनिसिपल सॉलि़ड वेस्ट आदि आवश्यक संसाधन पर्याप्त मात्रा में है।

केन्द्र सरकार के सचिव ने कहा कि भारत सरकार द्वारा कम्प्रेस्ड बायोगैस संयंत्र लगाने के लिए अनेक सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। यूनिट स्थापित करने पर उत्पाद की बिक्री के लिए एक ब्लेन्डिग ऑब्लीगेशन तय की गई है। इसके अन्तर्गत सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सी0जी0डी0), सी0एन0जी0 आदि स्टेशनों को गैस सप्लाई करने के साथ-साथ कम्प्रेस्ड बायोगैस खरीदनी होगी तथा इसका मिश्रण करना होगा। जब प्लांट लगाया जाता है, तो भारत सरकार की ओर से एक कैपिटल सब्सिडी दी जाती है। इसके अन्तर्गत 10 करोड़ रुपये तक का एक मुश्त अनुदान दिया जाता है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ऐसे प्रोजेक्ट को लगाने हेतु लिए जाने वाले लोन को प्राथमिकता क्षेत्र का लोन माना जाता है। बायोमास एग्रीगेशन मशीनरी सर्पोट स्कीम के अन्तर्गत मशीनों को खरीदने के लिए भारत सरकार की ओर से सहायता प्रदान करने के लिए घोषणा की जा चुकी है। योजना की गाइड लाइन बहुत शीघ्र जारी की जाएगी।