एल्बेंडाजोल के सेवन से कृमि संक्रमण से बचाव संभव - सीएमओ



  • नहीं खा पाएं कृमि मुक्ति की दवा तो पांच फरवरी को माप अप राउंड में खा लें
  • सीएमओ ने नन्हे अहान को पेट के कीड़े निकालने की दवा एल्बेंडाजोल खिलाकर किया शुभारम्भ
  • कुपोषण और एनीमिया से बचाव के लिए कृमि मुक्ति की दवा का सेवन अनिवार्य

कानपुर नगर - जिले में गुरुवार को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने एक बच्चे अहान को कृमि मुक्ति की दवा एल्बेंडाजोल खिलाकर अभियान का शुभारंभ किया। यह दवा एक वर्ष से 19 वर्ष की उम्र तक के सभी बच्चों, किशोरों-किशोरियों को खिलाई गई। शहर के कृष्णापुरम क्षेत्र के सेंट मैरीज ऑर्थोडॉक्स स्कूल मिनी लैप में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन की मौजूदगी में अभियान का शुभारंभ हुआ।

सीएमओ ने बताया कि जिले में 20.24 लाख बच्चों और किशोर-किशोरियों को कृमि मुक्ति की दवा यानि पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि किसी कारण बृहस्पतिवार को जो बच्चे दवा नहीं खा पाए हैं उनको पांच फरवरी को चलने वाले मॉप अप राउंड में दवा खिलाई जाएगी। उन्होंने अभिभावकों से अपील की है कि वह अपने बच्चों को पेट के कीड़े निकालने की दवा अवश्य खिलाएं। इस दवा के सेवन से स्वास्थ्य और पोषण स्तर में सुधार के साथ साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी। समुदाय में कृमि संक्रमण की व्यापकता में कमी लाने में इस कार्यक्रम का अहम योगदान है। कृमि से बचाव की दवा बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए सुरक्षित है। दवा से किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।

कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों के माता पिता को सम्बोधित करते हुए नोडल अधिकारी व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुबोध प्रकाश ने बताया कि एक से 19 वर्ष तक की आयु के लक्षित बच्चों, किशोर-किशोरियों को कृमि संक्रमण से बचाने के लिए एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई गयी । उन्होंने कहा कि यदि दवा खाने के बाद किसी भी तरह उल्टी या मिचली महसूस होती है तो घबराने की जरूरत नहीं। पेट में कीड़े ज्यादा होने पर दवा खाने के बाद सरदर्द, उल्टी, मिचली, थकान होना या चक्कर आना महसूस होना एक सामान्य प्रक्रिया है। दवा खाने के थोड़ी देर बाद सब सही हो जाता है।

प्रधानाध्यापिका डॉ अनुपमा श्रीवास्तव ने बताया कि बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेंडाजोल खाने से यह कीड़े पेट से बाहर निकल जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी (एनीमिया) समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है।

कार्यक्रम का संचालन उप प्रधानध्यापिका ज़ेबा तनवीर ने किया। इस मौके पर फ़ादर रॉबिन्स डेनियल , ट्रस्टी सदस्य बीजू जॉन, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आरपी मिश्रा, डीसीपीएम योगेंद्र पाल, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के डीईआईसी मैनेजर अजीत सिंह, सहयोगी संस्था एविडेंस एक्शन के जिला समन्वयक अनुज द्विवेदी सहित यूपीएचसी हरजिंदर नगर और कृष्णा नगर का स्टाफ और स्कूल के शिक्षकगण मौजूद रहे।