बचाव का एकमात्र विकल्प फाइलेरियारोधी दवाओं का सेवन: डॉ. रितु



  • आईडीए अभियान को लेकर विद्यार्थियों को किया गया जागरूक

 लखनऊ। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में 10 से 28 फरवरी तक सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान चलाया जाएगा। इसी क्रम में शुक्रवार को लखनऊ विश्वविद्यालय स्थित समाज कार्य विभाग में विद्यार्थियों को आईडीए अभियान के बारे में जानकारी देने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस मौके पर जिला मलेरिया अधिकारी डाॅ. रितु श्रीवास्तव ने कहा कि फाइलेरिया का दूसरा नाम हाथी पांव है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। इससे बचाव का एकमात्र विकल्प फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन है। सर्वजन दवा सेवन अभियान के दौरान स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने ही फाइलेरिया रोधी दवाएं आइवरमेक्टिन, डाईइथाईल कार्बामजीन और एल्बेंडाजोल खिलाएंगे। आप सब दवाओं का सेवन जरूर करें। मैं भी पिछले पांच साल से इन दवाओं का सेवन कर रही हूं। इससे मुझे कोई समस्या नहीं हुई है। यह दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि दवा खाने के बाद जी मितलाना उल्टी जैसे समस्याएं होती है तो इसका मतलब है कि शरीर में फाइलेरिया के परीजीवी थे और उनके मरने के परिणामस्वरूप यह प्रतिक्रियाएं होती हैं। यह अपने आप ठीक हो जाती हैं यदि कोई समस्या है तो स्वास्थ्यकर्मी या रैपिड रिस्पॉन्स टीम से संपर्क करना चाहिए।

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरियारोधी दवा का सेवन  एक वर्ष के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। आइवरमेक्टिन ऊंचाई के अनुसार खिलाई जाएगी। एल्बेंडाजोल को चबाकर ही खानी है। एक से दो वर्ष की आयु के  बच्चों  को एल्बेंडाजोल की आधी गोली खिलाई जाएगी। डाईइथाइल कार्बामाजिन (डीईसी) की गोली उम्र के हिसाब से खिलाई जाएगी। दो साल से कम उम्र के बच्चों को यह गोली नहीं दी जाएगी। दो से पांच साल तक की उम्र के बच्चों को एक गोली, पांच से दस साल तक को दो गोली, 10-15 साल के लोगों को तीन और 15 साल से अधिक के लोगों को चार गोली खिलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया बीमारी का असर स्वास्थ्य पर तो पड़ता ही है इसके अलावा रोजी रोटी और सामाजिक जीवन पर भी पड़ता है। यह  आनुवंशिक रोग नहीं है बल्कि मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। फाइलेरिया से संक्रमित एक व्यक्ति अन्य स्वस्थ लोगों में संक्रमण का कारण बन सकता है। इस मौके पर प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) के प्रतिनिधि सहित शिक्षक और छात्र मौजूद रहे।