खान-पान और जीवन शैली में सुधार कर मोटापे को नियंत्रित किया जा सकता



  • विश्व मोटापा दिवस पर आयोजित हुई गोष्ठी 

लखनऊ । विश्व मोटापा दिवस के अवसर पर लखनऊ एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स और लखनऊ एडोलसेंट हेल्थ एकेडमी द्वारा सोमवार को शहर के होटल में गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का विषय था "चलो बच्चों और किशोरों पर मोटापे और इसके प्रभावों के बारे में बात करते हैं"। इस गोष्ठी के आयोजन का उद्देश्य बच्चों और किशोरों को  मोटापे की बढ़ती महामारी के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

इस मौके पर इंडियन एकेडमी ऑफ पीड़ियाट्रिक्स(आईएपी) की अध्यक्ष डा. पियाली भट्टाचार्य ने बताया कि आईआईएपी का संदेश है कि जीवन शैली में छोटे-छोटे बदलाव कर मोटापे के खिलाफ लड़ाई में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। लखनऊ एकडेमी ऑफ इंडियन पीडियाट्रिक्स की सदस्य डॉ. निर्मला जोशी ने बताया कि हाल के अध्ययनों के अनुसार भारत में बचपन के मोटापे की दर में वृद्धि देखी गई है। जिसे कि खान-पान और जीवन शैली में सुधार कर नियंत्रित किया जा सकता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार जनपद में पाँच साल तक के दो फीसद बच्चों का वजन उनकी लंबाई के अनुपात में अधिक है अर्थात वह मोटे हैं। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. उत्कर्ष बंसल ने बताया कि बढ़ते मोटापे का श्रेय बड़े पैमाने पर गतिहीन जीवन शैली और अस्वास्थ्यकर  आहार को दिया जाता है। लंबे समय तक बैठकर काम करना, काम के समय अनिश्चित होना और स्क्रीन टाइम अधिक होना भी मोटापे के कारण हैं।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विजया मोहन ने सुधार के लिए पूरे परिवार के भोजन और जीवन शैली की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मोटापा डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हृदय रोगों का भी कारण है,  जो बच्चे और किशोर मोटापे की समस्या से ग्रसित होते हैं उनमें आगे चलकर इन बीमारियों के होने की संभावना होती है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. लोकेश ने बताया आज के समय में लोग अपने भोजन में 11 फीसद तक जंक फूड  ले रहे हैं जिसमें नमक, चीनी और प्रोसेस्ड तेल की अत्यधिक मात्रा होती है। जिनकी मोटापा बढ़ाने में अहम भूमिका है। डॉ सलमान ने कहा कि मोटापे को दूर भगाने के लिए प्रतिदिन पाँच तरह के फल और सब्जी खाएं,  दो घंटे से अधिक स्क्रीन टाइम न हो | एक घंटे व्यायाम या शारीरिक गतिविधि हो और शर्करा युक्त पेय पदार्थों का सेवन बिलकुल न हो। डा. संजय निरंजन ने बताया कि क्लीनिक और संस्थानों में  स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने के महत्व के बारे में माता-पिता, बच्चों और किशोरों को जागरूक करा जायेगा। कार्यक्रम में डॉ शालिनी भसीन, डॉ एकांश, डॉ आशीष वर्मा, डॉ अमित रस्तोगी, डॉ अभिषेक बंसल और अन्य बाल रोग विशेषज्ञ शामिल थे।