धूम्रपान से गर्भावस्था पर पड़ता विपरीत प्रभाव, शिशु की हड्डियाँ कमजोर होने का खतरा



  • धूम्रपान निषेध दिवस (13 मार्च) पर विशेष

लखनऊ । बीड़ी, सिगरेट एवं हुक्का पीना आत्महत्या करना जैसा है। धूम्रपान व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही शारीरिक सेहत पर भी नकारात्मक असर डालता है। यदि गर्भवती धूम्रपान करती है तो महिला और गर्भस्थ दोनों के लिए यह हानिकारक है |

इस संबंध में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय कीवरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डा. सुजाता बताती हैं कि धू्म्रपान से शरीर में निकोटिन, कार्बन मोनोऑक्साइड और टार जैसे हानिकारक केमिकल्स प्रवेश कर जाते हैं जो शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचा कर शरीर को बीमार करने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को धू्म्रपान से दूर रहना चाहिए, क्योंकि धूम्रपान से गर्भवती और उसके गर्भस्थ शिशु की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। एक शोध के अनुसार गर्भवती महिलाएं अगर धूम्रपान करती हैं तो इसका खतरनाक असर उनके होने वाले बच्चों पर पड़ता है। शोध के मुताबिक, गर्भाशय के दौरान धूम्रपान करने से नवजात बच्चे में हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है। इस शोध के निष्कर्षों को 16 लाख शिशुओं के डाटा के आधार पर तय किया गया है। शोध के लिएगर्भावस्था  के दौरान जो महिलाएं धूम्रपान करती थी और जिन्होंने इस दौरान धूम्रपान नहीं किया उनके शिशुओं का ब्यौरा एकत्र किया गया। इसके बाद शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि गर्भ धारण करने के दौरान अगर कोई महिला सिगरेट पीती है तो उसके होने वाले बच्चे के हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए यह घातक होता है और शिशु में हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है।

क्या कहता है डब्ल्यूएचओ : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार धूम्रपान की लत से हर साल लगभग 80 लाख लोग मारे जा रहे हैं और इनमें से अधिकतर मौतें कम तथा मध्यम आय वाले देशों में हो रही हैं। डब्ल्यूएचओ ने पनामा में एक सम्मेलन में अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वर्ष 2030 में प्रति वर्ष धूम्रपान की वजह से मारे जाने लोगों की संख्या बढ़कर एक करोड़ के आसपास हो जाएगी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 92 देशों के 2.3 अरब लोगों को धूम्रपान पर किसी न किसी तरह लगाए गए प्रतिबंधों से लाभ हुआ है। मतलब साफ है कि आने वाले समय में इनमें से सबसे ज्यादा नुकसान भारत को ही होने जा रहा है।

डा. सुजाता बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने वाली महिला और गर्भ में पल रहे बच्चे को कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसकी वजह से गर्भपात का खतरा बना रहता है और समय से पहले बच्चे का जन्म भी हो सकता है। गर्भावस्था में धूम्रपान से गर्भपात का खतरा बना रहता है। इसकी वजह से महिला के गर्भवती होने के पहले तीन महीने के भीतर गर्भपात हो सकता है। कई बार गर्भवास्था के 20 सप्ताह के बाद भी गर्भपात हो सकता है। धूम्रपान के दौरान तंबाकू के धुएं में मौजूद हानिकारक केमिकल्स भ्रूण के विकास को रोकने और उसे नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं। गर्भावस्था में धूम्रपान करने से मां के शरीर में ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा नहीं पहुंचती है, जिससे शिशु को सांस संबंधी परेशानी हो सकती है, साथ ही उसके मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे भ्रूण को पोषक तत्व और ऑक्सीजन की सप्लाई करने का काम प्लेसेंटा करता है। इस दौरान धूम्रपान से महिलाओं में प्लेसेंटल दिक्कतें हो सकती हैं जिसकी वजह से गंभीर रूप से ब्लीडिंग हो सकती है और इसके कारण मां और बच्चे दोनों की जान को गंभीर खतरा रहता है। साथ ही जन्म के समय बच्चे का वजन कम हो सकता है। बच्चे को दिल की बीमारियों सहित सुनने और आंख से जुड़ी परेशानियां भी हो सकती हैं।

यह है कानून : हर वर्ष मार्च माह का दूसरा बुधवार धूम्रपान निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 1984 में हुई थी। सरकार ने इसकी आपदा से लोगों को बचाने के लिए तंबाकू नियंत्रण कानून कोटपा-2003 बनाया है। इसकी धारा 5 के अनुसार किसी भी तंबाकू उत्पाद का विज्ञापन या प्रायोजन, नाबालिगों द्वारा तंबाकू उत्पाद बेचना प्रतिबंधित है। शैक्षणिक संस्थानों के 300 फीट के दायरे में तंबाकू उत्पाद नहीं बेचे जा सकते। कानून की धारा 4 के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान प्रतिबंधित है। कोई सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करता है तो उसे 200 रुपये जुर्माना का प्राविधान है।