संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए टीकाकरण प्रभावी



  • ‘विश्व प्रतिरक्षण सप्ताह’ (24 अप्रैल से 30 अप्रैल)
  • गर्भावस्था में दो बार और बच्चों का पांच साल में सात बार टीकाकरण अनिवार्य
  • नियमित टीकाकरण के लिए स्वास्थ्य विभाग भेज रहा बुलावा पर्ची
  • पूरे सप्ताह फायदे गिनाकर टीकाकरण करवाने के लिये करेंगे प्रेरित

कानपुर - किसी बीमारी के विरुद्ध रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात इम्युनिटी बढ़ाने के लिए टीकाकरण बेहतर और आवश्यक उपाय है। संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए टीकाकरण सबसे उपयुक्त, प्रभावी और सस्ती व्यवस्था मानी जाती है, इसीलिये गर्भावस्था में दो बार और बच्चों को पांच साल की उम्र तक सात बार नियमित टीकाकरण की सुविधा दिलवाना अनिवार्य है । नियमित टीकाकरण गर्भवती को टिटनेस और डिप्थीरिया जैसी बीमारी से बचाता है । बच्चों का यह मीजल्स, टिटनेस, इंसेफलाइटिस जैसी तेरह प्रकार की जानलेवा बीमारी से बचाव करता है । टीकाकरण का सन्देश जन जन तक पहुंचाने और लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए 24 अप्रैल से 30 अप्रैल तक  ‘विश्व प्रतिरक्षण सप्ताह’ मनाया जाता है।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ यूबी सिंह का कहना है कि नियमित टीकाकरण सत्र दिवस से पहले ही आशा कार्यकर्ता अथवा लिंक वर्कर के जरिए लाभार्थियों के बीच बुलावा पर्ची का वितरण करवाया जाता है । साथ ही स्थानीय धर्म स्थल से भी एलान करवाया जाता है । अगर सत्र स्थल में कोई बदलाव होता है तो इसकी भी सूचना दी जाती है । उनका कहना है की जनपद में  ‘विश्व प्रतिरक्षण सप्ताह’ (24 अप्रैल से 30 अप्रैल) के तहत जनमानस को टीकाकरण के प्रति जागरूक किया जायेगा। साथ ही इस बात पर भी जोर होगा की कोई भी टीकाकरण सत्र छूटे ना। गर्भवती माताओं को टीकाकरण से होने वाले फायदों के बारे में भी अवगत करवाया जायेगा।

उन्होंने कहा की सरकारी अस्पताल के सभी टीके दो से आठ डिग्री के तापमान के बीच सुरक्षित रखे जाते हैं। यह पूरी तरह से असरकारक हैं । कुछ टीके लगने के बाद बुखार आ सकता है, लेकिन इससे कोई हानी नहीं होती है । यह टीके का असर होता है जिससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। ऐसी दिक्कत से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग दवा भी देता है । यह टीके का ही प्रभाव है कि पूर्वांचल से बच्चों में होने वाला जापानी इंसेफेलाइटिस लगभग समाप्त होने वाला है।

उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ राजेश्वर सिंह ने बताया कि टीकाकरण सत्र की जानकारी और सुविधा अपने क्षेत्र के आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व एएनएम की मदद से प्राप्त की जा सकती है । अधिक जानकारी के लिए स्वास्थ्य विभाग के टोल फ्री नंबर 104 पर भी सम्पर्क किया जा सकता है । गर्भवती को पहला टीका गर्भावस्था का पता चलने पर और दूसरा टीका एक महीने के अंतराल पर अवश्य लगवा लेना चाहिए ।

पांच साल में सात बार, छूटे न टीका एक बार : जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने पांच साल में सात बार, छूटे न टीका एक बार का नारा दोहराते हुए लोगों से अपील की कि गर्भवती महिलाओं के लिए टीडी 1, टीडी 2 व टीडी बूस्टर, बच्चे के जन्म के समय ओपीवी 0, हेपेटाइटिस बी बर्थ डोज, बीसीजी, जन्म के छह सप्ताह के भीतर ओपीवी 1, रोटा 1, एफआईपीवी 1, पेंटावैलेंट1 व पीसीवी 1, 10 सप्ताह के भीतर ओपीवी 2, रोटा 2, पेंटावैलेंट 2, 14 सप्ताह के भीतर ओपीवी 3, रोटा 3, एफआईपीवी 2, पेंटावैलेंट 3, पीसीवी 2, 9 से 12 महीने के बीच एमआर1, जेई 1, पीसीवी बी, 16 से 24 महीने के बीच ओपीवी बी, डीपीटी बी 1, एमआर 2, जेई टू, 5 से 6 साल के बीच डीपीटी बी 2, 10 साल की उम्र पर टीडी और 16 साल की उम्र पर लगने वाला टीडी टीका स्वास्थ्य विभाग निशुल्क उपलब्ध कराता है। आवश्यकता है कि लोग टीकाकरण के महत्व को समझें और इसके लिए स्वयं भी आगे आएं।

आईये जानें जनपद की रिपोर्ट : जनपद में इस वर्ष अप्रैल माह में 20 अप्रैल तक कुल 6,667 गर्भवती महिलाओं और शून्य से एक साल तक के 15,634 व एक साल से ज्यादा उम्र के कुल 6089 बच्चों का टीकाकरण हुआ। वहीँ पिछले वर्ष अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक कुल 1,07,559 गर्भवती महिलाओं और 1,03,163 बच्चों का टीकाकरण हुआ।

क्या कहता है राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-05 : राष्ट्रीय  परिवार स्वास्थ्य  सर्वेक्षण-5 के अनुसार जनपद में वर्ष 2019-21 में 96.4 प्रतिशत बच्चों के पब्लिक हेल्थ फैसिलिटी में टीकाकरण प्राप्त किया तो वहीं 81.2 प्रतिशत बच्चों का सम्पूर्ण टीकाकरण हुआ I 93.7 प्रतिशत बच्चों को बीसीजी का टीका लगाया गयाI