- एसजीपीजीआई की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ पियाली भट्टाचार्य ने दिए टिप्स
- विश्व अस्थमा दिवस की पूर्व संध्या पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
लखनऊ - एसजीपीजीआई की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ पियाली भट्टाचार्य ने बताया कि अस्थमा दुनिया भर में 34 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित करता है, जिससे घरघराहट, खांसी, सीने में जकड़न और सांस की तकलीफ जैसे लक्षण पैदा होते हैं। अस्थमा के दौरे गंभीर और जानलेवा हो सकते हैं और प्रतिवर्ष चार लाख से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। डॉ पियाली हिंद आयुर्विज्ञान संस्थान में विश्व अस्थमा दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में बोल रही थीं।
प्रतिवर्ष मई के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है, जो इस सांस की बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और विश्व स्तर पर अस्थमा की देखभाल में सुधार करने के लिए ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा द्वारा आयोजित वार्षिक कार्यक्रम है। इस वर्ष की थीम "अस्थमा शिक्षा सशक्तीकरण" है। इसी संदर्भ में अस्थमा दिवस की पूर्व संध्या पर लखनऊ बाल अकादमी द्वारा अस्थमा प्रबंधन में सुधार और जन जागरूकता के महत्व पर प्रकाश डालने के लिए यह कार्यक्रम किया गया जिसमें वरिष्ठ विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी और 40 बाल रोग विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ निर्मला जोशी अध्यक्ष, लखनऊ बाल अकादमी ने किया।
अकादमी के सचिव डॉ उत्कर्ष बंसल ने बताया कि बच्चों में भी दमा बहुत आम परेशानी बनती जा रही है। प्रदूषण, धुआं और पारिवारिक इतिहास में दमा होना मुख्य कारक हैं। अस्थमा के लक्षण में मुख्यतः बार-बार लंबे समय तक खांसी आना, दौड़ने-भागने पर सांस फूलना, रात में खाँसी आना, मौसम बदलने पर खांसी आना या जोर से हंसने/रोने पर खांसना है। ऐसे लक्षणों को देखकर अभिभावकों को तुरंत बालरोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए, ताकि सही निदान और उपचार हो सके। अस्थमा में श्वास नलियों में सूजन आ जाती है जिस कारण श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। श्वसन नली में सिकुड़न के चलते रोगी को लक्षण होते हैं।
डॉ आशीष वर्मा के अनुसार अस्थमा में इलाज के साथ बचाव की अवश्यकता भी होती है। अस्थमा के मरीजों को बारिश, सर्दी, धूल भरी आंधी, ज्यादा गर्म और नम वातावरण, प्रदूषण, सर्दी के मौसम में धुंध, धूम्रपान से बचना चाहिए। घर को डस्ट फ्री बनाएं। धूपबत्ती, अगरबत्ती, मच्छर की कॉयल, सिगरेट का धुआं हानिकारक है। अगर आप अस्थमा के मरीज हैं तो दवाइयां हमेशा साथ रखें।
डॉ एकांश राठोरिया ने बताया कि अस्थमा के सही इलाज से किसी को भी सामान्य जीवन जीने में कोई बाधा नही आती, अपितु बच्चे भी खेलकूद में बद चढ़कर हिस्सा ले सकते हैं। डॉ. अमित रस्तोगी ने कहा कि श्वास रोगों से बचने के लिए फ्लू और निमोनिया के टीके भी लाभकारी हैं और इसमें योग और व्यायाम भी अहम भूमिका निभाता है।