नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय लघु उद्योग विकास निगम (एनएसआईडीसी) के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक के रूप में सुभ्रांशु शेखर आचार्य की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई से इनकार कर दिया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी.एस. अरोड़ा की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि सर्विस के मामलों में जनहित याचिका विचारणीय नहीं है। अदालत ने कहा कि केवल गैर-नियुक्त लोगों के पास ऐसी नियुक्तियों या विस्तार प्रक्रियाओं की वैधता को चुनौती देने का अधिकार है।
सद्दाम अली द्वारा दायर जनहित याचिका में तर्क दिया गया था कि आचार्य की नियुक्ति में 11 जुलाई 2023 को केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञापन में निर्धारित शर्तों का उल्लंघन किया गया है। अली के अनुसार, विज्ञापन की तिथि तक आंतरिक उम्मीदवारों के लिए पात्र स्केल में एक वर्ष की न्यूनतम सेवा अवधि और अन्य उम्मीदवारों के लिए दो वर्ष की सेवा अवधि की आवश्यकता थी।
अली ने तर्क दिया कि आचार्य दो साल की सेवा आवश्यकता को पूरा नहीं करते हैं और वह आंतरिक उम्मीदवार भी नहीं थे। तर्कों को सुनने के बाद, अदालत ने अली की दलील में कोई योग्यता नहीं पाई।
पीठ ने कहा, याचिकाकर्ता के वकील को सुनने के बाद, हम वर्तमान जनहित याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। न्यायालय ने अपने निर्णय के समर्थन में विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि उसने जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दों के गुण-दोष पर कोई फैसला नहीं सुनाया है।