रक्तदान कर जीवन रक्षा का पुण्य कमाएं - मुकेश कुमार शर्मा



  • विश्व रक्तदाता दिवस (14 जून) पर विशेष

जीवन में हर किसी को कभी न कभी परिजनों, रिश्तेदारों, दोस्तों या पड़ोसियों के लिए विशेष परिस्थितियों में रक्त (ब्लड) की आवश्यकता पड़ती ही है। कई बार हमें जरूरत के मुताबिक़ समय से सुरक्षित रक्त मिल जाता है तो कई बार समय से रक्त मिलने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है। ऐसे में मरीज की जान तक बचाना मुश्किल हो जाता है। इसी मुश्किल को आसान बनाने के लिए हर वर्ष 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है।

विश्व रक्तदाता दिवस को मनाने का मूल मकसद लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करना है ताकि किसी भी मुसीबत में फंसे अपने ही नहीं पराये को भी समय से सुरक्षित रक्त मिल सके और उनके प्राणों की रक्षा की जा सके। रक्तदान को महादान भी कहा जाता है क्योंकि यही एक ऐसी चीज है जिसे किसी भी लैब में या किसी अन्य तरीके से तैयार नहीं किया जा सकता है। इसलिए आज इस दिवस पर प्रण लेने की जरूरत है कि हम समय-समय पर रक्तदान कर महादानी बनने का गौरव हासिल करेंगे। इसके साथ ही आज उन महादानियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करने और सम्मान करने का भी दिन है जिनके दान की बदौलत हर साल न जाने कितने लोगों के प्राणों की रक्षा की जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस साल विश्व रक्तदाता दिवस की थीम है-  “दान का उत्सव मनाने के 20 साल : रक्तदाताओं को धन्यवाद।“

18 से 65 साल का कोई भी पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति रक्तदाता बन सकता है। रक्तदाता की कुछ जरूरी जांच भी की जाती है ताकि ब्लड बैंक तक किसी तरह से संक्रमित रक्त न पहुँचने पाए, इसीलिए हाल ही में टैटू बनवाने वालों व बीमार व्यक्तियों के रक्त लेने से भी परहेज किया जाता है ताकि रक्त की शुद्धता बरकरार रखी जा सके। वयस्क स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में 4.5 लीटर से पाँच लीटर रक्त होता है। कोई भी स्वस्थ व्यक्ति एक बार में 300 से 450 मिली लीटर रक्त दान कर सकता है, जिसकी भरपाई शरीर 24 से 48 घंटे में खुद कर लेती है। तीन माह के अन्तराल पर दोबारा रक्तदान किया जा सकता है। रक्त के अलग-अलग समूह होते हैं, जिनमें कुछ अति दुर्लभ किस्म के होते हैं, जिनके रक्तदाताओं की पहचान कर उनसे बराबर सम्पर्क में रहने की जरूरत होती है ताकि किसी विषम परिस्थिति में उनसे सम्पर्क कर रक्तदान की अपील की जा सके।
 
दुर्घटनाओं में घायलों, गर्भवती, सर्जिकल वाले मरीजों, थैलेसीमिया, कैंसर, एनीमिया आदि स्थितियों में मरीज के लिए रक्त की जरूरत अस्पतालों को आये दिन रहती है। ऐसे में सुरक्षित और पर्याप्त रक्त का संग्रह चुनौतीपूर्ण होता है, जिसे रक्तदाता के जरिये ही पूर्ण किया जा सकता है। इसलिए रक्तदान से जुड़ीं भ्रांतियों और गलतफहमियों को दूर करने के साथ खुद रक्तदान करने के लिए आगे आना चाहिए और इसके लिए दूसरों को भी प्रेरित किया जाना चाहिए। तो आइये हम सभी मिलकर आज इस पुनीत दिवस पर प्रण लें कि हम लोगों की जान बचाने के लिए खुद रक्तदान करेंगे और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करने के साथ ही स्वस्थ स्वास्थ्य परम्परा का भी निर्वहन करेंगे। इसके साथ ही हमें यह भी हमेशा ध्यान रखना है कि सुरक्षित रक्त जीवन बचाता है, इसलिए जब भी-जहाँ भी जरूरत होगी रक्तदान जरूर करेंगे और ब्लड बैंक को खाली होने से बचाएंगे।

रक्तदान से किसी तरह की कमजोरी नहीं आती बल्कि दिल की सेहत में सुधार के साथ ही दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के खतरे को आसानी से कम किया जा सकता है। खून में आयरन की अधिक मात्रा दिल के दौरे के जोखिम को बढ़ा सकती है, जबकि नियमित रक्तदान से आयरन की अतिरिक्त मात्रा नियंत्रित हो जाती है, जो दिल की सेहत के लिए अच्छा है। रक्तदान व्यक्ति की जान को तो बचाता ही है साथ ही उनसे जुड़े परिवारजनों की आशाओं को भी जीवित रखता है, क्योंकि यह किसी भी रक्तदाता को पता नहीं होता कि उसके द्वारा दान किया गया रक्त कितने जरूरतमंद व्यक्तियों को मिल रहा है। एक यूनिट रक्त चार व्यक्तियों की जान बचा सकता है, क्योंकि इसके अलग-अलग अवयव श्वेत व लाल रक्त कोशिकाएं, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा अलग-अलग लोगों के काम आ सकता है। इसलिए इससे ज्यादा पुण्य का कार्य और कोई नहीं हो सकता। खासकर गर्भवती को प्रसव के समय अतिरिक्त रक्त की आवश्यकता पड़ती है। ऐसी स्थिति में गर्भवती के साथ ही गर्भस्थ शिशु को सुरक्षित बनाने में एक-एक रक्तदाता महत्वपूर्ण हो जाता है। ऐसी ही आपात स्थितियों में रक्त की आपूर्ति बरक़रार रखने के लिए लोगों को रक्तदान के लिए सहर्ष आगे आना चाहिए। जन्मदिन, शादी की सालगिरह, संस्थान के स्थापना दिवस जैसे ख़ुशी के अवसरों पर भी रक्तदान कर दूसरों को नायाब तोहफा दे सकते हैं। ज्ञात हो कि विश्व रक्तदाता दिवस कार्ल लैंडस्टीनर के जन्मदिन 14 जून 1868 की सालगिरह पर हर साल मनाया जाता है। कार्ल लैंडस्टीनर को एबीओ रक्त समूह प्रणाली की खोज के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

 

(लेखक पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं)