स्तनपान बच्चे के सम्पूर्ण पोषण और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए उत्तम विकल्प : प्रमुख सचिव



  • विश्व स्तनपान सप्ताह(एक से सात अगस्त) पर विशेष
  • स्तनपान बच्चों के जीवन का रक्षक
  • क्लोसिंग द गैप : ब्रेस्टफीडिंग सपोर्ट फॉर आल

लखनऊ। हंसते और खिलखिलाते बच्चे बरबस ही सबका मन मोह लेते हैं । बच्चों का हंसना और खिलखिलाना बहुत हद तक उनके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। यदि छह माह तक बच्चे को केवल स्तनपान और उसके बाद दो साल तक स्तनपान के साथ पूरक पोषाहार दिया जाये तो बच्चा सुपोषित होगा और हंसी लम्बे समय तक उसके चेहरे पर रहेगी । यह कहना है प्रमुख सचिव,  चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा का।

वह कहते हैं कि स्तनपान बच्चे के सम्पूर्ण पोषण और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए उत्तम विकल्प है। शोध से ये निष्कर्ष सामने आये हैं कि यदि नवजात को जन्म के एक घंटे के अंदर माँ का दूध दिया जाए और छह माह तक केवल स्तनपान कराया जाए तो बाल  मृत्यु दर में 22 फीसद तक की कमी आ सकती है। इसे लेकर जागरूकता फैलानी बहुत जरूरी है।

प्रमुख सचिव ने कहा कि घरों और अस्पतालों में डिब्बा बंद दूध को हतोत्साहित किया जाये । कार्यस्थल पर, सार्वजानिक स्थानों पर स्तनपान कक्ष की व्यवस्था करें जिससे बिना संकोच  माताएं बच्चों को स्तनपान करा पायें। इन सब प्रयासों से भावी पीढ़ियों का अच्छा स्वास्थ्य सुनिश्चित होगा।उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डा. पिंकी जोवेल का कहना है  - केवल स्तनपान का मतलब है छह महीने तक केवल माँ का दूध, इसके  अलावा और कुछ भी नहीं... कुछ भी नहीं मतलब  कुछ भी नहीं, पानी की एक बूंद भी नहीं।

वह कहती हैं  कि स्तनपान एक जीवन रक्षक व्यवहार है। जन्म के एक घंटे के अन्दर स्तनपान शुरू कराने और छह महीने तक केवल स्तनपान कराने से न केवल शिशु की पोषण सम्बन्धी सभी ज़रूरतें पूरी होती हैं, बल्कि माँ का दूध बच्चे को संक्रमण से लड़ने की ताकत देता है और उसके शारीरिक और बौद्धिक विकास में भी सहायता करता है। इतना ही नहीं, वयस्क होने पर मोटापे और जीवनशैली संबंधी बीमारियों की संभावना को भी रोकता है। इसी वजह से स्वास्थ्य विभाग इस समाधान पर ज़ोर देता है।

डॉ. जोवेल ने बताया की सभी सरकारी अस्पतालों में प्रशिक्षित स्टाफ स्तनपान व्यवहार को  बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया जाता है प्राइवेट अस्पतालों को भी इसमे सहयोग करना चाहिए। उन्होने कहा हर साल एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है । इस साल इस सप्ताह की थीम है 'अंतर को कम करना: सभी के लिए स्तनपान सहायता', यानि स्तनपान को सुनिश्चित करने के लिए सब सहयोग करें ।

क्या कहते हैं विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ :

  • बाल अधिकारों पर कन्वेंशन के अनुसार हर शिशु और बच्चे को अच्छे पोषण का अधिकार है।  
  • 45 फ़ीसद बच्चों की मौतों का कारण अल्पपोषण से जुड़ा है।
  • छह माह तक के कुल 44 फीसद शिशु केवल स्तनपान करते हैं।
  • अगर सभी बच्चों को शून्य से 23 माह तक स्तनपान कराया जाता है तो पाँच वर्च तक की आयु के 8.20 लाख से अधिक बच्चों के जीवन को बचाया जा सकता है।
  • स्तनपान बच्चों की आईक्यू लेवल और स्कूल की उपस्थिति में सुधार करता है | इसके अलावा वयस्क जीवन में उच्च आय से जुड़ा हुआ है।
  • स्तनपान से बच्चे के विकास में तो सुधार तो होता ही है इसके अलावा स्वास्थ्य लागत कम होने से व्यक्तिगत परिवारों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी आर्थिक लाभ होता है।
उत्तर प्रदेश में केवल स्तनपान की स्थिति : राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) –5 के अनुसार केवल 60 फीसद बच्चों ने छह माह तक केवल स्तनपान किया है जबकि 81 फीसद बच्चों ने जन्म के पहले दिन स्तनपान शुरू किया है । केवल 24 फीसद शिशुओं को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराया गया है।