नगर निगम में पार्षदों की नियुक्ति कर सकते हैं उपराज्यपाल



  • आप को सुप्रीम कोर्ट से झटका

नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम में 10 एल्डरमैन यानी मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति के मामले में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है।सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सहायता और सलाह के बिना पार्षदों को नामित करने का अधिकार है। यह फैसला 15 महीने बाद दिल्ली सरकार द्वारा उपराज्यपाल के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनाया गया। कोर्ट ने 17 मई, 2023 को फैसला सुरक्षित रखा था।

वर्ष 2023 में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नगर निगम में अपने मन से 10 एल्डरमैन नियुक्त कर दिए थे, जो भाजपा से हैं। इसके बाद आप सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी।दिल्ली सरकार का कहना था कि अभी तक एल्डरमैन की नियुक्ति राज्य सरकार कर रही थी और अभी भी यह अधिकार उसी के पास है।मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला की पीठ ने सुनवाई की थी और फैसला सुरक्षित रखा था।

रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति का मामला दिल्ली नगर निगम अधिनियम के तहत वैधानिक शक्ति है न की कार्यकारी शक्ति और इसलिए उपराज्यपाल को इसमें दिल्ली सरकार की सलाह लेने की आवश्यकता नहीं।कोर्ट ने कहा कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 3(3)(बी)(1) में प्रावधान है कि उपराज्यपाल विशेष ज्ञान वाले 10 लोगों को नगर निगम में नामित कर सकते हैं।कोर्ट ने यह भी कहा कि उपराज्यपाल निगम को अस्थिर भी कर सकते हैं।

नगर निगम में एल्डरमैन के पास कई प्रमुख शक्तियां होती हैं। ये स्थायी समिति, निगम इन-हाउस और वार्ड समिति की बैठकों में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, जो निगम के कामकाज का जरूरी हिस्सा है। हालांकि, इनके पास मेयर चुनाव में वोट देने का अधिकार नहीं होता है।