- 300 से अधिक व्यक्तियों की हुई स्क्रीनिंग, 95 मानसिक रोगियों को मिला उपचार
- मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बेहद जरूरी - एसीएमओ
कानपुर नगर - सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिधनू में मंगलवार को राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत वृहद मानसिक स्वास्थ्य शिविर लगाया गया । शिविर का शुभारंभ अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) डा. रमित रस्तोगी ने किया ।
एसीएमओ ने कहा कि वर्तमान परिवेश को देखते हुये मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज में जागरूकता बेहद ही जरूरी है । ऐसे रोगियों के साथ हमेशा ही अच्छा व्यवहार करना चाहिए । इनका नियमित ख्याल रखना चाहिए | लिहाजा मानसिक रोगियों के प्रति जागरूक रहते हुए उनका समय से उपचार करना चाहिए । उन्हें दवा की जरूरत होती है साथ ही ऐसे रोगियों के प्रति सहानुभूति भी रखनी चाहिए । उन्होंने कहा कि मानसिक रोग के प्रति जागरुकता के साथ ही उचित परामर्श व बेहतर उपचार के लिए यह शिविर आयोजित है। हम सभी को ध्यान रखना चाहिए कि मानसिक रोग से पीड़ित किसी भी व्यक्ति के साथ भूल से भी बुरा व्यवहार न करें । ऐसा इसलिए भी जरूरी है कि बुरे व्यवहार से उसके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव तो पड़ ही सकता है । रोग से परेशान होकर वह कोई घातक कदम भी उठा सकता है । हम थोड़ा सा भी संवेदनशील होकर मानसिक रोगी का सही समय से उपचार करायें तो उसका रोग पूरी तरह ठीक हो सकता है।
स्वास्थ्य शिविर में चिकित्सकों की टीम ने कैंप में शामिल लगभग 320 व्यक्तियों की स्क्रीनिंग की । इसमें 72 लोगों को मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित परामर्श भी दिया गया । 95 मानसिक रोगियों को देखा गया तथा उन्हें आवश्यक उपचार दिया गया । इसके अलावा तंबाकू नियंत्रण, क्षय रोग, दंत मरीज, कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, रक्तचाप, वृद्धजनों की जांच व उपचार, आयुष्मान भारत योजना सहित अन्य स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की गईं।
शिविर में मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ चिरंजीव प्रसाद ने कहा कि किशोरावस्था के प्रारंभिक वर्ष जीवन का एक ऐसा समय आता है जब कई परिवर्तन होते हैं और कुछ मामलों में यह भावनाएं मानसिक बीमारी का कारण बन सकती है । यह 14 साल की उम्र से शुरू होता है लेकिन ज्यादातर मामलों का पता नहीं चल पाता और इलाज नहीं होता है | किशोरों व नौजवानों में मानसिक बीमारी का एक प्रमुख कारण अवसाद (डिप्रेशन) है। इसके साथ ही उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण, बचाव, नियंत्रण, रोकथाम आदि को लेकर विस्तार से जानकारी दी। मानसिक बीमारी के लक्षण एवं पहचान एवं जानकारी न होने के कारण एवं सामाजिक अंधविश्वास, झाड़-फूंक के चक्कर में मानसिक बीमारियां अपना प्रभाव डालती हैं जिसके कारण व्यक्ति समाज एवं परिवार से बहिष्कृत होने से उसका इलाज नहीं हो पाता है | नियमित दवा का सेवन और डॉक्टर की निगरानी में मरीज पूरी तरह ठीक हो जाता है |
इस मौके पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ नीरज सचान , फिजिशियन डॉ अवनीश द्विवेदी, नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ सुधांशु मिश्रा, सोशल साइकैट्रिस्ट डॉ संदीप सिंह सहित अन्य अधिकारी, आशा कार्यकर्ता व स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।