गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड कराना जरूरी



  • अल्ट्रासाउंड तरंगें हानिकारक नहीं, इस भ्रम में ना रहे गर्भवती - एसीएमओ
  • जनपद के 21 अनुबंधित निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर मिल रही अल्ट्रासाउंड की सुविधा
  • अब तक 2715 गर्भवती को जारी किये गए ई-रूपी वाउचर
  • उच्च जोखिम गर्भावस्था को पहचानने में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान की अहम भूमिका  

कानपुर नगर  - गर्भ में पल रहे शिशु की स्थिति, प्लासेंटा, गर्भ आयु की सही जानकारी लेने के लिए गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड कराना जरूरी है। जिससे कि स्थिति के अनुसार गर्भवती महिलाओं का सही उपचार हो सके। अक्सर लोगों में भ्रम है कि अल्ट्रासाउंड की तरंगों से गर्भ में पल रहे बच्चे पर रेडिएशन का असर हो जाता है। असल में ऐसा नहीं है। अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग ध्वनि तरंगों से की जाती है, न कि रेडियो तरंगों से। इसमें रेडिएशन नहीं होती और गर्भ में पल रहे बच्चे पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ता। यह कहना है जनपदीय परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी (एसीएमओ) डॉ रमित रस्तोगी का।

उन्होंने बताया कि अल्ट्रासाउंड के जरिए प्रसव के पूर्व या प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। वहीं, कई मामलों में मातृ मृत्यु की संभावनाओं को भी खत्म किया जा सकता है। साथ ही बताया कि सरकारी स्वास्थ्य इकाइयों पर प्रसव पूर्व जांच करवाने वाली गर्भवती को ई-रुपी वाउचर के जरिए जनपद के कुल 21 अनुबंधित निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर दूसरी व तीसरी तिमाही में एक बार अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा दी जा रही हैं । निजी केंद्रों पर सिर्फ एसएमएस और क्यू आर कोड दिखाकर गर्भवती इसका लाभ ले रहीं हैं ।

जिला महिला अस्पताल, डफ़रिन की मुख्य चिकित्सक अधीक्षिका डॉ रूचि जैन का कहना है कि अल्ट्रासाउंड से अगर बच्चे में कोई गंभीर शारीरिक कमी दिखाई देती है तो सही समय पर सही निर्णय लिया जा सकता है । अगर ऐसा न किया जाए तो जन्म लेने वाला बच्चा उम्र भर असामान्य रहता है। कुछ मामलों में बच्चे के शरीर के अंग ही विकसित नहीं हो रहे होते हैं। ऐसे में उस भ्रूण को आगे जारी रखना किसी के हित में नहीं होता। इसलिए स्कैनिंग बेहद जरूरी है और इसका किसी तरह का कोई दुष्परिणाम मां या बच्चे पर नहीं होता। अल्‍ट्रासाउंड से पता चलता है कि गर्भ में एक बच्‍चा है या जुड़वा शिशु पल रहे हैं। वहीं प्रसव से पहले शिशु की स्थिति जानने के लिए और ओवरी और यूट्रस की जांच के लिए अल्‍ट्रासाउंड किया जाता है।

जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता हरिशंकर मिश्रा बताते हैं  कि प्रसव पूर्व जांच के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत माह की 1, 9, 16 व 24 तारीख को सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती की सम्पूर्ण जांच की जाती है। इसी क्रम में जिला चिकित्सालयों सहित समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों पर बुधवार को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस मनाया गया। उन्होंने बताया कि एक अप्रैल 2023 से शुरू हुई योजना के अंतर्गत सितम्बर माह तक कुल 2715 ई-रुपी वाउचर जनरेट किये गये हैं।

गर्भावस्था में महत्वपूर्ण अल्ट्रासाउंड : नोडल अधिकारी डॉ रमित का कहना है की पूरे गर्भकाल के दौरान निम्न चरणों में अल्ट्रासाउंड का सुझाव दिया जाता है। इसके अलावा किसी विशेष परिस्थिति में चिकित्सकीय परामर्श से इन्हें बढ़ाया भी जा सकता है।

प्रथम चरण - गर्भ धारण के तुरंत बाद या गर्भावस्था के पहले तीन महीने के अंदर
द्वितीय चरण- गर्भधारण के 14 से 26 हफ्ते के मध्य
तृतीय चरण- गर्भधारण के 28 से 34 हफ्ते के मध्य
चतुर्थ चरण- गर्भधारण के 36वें हफ्ते से शिशु की जन्म की अवधि तक