- प्रयागराज शहर के सभी मुख्य स्टेशनों पर होगा मल्टी लैंग्वेज एनाउंसमेंट
- 10 से अधिक क्षेत्रीय भाषाओं में एनाउंसमेंट किया जाएगा
- देश के विविध भाषायी लोगों को उनकी भाषा में रेलवे देगा जानकारी
प्रयागराज । मानवता की अमूर्त विरासत महाकुंभ 2025 प्रयागराजवासियों के लिए नई-नई सौगात लेकर आ रहा है। राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर पर डबल इंजन की सरकार ने महाकुंभ को दिव्य-भव्य के साथ-साथ स्वच्छ, सुरक्षित और सुगम बनाने का लक्ष्य रखा है। इसे ध्यान में रख कर प्रयागराज रेल मण्डल महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक सुविधा देने के सभी संभव प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में प्रयागराज रेल मण्डल महाकुंभ में पहली बार मल्टी लैंगवेज एनाउनंसमेंट करने की व्यवस्था कर रहा है। इससे देश के विविध भाषा बोलने और समझने वाले लोगों को उनकी भाषा में ट्रेनों की जानकारी आसानी से मिल सकेगी।
श्रद्धालुओं को होगी आसानी : महाकुंभ 2025 को सुगम व सुरक्षित महाकुंभ बनाने के डबल इंजन की सरकार के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में प्रयागराज रेल मण्डल कोई कसर बाकी नहीं रख रहा है। एक ओर तो रेल मण्डल शहर के सभी रेलवे स्टेशनों के विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण के कार्य कर रहा है तो दूसरी ओर श्रद्धालुओं की यात्रा को आसान बनाने के सभी जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं। प्रयागराज रेल मण्डल के वरिष्ठ पीआरओ अमित मालवीय ने बताया कि महाकुंभ 2025 में पहली बार रेल मण्डल मल्टी लैंगवेज एनाउंसमेंट करेगा। इसका लाभ देश के कोने-कोने से आने वाले अलग-अलग भाषा बोलने वाले श्रद्धालुओं को मिलेगा, जिन्हें हिंदी या अंग्रेजी भाषा समक्षने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
10 क्षेत्रीय भाषाओं में भी होगी एनाउंसमेंट : वरिष्ठ पीआरओ ने बताया कि रेल मण्डल शहर के सभी मुख्य स्टेशनों पर ट्रेनों की मल्टी लैंग्वेज एनाउंसमेंट की व्यवस्था कर रहा है। भारत में भाषाओं की विविधता को देखते हुए हिंदी और अंग्रेजी भाषा के साथ 10 अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में एनाउंसमेंट की जाएगी। इनमें गुजराती, मराठी, तमिल, तेलगू, मलायालम, कन्नड़, बंग्ला, असमिया, उड़िया और पंजाबी भाषाओं में एनाउंसामेंट किया जाएगा। इसके लिए रेल मण्डल अलग-अलग डिवीजन से एनाउंसर बुला रहा है जो असानी से अपनी क्षेत्रीय भाषा में एनाउंसमेंट कर सकें। उन्होंने बताया कि एनाउंसमेंट के स्पीकर स्टेशन के प्लेटफार्मों के अलावा आश्रय स्थलों में भी लगाए जाएंगे। यात्रियों को उनके गंतव्य स्थल के हिसाब से आश्रय स्थलों में रोकने की योजना है जिससे की श्रद्धालुओं को कम से कम समस्याओं का सामना करना पड़े और महाकुंभ स्नान के बाद आसानी से अपने घरों को लौट सकें।