स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय डायरी-भारत के मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) में एक वर्ष में 8 अंकों की आयी कमी



लखनऊ, 03 मॉर्च 2020 - (ख़ुशी समय डेस्क)- भारत के मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) में एक वर्ष में 8 अंकों की कमी आई है। यह आंकड़ा एमएमआर पर भारत के रजिस्ट्रार जनरल के नवीनतम विशेष बुलेटिन का है। यह कमी इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि इसका अर्थ सालाना लगभग 2000 अतिरिक्त गर्भवती महिलाओं की जान बचना है। 2014-16 में 130 / लाख जीवित जन्म से घटकर 2015-17 में 122 / लाख जीवित जन्म एमएमआर हो गया है (6.2 प्रतिशत की कमी)। इसका अर्थ है कि भारत ने 2025 तक एमएमआर कम करने का सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) हासिल करने में प्रगति की है। इस तरह 2030 से पांच साल पहले यह लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के तहत 2020 तक 100 / जीवित जन्म के एमएमआर का महत्वाकांक्षी लक्ष्य 11 राज्यों ने हासिल कर लिया है। ये राज्य हैं केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, झारखंड, तेलंगाना, गुजरात, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और हरियाणा। नवीनतम एमएमआर बुलेटिन की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के लिए पहली बार एमएमआर स्वतंत्र रूप से प्रकाशित किए गए हैं। कुल सात राज्यों - कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना ने एमएमआर में कमी दर्ज की है जो राष्ट्रीय औसत 6.2 प्रतिशत से अधिक या बराबर है।

इस सफलता का मार्ग प्रशस्त करने वाले स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के विभिन्न प्रोग्रामों/ पहलों की सूची नीचे दी गई है:

  • आयुष्मान भारत हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर: आयुष्मान भारत (एबी) ‘सलेक्टिव एप्रोच से स्वास्थ्य सेवा से निरंतर स्वास्थ्य सेवा’ की ओर बढ़ने का प्रयास है जिसके तहत प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्तर हैं जिनमें बीमारी की रोकथाम, स्वास्थ्य संवर्धन, उपचार, पुनर्वास एवं दर्द निवारक सेवाएं शामिल हैं। आयुष्मान भारत हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर में खास कर महिलाओं के ओरल, सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम की निःशुल्क स्क्रीनिंग की जाती है। अब तक ब्रेस्ट कैंसर के लिए 1.03 करोड़ से अधिक और सर्वाइकल कैंसर के लिए 69 लाख से अधिक महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई है।
  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए): स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) ने जून, 2016 में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) शुरू किया। पीएमएसएमए के तहत पूरे देश की सभी गर्भवती महिलाओं को सुनिश्चित दिन, निःशुल्क और गुणवत्तापूर्ण प्रसव-पूर्व सेवाएं दी जाती हैं। अभियान के तहत हर महीने के 9 वें दिन लाभार्थियों को प्रसवपूर्व स्वास्थ्य सेवाओं (जांच और दवाएं शामिल) का एक न्यूनतम पैकेज प्रदान किया जा रहा है। इस अभियान में सरकारी केंद्रों पर स्वेच्छा से विशेषज्ञता सेवा प्रदान करने के लिए निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य संगठन भी शामिल हैं।   आज तकः  -पीएमएसएमए के तहत प्रसव पूर्व देखभाल प्राप्त गर्भवती महिलाओं की कुल संख्या - 2.39 करोड़ से अधिक -पीएमएसएमए स्वास्थ्य केंद्र में पहचान की गई ज्यादा जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की कुल संख्या - 12.5 लाख से अधिक - पंजीकृत स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं की कुल संख्या - 6219 
  • सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन): इस पहल का लक्ष्य रोकथाम योग्य सभी मातृत्व एवं नवजात मृत्यु  को रोकने के उद्देश्य से सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र आने वाली हर महिला और नवजात शिशुओं के लिए सम्मान, आदर और गुणवत्ता के साथ निःशुल्क स्वास्थ्य सुनिश्चित करना; उन्हें स्वास्थ्य सेवा देने से मना करने के मामले को बिल्कुल स्वीकार नहीं करना है। यह मां और शिशु दोनों के लिए जन्म का सकारात्मक अनुभव प्रदान करता है। भारत सरकार ने 10 अक्टूबर 2019 को सुमन की शुरुआत की। इस पहल का लक्ष्य रोकथाम योग्य सभी मातृत्व एवं नवजात मृत्यु और रोग रोकने और जन्म का बेहतर अनुभव देने के उद्देश्य से सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र आने वाली हर महिला और नवजात शिशुओं के लिए सम्मान, आदर और गुणवत्ता के साथ निःशुल्क स्वास्थ्य सुनिश्चित करना; उन्हें स्वास्थ्य सेवा देने से मना करने के मामले को बिल्कुल स्वीकार नहीं करना है।
  • एमसीएच विंग्स: जिला अस्पतालों / जिला महिला अस्पतालों और ज्यादा मरीजों वाले उप-जिला स्वास्थ्य केंद्रों में भी अत्याधुनिक मातृत्व और बाल स्वास्थ्य विंग (एमसीएच विंग) के लिए स्वीकृति दी गई है। ये गुणवत्तापूर्ण प्रसूति और नवजात शिशु देखभाल के एकीकृत केंद्र होंगे। 650 मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य विंग (एमसीएच विंग्स) के साथ 42000 से अधिक अतिरिक्त बिस्तरों के लिए स्वीकृति दी गई है। 
  • दक्षता: भारत सरकार ने 2015 में ‘दक्षता’ नामक राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया। यह स्वास्थ्य कर्मियों के कौशल के निर्माण के लिए एक रणनीतिक 3-दिवसीय प्रशिक्षण कैप्सूल है, जिसमें डॉक्टर, स्टाफ नर्स और एएनएम शामिल हैं, जिन्हंे गुणवत्तापूर्ण देखभाल के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार अब तक 16,400 स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को दक्ष प्रशिक्षणों में प्रशिक्षित किया गया है। 
  • मातृ मृत्यु निगरानी और कार्यवाही (एमडीएसआर)ः एमडीएसआर के तहत पूरे देश में मातृ मृत्यु समीक्षा को संस्थागत रूप दिया गया है जो स्वास्थ्य केंद्र और समुदाय दोनों में मृत्यु के न केवल चिकित्सा कारणों बल्कि सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक कारणों की पहचान करते हंै। साथ ही मृत्यु की वजह बनने वाली व्यवस्थाजन्य कमियों को भी सामने रखते हैं। इसका लक्ष्य उचित स्तरों पर सुधार करना और प्रसूति स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता बढ़ाना है। राज्यों में एमडीएसआर और एमएनएम लागू करने में हुई प्रगति पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। 
  • जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई): प्रसव और प्रसव के बाद देखभाल के साथ नकद की मदद। गर्भवती महिलाएं जो प्रसव के लिए सरकारी स्वास्थ्य केंद्र जाती हैं उन्हें स्वास्थ्य संस्थान में ही उनके हक की पूरी नकद सहायता राशि का एकमुश्त भुगतान किया जाता है।  जेएसएसके प्रोग्राम के साथ इस प्रोग्राम को जोड़ देने से देश में अस्पताल में होने वाले प्रसव की दर में बहुत सुधार हुआ है। भारत में अस्पताल में प्रसव (एनएफएचएस 4) 2007-08 के 47 प्रतिशत से बढ़कर 2015-16 में 78.9 प्रतिशत से अधिक हो गया है।
  • जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके): इस पहल के तहत सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में सभी गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव निःशुल्क है और अन्य खर्चे भी नहीं करने होंगे। यहां तक कि आॅपरेशन (सीजेरियेन) से शिशु को जन्म देना भी निःशुल्क है। उन्हें मुफ्त दवाएं, उपयोग हो जाने वालीे वस्तुएं, भर्ती रहने के दौरान मुफ्त आहार, मुफ्त जांच और यदि जरूरत हो तो मुफ्त खून चढ़ाने की सुविधा भी दी जाएगी। इस पहल के तहत घर से अस्पताल आने, यदि रेफरल अस्पताल भेजा गया तो उसका परिवहन खर्च और वापस घर पहंुचने का परिवहन खर्च भी दिया जाता है।
  • ‘लक्ष्य’ प्रोग्राम (लेबर रूम क्वालिटी इंप्रूवमेंट इनिशिएटिव): इस प्रोग्राम का लक्ष्य लेबर रूम और मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटर (ओटी) में उपचार की गुणवत्ता सुधारना है। इससे रोकथाम योग्य मातृत्व एवं शिशु मृत्यु दर, बीमारी का खतरा और निर्जीव शिशु के जन्म की समस्या कम होगी जिसका संबंध लेबर रूम और मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटर (ओटी) के उपचार से होता है। इससे सम्मानजनक मातृत्व स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित होगी।  स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने लेबर रूम और मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटरों में स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए दिसंबर 2017 में लक्ष्य प्रोग्राम की शुरुआत की। इससे गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान और प्रसव के तत्काल बाद सम्मानजनक और उच्च गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित होगी। इस उद्देश्य से 193 मेडिकल कॉलेजों के साथ कुल 2444 स्वास्थ्य केंद्र चुने गए। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार इस दिशा में उन्मुख हो गई हैं।
  • मिडवाइफरी: गर्भवती महिला और नवजात शिशु स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता बढ़ाने और उनकी सम्मानजनक देखभाल सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व नीतिगत निर्णय लेते हुए देश में मिडवाइफरी सेवाओं की शुरुआत की है। इस पहल का शुभारंभ दिसंबर 2018 में नई दिल्ली में पार्टनर्स फोरम के आयोजन में किया गया।  ‘मिडवाइफरी सर्विसेज इनिशिएटिव’ का लक्ष्य मिडवाइफरी का काम करने में दक्ष नर्सों का कैडर तैयार करना है जिन्हें इंटरनेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ मिडवाइव्स (आईसीएम) के निर्धारित दक्षता मानकों पर कार्य कुशल बनाया जाएगा। उन्हें लाभार्थी महिलाओं को केंद्र में रखते हुए सहानुभूति के साथ प्रजनन, मातृ और नवजात शिशु स्वास्थ्य सेवा देने का ज्ञान दिया जाता है।
  • राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके): किशोरों के स्वास्थ्य संबंधी जरूरतें पूरी करने के लिए भारत सरकार का कार्यक्रम। क) माहवारी स्वच्छता स्कीम - 3.43 करोड़ किशोरियों को अप्रैल-दिसंबर 2019 के दौरान सैनेटरी नैपकिन प्रदान किए गए। ख) 3.53 करोड़ किशोरों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम अप्रैल-दिसंबर 2019 के अतिरिक्त साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड सप्लीमेंट (डब्ल्यूआईएफएस) कार्यक्रम के तहत हर सप्ताह आईएएफ सप्लीमेंट प्रदान किए गए। ग) 52.15 लाख किशोरों को अप्रैल-दिसंबर 2019 के दौरान किशोर मित्र स्वास्थ्य क्लीनिक (एएफएचसी) में सलाह और निदान सेवाएं दी गईं। मार्च 2019 में एएफएचसी की संख्या 7,470 से बढ़कर सितंबर 2019 में 7,947 हो गई। घ) अप्रैल-दिसंबर 2019 की अवधि में पीयर एजुकेटर्स प्रोग्राम लागू करने में उल्लेखनीय प्रगति हुई। इस अवधि में 91,290 पीयर एडुकेटर चुने गए और 38,898 पीयर एजुकेटरों के प्रशिक्षण के साथ चुने गए पीयर एडुकेटरों की कुल 3.45 लाख हो गई। ङ) अप्रैल -दिसंबर 2019 के दौरान 60,474 किशोर स्वास्थ्य दिवस (एएचडी) मनाए गए। यह किशोर स्वास्थ्य मुद्दों और उपलब्ध सेवाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए ग्राम स्तर की त्रैमासिक गतिविधि है। 
  • एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी) कार्यक्रम: भारत सरकार ने प्रधानमंत्री सर्वव्यापी संपूर्ण पोषण अभियान के तहत एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी) की रणनीति लागू की है और एनीमिया में प्रति वर्ष 3 प्रतिशत कमी करने का लक्ष्य रखा है। एएमबी के तहत छह आयुवर्ग, छह प्रयास और छह संस्थागत व्यवस्था की गई है। यह रणनीति आपूर्ति शंृखला, मांग पैदा करने और मजबूत निगरानी पर केंद्रित है। इस उद्देश्य से पोषण और गैर-पोषण दोनों कारणों से होने वाली एनीमिया दूर करने के लिए डैशबोर्ड का उपयोग किया गया है।
  • राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम: यह कार्यक्रम नीति और वास्तविक कार्यक्रम क्रियान्वयन के दृष्टिकोण से बड़े बदलाव के दौर में है और इसकी नई प्रस्तुति का मकसद न केवल जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्यों को प्राप्त करना है, बल्कि प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ावा देना और मातृ, शिशु और बाल मृत्यु दर और बीमारी भी कम करना है। इस कार्यक्रम के तहत मंत्रालय स्वास्थ्य व्यवस्था के विभिन्न स्तरों पर परिवार नियोजन की विभिन्न सेवाएं प्रदान करता है और हाल ही में महिलाओं के लिए उपलब्ध विकल्पों का भी विस्तार किया गया है।