करोगे बात तब तो बनेगी बात - विषम परिस्थिति में किसी बात पर गलत कदम उठाने से बेहतर आपस में करें बात



- आपस में बात करने से ही निकलेगा समस्या का हल, न समझें अपने को अकेला
- यह भी सोचें- मुसीबत की घड़ी तो सभी के लिए है न केवल किसी एक के लिए

लखनऊ, 19 अप्रैल-2020 - कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लाक डाउन का दूसरा चरण शुरू हो चुका है, जो कि तीन मई तक चलेगा । करीब एक माह से घरों की लक्ष्मण रेखा के अंदर रहते-रहते ऊबना स्वाभाविक है, किन्तु इस वायरस से बचने का इसके अलावा और कोई उपाय भी तो नहीं है । इसलिए इन विषम परिस्थितियों में अपने मन में किसी भी तरह के नकारात्मक विचार को न पनपने दें ।

मनोचिकित्सक डॉ. अलीम सिद्दीकी का कहना है कि मानसिक तनाव की स्थिति में भी कोई गलत कदम न उठाएं, जिसको अपने सबसे करीब समझते हैं उससे बात कीजिये, यकीन मानिये  बात-बात में कोई न कोई रास्ता जरूर निकलेगा । डॉ. सिद्दीकी के मुताबिक लाक डाउन के चलते परिवार का कोई सदस्य बाहर है तो उनके सम्पर्क में रहिये, क्योंकि यह ऐसा वक्त है कि बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक के मन में तरह-तरह के सवाल पैदा होना स्वाभाविक है । बच्चों को जहाँ अपनी पढाई और परीक्षा की चिंता है तो युवाओं का अपनी नौकरी और भविष्य को लेकर चिंतित होना लाजिमी है । बुजुर्गों को जहाँ अपने परिवार की चिंता है तो वहीँ स्वास्थ्य को लेकर भी उनके मन में तरह-तरह के सवाल पैदा हो सकते हैं । इसलिए ऐसे वक्त में अपना कोई फोन करता है और समस्या को सुनकर अगर इतना भर कहता है कि- “मैं हूँ न” तो समझिये इतने भर से दुःख आधा हो जाएगा ।  

डॉ. सिद्दीकी का कहना है कि लाक डाउन के चलते आपस में लोगों का मेल-जोल कम हो गया है, जिसके चलते अवसाद और चिडचिडापन की समस्या पैदा हो सकती है । ऐसे में अगर परिवार के साथ हैं तो आपस में बातचीत करते रहें, एक-दूसरे की बात ध्यान से सुनें, बेवजह टोकाटाकी से बचें । यदि अकेले रह रहे हैं तो दिनचर्या में बदलाव लाएं, कोई फिल्म या सीरियल देखें और किताबें पढ़ें । ऐसे में जिसे अपना सबसे करीबी समझते हैं उसे वीडियो कॉल या फोन करके भी बातचीत कर सकते हैं, इससे बोरियत कम होगी ।

परेशान हैं तो संपर्क करें हेल्पलाइन पर :  विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर सरकार तक को इस बात का एहसास है कि इन परिस्थितियों के चलते मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं बढ़ सकती हैं । इसीलिए सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी समस्या के समाधान के लिए टोल फ्री नंबर 1800-180-5145 पर संपर्क करने को कहा है । किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ के मानसिक रोग विभाग ने भी इस तरह की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए हेल्पलाइन (न. 8887019140) शुरू की है, जिस पर काउंसिलिंग की जाएगी और जरूरी उपाय भी बताये जायेंगे ।        

परिवार के साथ बैठकर करें भोजन : घर के अन्दर रहने का जो यह वक्त मिला है, इसमें अगर यह नियम बना लें कि परिवार का हर सदस्य सोशल डिस्टेंशिंग का पालन करते हुए सुबह - शाम साथ बैठकर साथ में भोजन करें तो एक अपनत्व बढ़ने के साथ ही अपनों की बातों को सुनने और समझने का भी मौका मिलेगा । इसके अलावा इस स्वस्थ माहौल से मानसिक तनाव अपने आप दूर हो जायेगा । सोचिये, इससे पहले साथ में बैठकर भोजन करने का मौका कभी-कभार ही मिलता था क्योंकि किसी का स्कूल तो किसी के आफिस के चलते पूरा परिवार एक साथ होता ही नहीं था । इसलिए इस सकारात्मक पहलू पर भी तो गौर कीजिये ।