एमएमडीपी किट देकर सीखा रहे हाथीपांव प्रबंधन



  • फाइलेरिया प्रभावित अंगों की सही देखभाल करें और राहत पाएँ : डीएमओ
  • फाइलेरिया प्रभावित अंगों की समुचित देखभाल के प्रति किया जागरूक
  • ब्लॉक सरसौल के विभिन्न क्षेत्रों पर हुआ कार्यक्रम, मिलीं एमएमडीपी किट

कानपुर नगर - फाइलेरिया एक संक्रामक बीमारी है, जिसे हाथीपाँव भी कहा जाता है। इसका कोई इलाज तो नहीं है, लेकिन सही देखभाल से राहत जरूर मिल सकती है। हाथीपांव से प्रभावित अंग की नियमित साफ – सफाई करनी चाहिए और व्यायाम करना चाहिए । इसके साथ ही साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन भी करना चाहिए। यह बातें जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ)अरुण कुमार सिंह ने कहीं । उन्होंने शुक्रवार को सरसौल ब्लॉक के विभिन्न आयुष्मान आरोग्य मंदिरों पर 50 से अधिक फाइलेरिया मरीजों को रुग्णता प्रबन्धन एवं दिव्यांगता निवारण (एमएमडीपी) किट प्रदान किया । इसके साथ ही किट के उपयोग के बारे में प्रशिक्षण भी दिया  ।

जिला मलेरिया अधिकारी ने कहा कि एमएमडीपी किट में बाल्टी, मग, तौलिया, टब, साबुन और क्रीम शामिल हैं । मरीजों को बताया गया कि हाथीपांव के मरीज को टब में अपना प्रभावित अंग रखना होता है और फिर मग से धीरे धीरे पानी डालकर अंग को भिगोना होता है। पानी न तो ठंडा हो और न ही गरम हो। साबुन को प्रभावित अंग पर सीधे नहीं लगाना है । साबुन को हाथों में लेकर झाग बना लेना है और फिर उसी झाग को प्रभावित अंग पर लगाना है और अंग को धुलना है । इसके बाद साफ कॉटन के तौलिये से बिना रगड़े हल्के हाथ से अंग को साफ करना है। अगर प्रभावित अंग कहीं कटा है या इंफेक्टेड है तो वहां पर क्रीम भी लगाना है। प्रतिदिन ऐसा करने से हाथीपांव से प्रभावित अंग सुरक्षित रहते हैं और आराम भीमिलता है । इसके अलावा एड़ियों के सहारे खड़ा होकर प्रतिदिन व्यायाम करना है।

इस मौके पर पाथ संस्था के प्रतिनिधि डा. शिवकांत ने उपस्थित फाइलेरिया मरीजों को बताया कि फाइलेरिया प्रभावित अंगों में सूजन न बढ़े इसलिए जरूरी है कि उनमें व्यापक मूवमेंट हो । उन्होंने उपस्थित फाइलेरिया रोगियों से कहा कि जो भी समान दिया गया है उसका उपयोग फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल में करें और प्रशिक्षण में फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल करने के बारे में जो जानकारी दी जाए उसको अमल में लाएं। सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) के ब्लॉक समन्वयक राम कुमार ने प्रभावित अंगों की देखभाल के लिए मरीजों को कुछ व्यायाम का अभ्यास कराया और दी गयी किट के माध्यम से प्रभावित अंगों की साफ सफाई के तरीके सिखाये। जिससे प्रभावित अंगों में किसी प्रकार के संक्रमण न हो।

इस मौके पर पहले से एमएमडीपी का प्रशिक्षण प्राप्त फाइलेरिया नेटवर्क समूह के सदस्य ने बताया की प्रशिक्षण के दौरान जो व्यायाम और साफ सफाई के बारे में बताया गया है उसका नियमित रूप से अभ्यास कर रहें है। साथ ही किट के जरिये हम अपने सूजे हुये पैरों की साफ-सफाई और देखभाल करते हैं। इस दौरान सहायक मलेरिया अधिकारी भूपेंद्र सिंह, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी पूनम गौतम, आशा छाया, संगीता सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

क्या है फाइलेरिया : सहायक मलेरिया अधिकारी ने कहा कि फाइलेरिया क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से होता है । संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो स्वस्थ व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है लेकिन संक्रमण का लक्षण आने में पांच से 15 साल तक का समय लग सकता है । इसके संक्रमण से अगर हाथीपांव हो जाए तो जीवन बोझ बन जाता है। मच्छरों से बचाव और साल में एक बार तीन साल तक मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यानि एमडीए राउंड के दौरान दवा के सेवन से इससे बचा जा सकता है। दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से ग्रसित को छोड़कर सभी को इस दवा का सेवन करना जरुरी है ।