बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा यूपी, योगी सरकार ने सीड पार्क स्थापना को दी मंजूरी



  • प्रदेश में पांच सीड पार्क स्थापित होंगे, ग्रामीण रोजगार व कृषि अर्थव्यवस्था को मिलेगा नया आयाम
  • सबसे पहले लखनऊ के अटारी में सीड पार्क की होगी स्थापना, 266.70 करोड़ रुपए होंगे खर्च
  • पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न चौधरी चरण सिंह के नाम पर स्थापित किया जाएगा सीड पार्क

लखनऊ । उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य को बीज उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए प्रदेश में पांच सीड पार्कों की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के नाम पर स्थापित किए जाने वाले सीड पार्क को प्रदेश के 5 क्लाइमेटिक जोन में चरणबद्ध तरीके से स्थापित किया जाएगा।  प्रदेश सरकार द्वारा इस योजना के तहत पहले सीड पार्क की स्थापना लखनऊ जिले के अटारी स्थित राजकीय कृषि प्रक्षेत्र की 130.63 एकड़ भूमि पर की जाएगी, जिस पर 266.70 करोड़ रुपए का अनुमानित व्यय होगा। सीड पार्क के माध्यम से बीज उत्पादन, प्रोसेसिंग, भंडारण, स्पीड ब्रीडिंग व हाइब्रिड लैब जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इसके अतिरिक्त, पश्चिमी, तराई, मध्य, बुंदेलखंड एवं पूर्वी जोन में कृषि जलवायु क्षेत्रों के अनुरूप सीड पार्क स्थापित किए जाएंगे।

गुरुवार को लोकभवन सभागार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई। इसके साथ बैठक में कुल 10 प्रस्तावों को अनुमोदन प्राप्त हुआ।

बीज व्यवसायियों को प्रदान की जाएंगी रियायतें : प्रस्ताव के विषय में जानकारी देते हुए कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि सरकार इन सीड पार्कों में निवेश करने वाले बीज व्यवसायियों को विभिन्न रियायतें प्रदान करेगी, ताकि निजी निवेश को बढ़ावा मिल सके। बीज उद्योगों को 30 वर्ष की लीज पर भूमि दी जाएगी, जिसे आवश्यकता अनुसार 90 वर्षों तक बढ़ाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि एक सीड पार्क से लगभग 1200 लोगों को प्रत्यक्ष तथा 3000 लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने की संभावना है। इसके साथ ही लगभग 40,000 बीज उत्पादक किसान इन पार्कों से सीधे तौर पर जुड़ेंगे। पूरे प्रदेश में पांच सीड पार्कों की स्थापना से 6000 प्रत्यक्ष एवं 15,000 अप्रत्यक्ष रोजगार अवसर सृजित होंगे।

कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती : उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा कृषि राज्य है, जिसका कुल कृषि क्षेत्रफल 162 लाख हेक्टेयर है। यहां हर साल लगभग 139.43 लाख कुंतल बीज की आवश्यकता होती है, जबकि वर्तमान में इसकी पूर्ति में प्रदेश को दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। सीड पार्कों की स्थापना से यह निर्भरता समाप्त होगी और स्थानीय स्तर पर किसानों को गुणवत्तायुक्त बीज उचित दामों पर सुलभ होंगे। इसके साथ ही बीज प्रतिस्थापन दर (SRR) में वृद्धि के साथ उत्पादकता बढ़ेगी और इससे प्रदेश के किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। साथ ही, उत्तर प्रदेश गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनकर अन्य राज्यों को भी बीज आपूर्ति करने की स्थिति में आ जाएगा।


71 ग्रामीण विधानसभाओं में 100 करोड़ की लागत से बनेंगे पंचायत उत्सव भवन : योगी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में मांगलिक आयोजनों की सुविधा बढ़ाने के लिए ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में एक विवाह घर बनाने की योजना को मंजूरी दे दी है। मंत्रिपरिषद ने इसे पंचायत उत्सव भवन का नाम दिया है। प्रथम चरण में 71 ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों में इन उत्सव भवनों का निर्माण कराया जाएगा, जिस पर 100 करोड़ रुपए का बजटीय प्रावधान है। प्रत्येक उत्सव भवन पर 1.41 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत आएगी। इसमें उत्तर प्रदेश मातृ भूमि यजना के अंतर्गत दानदाता द्वारा 60 प्रतिशत और राज्य सरकार द्वारा 40 प्रतिशत धनराशि दी जाएगी। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित 7 सदस्यीय कमेटी द्वारा पंचायत उत्सव भवन की भूमि चिह्नित की जाएगी।


नागरिक उड्डयन निदेशालय के संविदा कर्मियों को राहत, योगी कैबिनेट ने पारिश्रमिक पुनर्निर्धारण को दी मंजूरी : योगी सरकार ने नागरिक उड्डयन निदेशालय में संविदा पर कार्यरत तकनीकी व गैर-तकनीकी कार्मिकों के हित में महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए इन संविदा कर्मियों के पारिश्रमिक का पुनर्निर्धारण करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय पायलट, विमानन अभियंता, क्वॉलिटी मैनेजर, अपर निदेशक (तकनीकी), प्रबंधक (परिचालन), चीफ ऑफ फ्लाइट सेफ्टी सहित अन्य पदों पर कार्यरत संविदा कर्मियों पर लागू होगा। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि जबसे सातवां वेतन आयोग लागू हुआ है, इन कर्मियों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा था। ऐसे में पायलट के स्लैब को 2.5-7 लाख से बढ़ाकर 5-10 लाख कर दिया गया है। को-पायलट का वर्तमान स्लैब 1.25 लाख से 6 लाख के स्थान पर 3 लाख से 7 लाख कर दिया गया है। वर्तमान में कार्यरत पायलटों के वेतन में 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इस पर 5 करोड़ 27 लाख रुपए का अतिरिक्त व्यय आएगा।