लखनऊ, 17 मई-2020 - उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना संकट को देखते हुए पूरे प्रदेश में सार्वजानिक स्थलों या घर के बाहर थूकने पर पूरी तरह से रोक लगाने के साथ ही थूकते हुए पकड़े जाने पर 100 रूपये से लेकर 500 रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया है । सरकार के इस फैसले का चिकित्सक, समाजसेवी व आम लोगों ने दिल से स्वागत किया है और जनहित में एक बड़ा फैसला बताया है । ज्ञात हो कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी इस बारे में पिछले हफ्ते सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों को पत्र लिखकर तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगाने, थूकने पर रोक लगाने और जनता को इस बारे में जागरूक करने की बात कह चुके थे ।
कोरोना संक्रमण फैलने का था खतरा : डॉ. सूर्यकान्त
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष व स्टेट टोबैको कंट्रोल सेल के सदस्य डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि सरकार के इस फैसले से कोरोना के संक्रमण के फैलने का खतरा कम होगा । उनका कहना है कि तम्बाकू, पान मसाला या सुपारी चबाने से लार ज्यादा बनती है और बार-बार थूकने की इच्छा होती है । इसलिए इन सभी तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर भी प्रतिबन्ध लगना चाहिए । उनका कहना है कि तम्बाकू उत्पादों के सेवन से 40 तरह के कैंसर और 25 तरह की अन्य बीमारियाँ होती हैं, जिनके चलते देश में हर साल करीब 12 लाख लोग असमय काल के गाल में समा जाते हैं ।
“टोबैको फ्री लखनऊ” का प्रयास रंग लाया : रमेश भैया
पिछले तीन साल से “टोबैको फ्री लखनऊ” कार्यक्रम के तहत जागरूकता और एडवोकेसी में जुटी संस्था विनोवा सेवा आश्रम के संस्थापक रमेश भैया ने फैसले का दिल से स्वागत किया है । उनका कहना है कि उनकी संस्था के प्रयासों और लोगों की एकजुटता के चलते लखनऊ नगर निगम ने तम्बाकू उत्पादों की बिक्री के लिए लाइसेंसिंग प्रणाली को अनिवार्य किया है और अब सार्वजानिक स्थलों पर थूकने पर जुर्माने का प्रावधान करने से लोग इसके सेवन से परहेज करेंगे । उनकी सरकार से मांग है कि तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगे ताकि लाखों लोगों की जान बचायी जा सके ।
अब तो आदत बदलो यारों : प्रभात पाण्डेय
गोमतीनगर निवासी प्रभात पाण्डेय का कहना है कि सरकार के इस फैसले से लोगों के इधर-उधर थूकने की आदतों पर रोक जरूर लगेगी । लोग राह चलते थूक देते थे जो कि पूरे समाज के लिए एक बड़ा खतरा साबित होने के साथ ही कहीं से भी सभ्य समाज का परिचायक नहीं होता था । पार्कों यहाँ तक कि लिफ्ट तक में थूकने से बाज नहीं आते थे, अब जरूरत है कि सरकार के इस फैसले का कड़ाई से पालन हो । लोगों को भी इस बारे में जागरूक होने के साथ ही इसके खतरों को समझना होगा ।