काढ़ा वही जिसमें मात्रा हो सही



- तुलसी की पत्ती, दालचीनी, सोंठ व काली मिर्च का अनुपात सही रखें
- प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के एक से एक प्राकृतिक उपाय हैं आयुर्वेद में

लखनऊ, 31 मई-2020 - आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के एक से एक नायाब प्राकृतिक तरीके मौजूद हैं । इन्हीं में से एक प्रमुख है आयुष क्वाथ यानि काढ़ा, लेकिन यह तभी सबसे अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है जब इसमें प्रयुक्त होने वाली सामग्री की मात्रा सही  हो । इसके अलावा च्यवनप्राश और गोल्डन मिल्क (दूध-हल्दी) भी कोरोना वायरस समेत तमाम ऐसी संक्रामक बीमारियों से लड़ने की ताकत देते हैं जो कि रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के चलते लोगों को घेर लेती हैं ।

​राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश की आयुष इकाई के महाप्रबंधक डॉ. रामजी वर्मा का कहना है कि रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए आयुष क्वाथ (काढ़ा) को चार प्रमुख औषधीय जड़ी-बूटियों-तुलसी की पत्ती, दालचीनी, सोंठ और कृष्ण मरीच (काली मिर्च) मिलाकर तैयार करना सबसे उपयुक्त रहता है । इसके लिए तुलसी पत्ती चार भाग, दालचीनी दो भाग, सोंठ दो भाग और काली मिर्च का एक भाग होना सबसे उपयुक्त होता है । काढ़ा बनाने के लिए सबसे पहले सभी सूखी सामग्रियों से मोटा पाउडर बना लें, तीन ग्राम की पाउच या टी बैग बनाएं या 500 मिलीग्राम पाउडर की गोली बनाएं । 150 मिलीलीटर उबले पानी में इसे घोलकर चाय की तरह एक या दो बार सेवन कर सकते हैं । स्वाद के लिए इसमें गुड़/द्राक्षा/नींबू का रस मिला सकते हैं । इसके अलावा सुबह 10 ग्राम (एक चम्मच) च्यवनप्राश का सेवन करना भी सेहत के लिए फायदेमंद होता है । मधुमेह रोगियों को शुगर फ्री च्यवनप्राश लेना चाहिए । गोल्डन मिल्क- 150 मिलीलीटर गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर पीने से भी शरीर को रोगों से लड़ने की ताकत मिलती है । गुनगुना पानी पीना भी फायदेमंद हो सकता है । इस तरह आयुर्वेद के नुस्खों को आजमाकर और ध्यान व प्राणायाम को अपने जीवन में शामिलकर लोग निरोगी काया पा सकते हैं ।

बरतें जरूरी सावधानी : इसके अलावा कोरोना वायरस से बचने के लिए जब भी बाहर निकलें मुंह व नाक को मास्क/गमछा/रूमाल या स्कार्फ से अच्छी तरह अवश्य ढकें । हाथों को बार-बार साबुन-पानी से धोते रहें और नाक व मुंह को न छुएं । एक दूसरे से दो गज की दूरी रखना भी बहुत जरूरी है । यही छोटे-छोटे उपाय करके कोरोना को मात दी जा सकती है ।