घर-घर जगी स्वच्छता की अलख - आपदा को अवसर में बदल महिलाओं ने पेश की मिसाल



- स्वयं सहायता समूहों ने सेनेटाइजर बना कोरोना से बचाव में की मदद
- 105 लीटर सेनेटाइजर बनाकर आजीविका मिशन को मुहैया कराया
- जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की मदद से महिलाओं का उत्साह बढ़ा

प्रतापगढ़, 19 जुलाई-2020 । स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने आपदा को अवसर में बदलकर जिले में एक मिसाल पेश की है । कोविड-19 वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए बार-बार हाथों की अच्छी तरह से सफाई पर पूरा जोर था, ऐसे में सेनेटाइजर की मांग एकाएक बढ़ गयी । मार्केट में मानक के अनुरूप सेनेटाइजर की किल्लत को देखते हुए जिला प्रशासन ने राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत कार्य कर रहे स्वयं सहायता समूहों को इसके लिए सक्रिय किया । स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त कर घर में ही पूरी तरह से मानक पर खरे उतरने वाले सेनेटाइजर को तैयार किया, जिसकी आज हर कोई सराहना कर रहा है ।

​राष्ट्रीय आजीविका मिशन के उपायुक्त ओ. पी. यादव का कहना है कि स्वयं सहायता समूह की महिलाएं किसी भी विषम परिस्थिति में लोगों की मदद को तत्पर रहती हैं । ऐसे में जिले में सेनेटाइजर की किल्लत होने पर जिलाधिकारी डॉ. रूपेश कुमार, मुख्य विकास अधिकारी डॉ. अमित पाल शर्मा और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. ए.के. श्रीवास्तव ने इसके लिए स्वयं सहायता समूहों से आगे आने की अपील की । महिलाओं को इसके लिए बाकायदा प्रशिक्षण दिया गया और उसके बाद वह घर-परिवार की देखभाल के साथ ही सेनेटाइजर तैयार करने में जुट गयीं ।

​महिलाओं का उत्साहवर्धन करने के साथ ही सेनेटाइजर की गुणवत्ता पर भी पूरी तरह से निगाह रखने में जुटीं डिस्ट्रिक्ट मिशन मैनेजर (एमआईएस-एमई) सुनीता सरकार और डिस्ट्रिक्ट मिशन मैनेजर (वित्तीय समावेशन) रतन कुमार मिश्रा का कहना है कि लाक डाउन के चलते सेनेटाइजर बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री का मिलना मुश्किल हो रहा था, लेकिन सच कहा गया है कि “जहाँ चाह-वहां राह” । इस समस्या के बारे में जब अधिकारियों और साथियों से चर्चा की गयी तो सारी राह आसान हो गयी और आस-पास के जनपदों और लोगों की मदद से सारी सामग्री मिल गयी और महिलाओं ने दिन-रात मेहनत करके 105 लीटर मानक पर खरा सेनेटाइजर बनाकर अधिकारियों को मुहैया करा दिया । इस काम में जिले के 10 स्वयं सहायता समूह की 40 महिलाएं पूरी तत्परता से जुटीं थीं । मानक के अनुरूप बनने वाले सेनेटाइजर में 70 फीसद अल्कोहल और 30 फीसद डिस्टिल वाटर, ग्लीसरीन व एथनाल की मात्रा होती है । इस सबको अच्छी तरह से मिलाकर और सारी प्रक्रिया से गुजारने के बाद फिर पैकिंग की जाती है ।  

मांग के अनुरूप अलग-अलग वजन में उपलब्ध : 100 मिलीलीटर से लेकर पांच लीटर के केन में सेनेटाइजर तैयार किया गया। जिले के ग्रामीण बैंक के कर्मचारियों के लिए भी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने सेनेटाइजर और मास्क तैयार कर मुहैया कराया है । कई विभागों ने अपने दफ्तर के लिए पांच लीटर के केन ख़रीदे ।    

आपदा काल में मिला आर्थिक संबल : इस कार्य में जुटीं 40 महिलाओं के परिवारों को इस आपदा काल में इससे आर्थिक संबल भी मिला, महिलाओं को काम के हिसाब से आर्थिक फायदा भी हुआ, जिससे उनकी घर-गृहस्थी की गाड़ी आसानी से आगे बढ़ सकी । सेनेटाइजर बनाने के कार्य में जुटीं माँ शीतला स्वयं सहायता समूह की उर्मिला, अरुणा, मोनिका और मनीषा का कहना है कि कोरोना जैसे मुश्किल वक्त में इस काम से मिली राशि परिवार के भरण-पोषण में बहुत ही काम आई ।