चली तो अकेले थी, लोग आते गए कारवां बनता गया - सैकड़ों महिलाओं के जीवन में रोशनी बिखेरनी वाली शबीना की कहानी उन्हीं की जुबानी



-    नादिरा व नसरीन के जीवन में आई खुशहाली से मिली राह

अयोध्या, 13 अगस्त-2020 - जनपद की सैकड़ों महिलाओं के जीवन में रोशनी बिखेरने वाली शबीना खातून कहती हैं कि उनके प्रयास से ग्राम पंचायत संडवा-मवई ब्लाक की नादिरा व नसरीन के जीवन में आई खुशहाली ने एक नई राह दिखाई । उसके बाद उन्होंने ठान लिया कि गाँव की हर महिला को आत्मनिर्भर बनाना उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य है । इसका नतीजा रहा कि इस समय गाँव की सैकड़ों महिलाएं किसी न किसी रोजगार से जुड़ीं हैं और उनके जीवन स्तर में बदलाव साफ़ नजर आता है। इस बदलाव के बयार की तारीफ जिले में ही नहीं अपितु प्रदेश स्तर पर भी की जाती है, जिसके लिए शबीना को कई पुरस्कारों से नवाजा भी जा चुका है । इस पर वह सरल अंदाज में कहती हैं- “ चली तो अकेले थी......लोग आते गए कारवां बनता गया ।”

लाक डाउन के दौरान जहाँ लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया था, वहीँ ग्राम पंचायत- संडवा-मवई में शबीना के स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं महिलाएं और प्रवासी अपने हुनर से परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी अच्छे से निभा रहे थे । वह बताती हैं कि गाँव व आस-पास की 150 महिलाएं मुझसे जुड़ीं हैं और वर्ष 2014 में रिकार्ड छह समूहों का गठन एक दिन में किया था । छह साल से इन समूहों के अध्यक्ष की जिम्मेदारी उनके कन्धों पर है । इस कारण उनका प्रयास रहता है कि सभी समूह को बराबर काम मिलता रहे ताकि घर-गृहस्थी की गाड़ी में कोई रुकावट न आने पाए । इसके लिए स्कूल ड्रेस, अचार, मुरब्बा, अगरबत्ती व दीप बत्ती आदि का काम दिलाकर आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का प्रयास अनवरत जारी है । प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही मीडिया और स्थानीय लोगों का भी सहयोग रहता है । शुरुआत में तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी रबीश कुमार, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के बीडीओ राम बहाल यादव और एडीओ (आईएसबी) घीसम के प्रयास का ही परिणाम रहा कि आज वह इस मुकाम पर पहुँच सकी हैं ।   

शबीना बताती हैं कि गाँव की नादिरा व नसरीन ने सबसे पहले अपने हुनर के बल पर जीवन  में बदलाव लाकर यह सीख दी, जिसके बाद उनके प्रयास से 72 महिलाओं को खुद का रोजगार मिल चुका है और स्कूली बच्चों के ड्रेस की सिलाई का काम मिलने से करीब 135 और लोगों को भी रोजगार मिला है । कोरोना काल में समूहों ने 40,000 खादी के मास्क तैयार किये, जिससे आर्थिक स्थिति मजबूत बनी । सफाईकर्मियों, पुलिसकर्मियों, प्रशासन, बैंक, मीडिया, गैस एजेंसी और दूध डेयरी पर काम करने वालों को मुफ्त में मास्क प्रदान किये गए ।

शबीना के समूह में बनी बाती से रोशन हुई अयोध्या : पिछले साल अयोध्या में दीप उत्सव के लिए एक लाख बाती ( दीप बत्ती) शबीना के समूहों से ही बनकर गयी थी, जिससे अयोध्या रोशनी से जगमगा उठी थी । समूहों की इस तरह के कामों में खूब दिलचस्पी रहती है और वह पूरे मनोयोग के साथ उसे करते भी हैं ।  

स्वतंत्रता दिवस पर होगा अपना कार्यालय : ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने की इसी पहल को देखते हुए ग्राम प्रधान निशात खां ने समूह सञ्चालन के लिए कार्यालय का निर्माण कराया है, जिसका स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त 2020) पर शुभारम्भ किया जाएगा ।

बचपन की सीख से आगे बढ़ने की मिली राह : अतीत के झरोखों में झांकते हुए शबीना बताती हैं कि दूसरों की मदद के लिए सदैव तत्पर रहने की सीख उन्हें विरासत में अपने दादा से मिली थी । वह कहती हैं कि जब वह छोटी थीं तभी ठान लिया था कि जीवन में गिरे हुए पर हँसना नहीं बल्कि उसे उठाने में विश्वास रखना चाहिए .....यह सीख उन्हें कक्षा-5 में पढाई के दौरान ही मिल गयी थी जब बारिश के मौसम में एक विकलांग के साइकिल से गिर जाने के बाद अन्य बच्चों के साथ हंसने के बजाय वह उसे उठाने को दौड़ पड़ीं थीं, उस व्यक्ति से मिली सीख को वह अपनी अमूल्य थाती मानती हैं और आज भी समाज के कमजोर वर्ग को आगे बढाने की उनकी मुहिम अनवरत जारी है ।

पुरस्कारों ने बढाया मनोबल : शबीना मानती हैं कि राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन ने उन्हें और उनके समूहों को नई पहचान दी । स्वच्छता के प्रति जागरूकता के लिए जिले के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा चार बार सम्मानित किया गया । बेटी पढाओ-बेटी बचाओ अभियान समेत अब तक कुल नौ बार सम्मानित किया जा चुका है ।