लखनऊ , 21 अगस्त 2020 - कोरोना संक्रमण से बचने के लिए बार-बार हाथ धोना या सेनिटाइज करना, मास्क लगाना और सार्वजनिक स्थानों पर दो गज की दूरी मुख्य हथियार हैं लेकिन इसके साथ ही हमें कुछ अन्य बातों के प्रति भी ध्यान रखना चाहिए ताकि हम इस बीमारी से बचे रहें |
राजकीय आयुर्वेद संस्थान व अस्पताल के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डा. मनदीप जायसवाल का कहना है कि - कोरोना वायरस नाक और गले की म्यूकस मेम्ब्रेन के रास्ते हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं और 14 दिनों तक अपना प्रसार करने के बाद फेफड़ों को संक्रमित करते हैं |
यदि वायरस एक बार फेफड़ों को संक्रमित कर देता है तो मरीज की हालत गंभीर हो जाती है | रोग पर नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है | कभी - कभी मरीज की मृत्यु भी हो जाती है |
डा. मनदीप बताते हैं- हमें अपने श्वसन तंत्र को संक्रमण से बचाने के लिए गर्म पेय का सेवन करना चाहिए साथ ही गरारा और भाप लेने से सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे | गर्म पानी का सेवन करें | अगर खांसी जुकाम जैसे लक्षण दिखें तो गर्म पानी में सेंधा नमक डालकर गरारा करें | तुलसी, नीम की पत्तियां, अजवाइन , हल्दी , कपूर और पुदीना डालकर भाप लेने से भी लाभ मिलता है | मुलेठी, कुलान्जा, भुनी लौंग या कत्था चूसने से भी फायदा मिलता है |
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला आयुष काढ़ा श्वसन तंत्र को भी साफ़ रखता है लेकिन यह ध्यान रखने वाली बात है कि काढ़े में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों की मात्रा सही हो | इसको बनाने में तुलसी पत्ते का चार भाग, मुनक्का चार भाग, दालचीनी 2 भाग, सोंठ का दो भाग और काली मिर्च का एक भाग होना सबसे उपयुक्त है | इन सभी सामग्रियों को दरदरा पीसकर 500 मिली पानी में धीमी आंच पर उबालें और जब उसकी मात्रा आधी रह जाए तो छान लें | स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें नीबू या गुड़ का उपयोग कर सकते हैं | डायबिटीज के मरीज को गुड़ का प्रयोग नहीं करना चाहिए |
छींकते व खांसते समय मुड़ी हुयी कोहनी का प्रयोग करना चाहिए | यदि नैपकिन का प्रयोग कर रहे हैं तो उपयोग के बाद बंद डस्टबिन में नैपकिन को फेंकें | बहुत जरूरी न हो तो घर से बाहर न जाएँ | सार्वजनिक स्थानों पर दूसरों से 6 फीट की दूरी बनाये रखें | जब भी घर से बाहर जाएँ मास्क जरूर लगायें |