कोविड के प्रोटोकॉल अपनाएं कोरोना को हराएं



  • आशा संगिनी, आशा और एएनएम की वर्चुअल कार्यशाला में स्वास्थ्य के मुद्दों पर हुई चर्चा
  • कोविड को लेकर समुदाय में उपजे भेदभाव व भ्रांतियों को दूर करें:दया शंकर
  • परिवार कल्याण कार्यक्रम पर बात करना जरूरी : यूपीटीएसयू की संचार विशेषज्ञ
  • लोगों को इस तरह जागरूक करें कि वह सेवाओं को लेने के लिए खुद आगे आयें : रंजना

हरदोई, 29 अगस्त 2020 - कोविड-19 के दौर में भी मातृ-शिशु, प्रजनन व पोषण संबंधी स्वास्थ्य सेवाओं को समुदाय तक पहुंचाने के साथ ही इस आपदा से निपटने को लेकर लोगों को जागरूक करने में जुटीं फ्रंटलाइन वर्कर (आशा/आशा संगिनी व एएनएम) हेतु शनिवार को एक वर्चुअल कार्यशाला आयोजित की गयी । स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में यूनिसेफ, उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपीटीएसयू) व सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला में उन्हें वर्तमान चुनौतियों से निपटने के गुर सिखाये गए । कार्यशाला का विषय था – “कोविड-19 एवं प्रजनन, मातृ-शिशु,बाल स्वास्थय,किशोर स्वास्थ्य और पोषणसंबंधी सेवाओं का संचार एवं चुनौतियां” । कार्यशाला का प्रारंभ सभी का स्वागत करते हुए जिला स्वास्थय शिक्षा एवं सूचना अधिकारी (डीएचईआईओ) प्रेम चन्द्र यादव ने किया |

यूपीटीएसयू की संचार विशेषज्ञ ने बताया-  कोविड के दौरान ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस(वीएचएनडी), गृह आधारित नवजात देखभाल (एचबीएनसी), परिवार नियोजन, टीकाकरण सहित सभी स्वास्थ्य सेवाएँ स्थगित कर दी गयीं थीं जिन्हें फिर से नए दिशा निर्देशों के साथ शुरू किया गया है। उन्होंने  कहा- वीएचएनडी, गृह भ्रमण और एचबीएनसी के दौरान आप सभी को कोविड से बचाव के सभी प्रोटोकोल का पालन करना है । किसी के घर की कुण्डी और दरवाज़ा नहीं खटखटाना है, परिवार के सदस्यों को घर से बाहर बुलाकर बात करनी है ।   वीएचएनडी के दौरानउचित दूरी का ध्यान रखते हुए सेवाएं देनी हैं । यह सुनिश्चित करना है कि सत्र पर सभी मास्क लगाये हों, बाल्टी पानी व साबुन की व्यवस्था हो ताकि सत्र पर हाथ धोने के बाद ही लोग अन्दर आयें । यदि आशा -एएनएम को खांसी, बुखार जैसे कोई दिक्कत है तो वह इस काम पर न आयें।  कन्टेनमेंट ज़ोन में सत्र का आयोजन नहीं करना है । जिन घरों में कम वजन का बच्चा हुआ हो या समय पूर्व बच्चे का जन्म हुआ हो या बच्चा एसएनसीयू से वापस आया है या घर में ही प्रसव हुआ हो उन घरों में एचबीएनसी को प्राथमिकता देनी है । साथ ही समुदाय को टीकाकरण के लिए भी जागरूक करें । गर्भवती को बताएं कि खतरे के लक्षण दिखने पर 102 एम्बुलेंस को काल करें और अस्पताल जाएँ लेकिन यदि गर्भवती कोरोना से संक्रमित है तो वह 108 को काल करे । यह समय परिवार नियोजन पर बात करने का है क्योंकि अनचाहा गर्भ जहाँ परिवार के सपनों को प्रभावित करता है |

इस अवसर पर यूनिसेफ से दयाशंकर ने कोविड को लेकर जो भ्रांतियां और भेदभाव हैं उस पर चर्चा करते हुए बताया कि इनको दूर करने में फ्रंट लाइन वर्कर्स की अहम् भूमिका है । वह समुदाय में इस पर अवश्य चर्चा करें और केवल तथ्यात्मक संदेशों को ही समुदाय तक पहुंचाएं क्योंकि समुदाय में वह लोग स्वास्थ्य विभाग  का प्रतिनिधित्व करती हैं । उन्होंने पोलियो को ख़त्म करने में जिस तरह से सराहनीय भूमिका निभाई है, उसी तरह से कोरोना को हारने में भी आगे आयें ।

इस मौके पर सीफॉर की नेशनल प्रोजेक्ट लीड रंजना द्विवेदी ने स्वास्थ्य संचार के महत्त्व को बताते हुए कहा कि कोविड के साथ-साथ प्रजनन, मातृ-शिशु, नवजात, किशोर स्वास्थ्य के अलावा पोषण के स्वास्थ्य संदेशों को समुदाय तक इस तरह पहुँचाना है कि वह इन सेवाओं को लेने के लिए स्वयं आगे आयें ।

वेबिनार के अंत में डीएचईआईओ ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह वर्चुअल कार्यशाला फ्रंत्लाइन वर्कर्स के लिए बहुत उपयोग रही इसके माध्यम से उन्होंने अपनी शंकाओं का समाधान किया | उन्होने कहा इस तरह की कार्यशाला नियमित टीकाकरण को लेकर भी होनी चाहिए ताकि हमारी फ्रंटलाइन वर्कर्स जो कि समुदाय में काम कर रही हैं उनकी समस्याओं का समाधान हो सके |
कार्यक्रम के अंत में खुले सत्र में प्रतिभागियों ने सवाल जवाब किये|  कोथावां  ब्लाक की आशा कार्यकर्ता  सरोजिनी ने  पूछा कि   यदि कोई गर्भवती महिला कोरोना के डर से जांच के लिए अस्पताल नहीं जा रही है ऐसी स्थिति में हम क्या करेंगे | भरखनी ब्लाक के  पाली उपकेन्द्र के सवायजपुर की आशा कार्यकर्ता शबाब ने पूछा कि यदि कोई नवजात कोरोना से पीड़ित है तो हमें  कैसे पता चलेगा |  फ्रंट लाइन वर्कर्स की इस तरह की शंकाओं का समाधान विशेषज्ञों द्वारा किया गया | इस अवसर पर जिला समुदाय प्रक्रिया प्रबंधक(डीसीपीएम) शिव कुमार सिंह सहित जनपद के ब्लाक स्तर के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी,  समुदाय स्वास्थ्य अधिकारी और फ्रंट लाइन वर्कर ने प्रतिभाग किया  |