सभी ने साथ निभाया,मानसी को सुपोषित बनाया



  • मां, आंगनबाड़ी, आरबीएसके और एनआरसी की पहल लायी रंग
  • आपसी समन्वय की अनूठी मिसाल से आठ माह की बच्ची को मिली सुपोषण की राह
  • आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने दी थी एनआरसी के बारे में जानकारी

गोरखपुर - आपसी समन्वय की अनूठी मिसाल पेश करते हुए आठ माह की बच्ची मानसी को सुपोषित बनाया जा चुका है । चरगांवा ब्लॉक के खुटहन गांव की रहने वाली मानसी की मां ममता को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मीरा यादव ने आश्वासन दिया था कि बच्ची को स्वस्थ बना देंगी। बच्ची के साथ मीरा ने चरगांवा ब्लॉक के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम ए के डॉक्टर पवन कुमार सिंह से संपर्क किया। उनकी पहल पर आरबीएसके टीम ने बच्ची को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती करवाया जहां अच्छी देखरेख के बाद सुपोषित होकर बच्ची अब डिस्चार्ज हो चुकी है ।

ममता (22) की शादी डेढ़ साल पहले अशोक के साथ हुई। मानसी उनकी पहली बेटी है। ममता बताती हैं कि जब मानसी पैदा हुईं तो वह स्वस्थ थी लेकिन एक महीने बाद बच्ची को निमोनिया हो गया। मुंह में छाले पड़ गये और बच्ची ने स्तनपान भी छोड़ दिया । निजी अस्पतालों में दिखाया लेकिन सिर्फ दवाएं  मिलीं और कोई लाभ नहीं पहुंचा। बच्ची दिन प्रतिदिन कमजोर होती गयी । सातवें महीने में बच्ची ने जब अर्धठोस आहार तक लेना नहीं शुरू किया तो वह और कमजोर होने लगी । बच्ची बैठ भी नहीं पाती थी। इसी बीच गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मीरा उनके घर आईं और बताया कि ऐसी बच्ची का निःशुल्क इलाज सरकारी अस्पताल में हो जाता है ।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बताती हैं कि बच्ची की मां और दादी सावित्री देवी उसके इलाज के प्रति काफी संवेदनशील थीं लेकिन उन्हें सही राह नहीं मिल रही थी ।उन्होंनेगृह भ्रमण के दौरान बच्ची की हालत देखी तो अस्पताल ले जाने का सुझाव दिया। वह लोग तैयार हो गयीं । नौ अप्रैल को बच्ची और उनकी मां के साथ चरगांवा पीएचसी गई और वहां पर आरबीएसके चिकित्सक डॉ पवन कुमार सिंह, डॉ वीके सिंह, स्टॉफ नर्स पुनीता पांडेय और फार्मासिस्ट विमल वर्मा की टीम से मिलीं । उन लोगों न बच्ची को देखने के बाद एनआरसी में भर्ती करने की सलाह दी। टीम खुद बच्ची, उन्हें और बच्ची की मां को अपनी गाड़ी से लेकर एनआरसी गयी ।

चिकित्सक डॉ पवन कुमार सिंह का कहना है कि आरबीएके टीम गांवों में जाकर सरकारी स्कूलों और आंगनाड़ी केंद्रों पर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करती है। इस दौरान शिक्षकों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बताया जाता है कि अति कुपोषित बच्चों को लेकर आरबीएसके टीम से संपर्क कर सकते हैं । यही वजह है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने टीम से संपर्क किया और बच्ची का इलाज हो सका ।

मानसी की मां ममता बताती हैं कि एनआरसी में चिकित्सक, डायटिशियन पद्मिनी और वहां के स्टॉफ का व्यवहार काफी अच्छा था। जब तक वहां रहीं उन्हें और उनके बच्चीको पौष्टिक भोजन दिया गया । बच्ची को दूध, अंडा, दाल, रोटी, खिचड़ी और हलुआ आदि दिया गया। जब बच्ची भर्ती हुई थी तो उसका वजन 4.3 किलो था, लेकिन जब डिस्चार्ज हुई तो पांच किलो वजन हो चुका था। अब बच्ची स्तनपान भी कर रही है और पूरक आहार भी ले रही है । उन्हें सलाह मिली है कि बच्ची को अनार का जूस और पौष्टिक भोजन देते रहना है । अगले 10 मई को फॉलो अप के लिए बुलाया गया है ।

 आंगनबाड़ी केंद्र लें प्रेरणा : आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मीरा यादव का प्रयास सराहनीय है। बाकी केंद्रों को भी आरबीएसके टीम से समन्वय बना कर अति कुपोषित बच्चों को सुपोषित करना चाहिए । समय-समय पर बच्चों का वजन कर और गृह भ्रमण कर कुपोषित बच्चों का फॉलो अप भी किया जाना चाहिए। समुदाय को चाहिए कि अपने अति कुपोषित बच्चों को भर्ती करवाने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद करें।