फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एमडीए अभियान शुरू



  • साल में एक बार जरूर दवा खाएं और फाइलेरिया से बचें: सीएमओ
  • कुरूपता और अपंगता की बीमारी है फाइलेरिया
  • एक बार हाथीपांव होने के बाद सिर्फ नियंत्रण संभव, नहीं हो पाता है पूरी तरह ठीक
  • सीएमओ समेत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने फाइलेरिया से बचाव की  दवा का किया सेवन
  • जिले में 27 मई तक चलेगा घर-घर दवा खिलाने का अभियान

गोरखपुर - फाइलेरिया या हाथीपांव कुरूपता और अपंगता की बीमारी है । इससे बचाव का सबसे सरल और आसान उपाय है कि साल  में एक बार चलने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) राउंड के दौरान पांच साल तक लगातार फाइलेरिया से बचाव की  दवा का सेवन किया जाए । इस दवा का सेवन न करने वालों को अगर एक बार हाथीपांव हो जाता है तो बीमारी पर सिर्फ आंशिक नियंत्रण संभव है,  इसका संपूर्ण इलाज नहीं हो सकता। इसलिए आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की टीम जब किसी के घर जाए तो उसके सामने दवा का सेवन अवश्य करें। यहबातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने वृहस्पतिवार को सीएमओ कार्यालय के प्रेरणा श्री सभागार से एमडीए अभियान का शुभारंभ करते हुए कहीं । इस मौके पर सीएमओ समेत सभी अधिकारीगण ने वर्चुअली उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक का संबोधन भी सुना ।

इस मौके पर सीएमओ समेत स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारियों ने भी दवा का सेवन किया । सीएमओ ने खुद दवा खाने के बाद 11 वर्षीय बच्चे अंशुमान पटेल को भी दवा खिलाया । यह अभियान 27 मई तक चलेगा। जिले के सभी ब्लॉक  और शहरी क्षेत्र में भी अभियान का शुभारंभ एक साथ किया गया । अभियान में आईसीडीएस, शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग, नगरीय निकाय विभाग समेत कुल 14 सरकारी विभाग, विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल(पीसीआई) और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च(सीफार) जैसी स्वयंसेवी संस्थाएं भी स्वास्थ्य विभाग को सहयोग प्रदान कर रही हैं ।

सीएमओ ने बताया कि विश्व के 40 फीसदी फाइलेरिया मरीज भारत में ही रहते हैं । देश के 256 जिले जबकि प्रदेश के 50 जिले फाइलेरिया प्रभावित हैं। भारत में 60 करोड़ से ज्यादा लोगों पर फाइलेरिया का खतरा है । देश में 8.4 लाख लोग हाथीपांव जबकि 3.8 लाख लोग हाइड्रोसील से ग्रसित हैं। फाइलेरिया के कारण होने वाले हाइड्रोसील की तो सर्जरी हो जाती है लेकिन हाथ, पैर, स्तन या शरीर के अन्य अंगों का सूजन पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है । जिले में स्वास्थ्य विभाग की देखरेख में 2332 फाइलेरिया रोगियों का इलाज चल रहा है। वर्ष 2020 में 389 हाइड्रोसील के मरीज चिन्हित किये गये । इस बीमारी से और लोग न पीड़ित हों, इसके लिए सभी का दवा सेवन करना अनिवार्य है।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एके चौधरी ने बताया कि फाइलेरिया वुचरेरीआ बेनक्रोफटाई नामक परजीवी से होता है  जो कि क्यूलेक्स क्विनकीफासिएटस प्रजाति के मच्छर काटने से फैलता है। इस बीमारी के परजीवी मनुष्य के लसिका तंत्र में रहते हैं । संक्रमित होने के बाद लक्षण आने में 15 और कभी-कभी 20 साल भी लग जाते हैं । संक्रमित व्यक्ति से बीमारी का प्रसार होता है और उसकी लसिका तंत्र में क्षति पहुंचती रहती है । लंबे समय तक बीमारी बने रहने से हाथ, पैर, स्तन में सूजन (हाथीपांव) और अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील) हो जाता है । हाथीपांव के रोगियों में बैक्टेरियल संक्रमण होता है जिससे तेज ज्वर, सूजन एवं दर्द होता है । हाथीपांव के मरीज बिस्तर तक सीमित हो जाते हैं और उनकी दिनचर्या व रोजी-रोटी भी प्रभावित होती है। सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के तहत साल में एक बार डीईसी और एलबेंडाजोल की गोली का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ता के सामने करके इस बीमारी से बचा जा सकता है । दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार को छोड़कर अन्य सभी को दवा का सेवन करना अनिवार्य है ।

जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि हाथीपांव के मरीजों को जिले में मार्बिडिटी मैनेजमेंट किट दी जा रही है और उन्हें घाव के देखभाल के सही तरीके भी बताए जा रहे हैं । एमडीए अभियान के दौरान यह संदेश भी देना है कि दवा के सेवन करने से उन लोगों में प्रतिक्रिया देखने को मिलती है जिनके भीतर परजीवी मौजूद होते हैं, लेकिन यह लक्षण थोड़े देर में स्वतः ठीक हो जाते हैं । इनसे किसी को भी चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। दवा का सेवन हमेशा खाना खाने के बाद ही करना है । अगर दवा के सेवन के बाद  सिरदर्द, बुखार, थकान, मांसपेशियों या जोड़ो में दर्द, चक्कर आने, उल्टी या मतली, पेट में दर्द या डायरिया के लक्षण दिखें तो घबराएं नहीं । इन लक्षणों का मतलब है कि परजीवियों पर हमला हो रहा है । विशेष परिस्थिति में आशा कार्यकर्ता के जरिये ब्लाक रैपिड रिस्पांस टीम से संपर्क कर सकते हैं ।

इस अवसर पर एसीएमओ डॉ गणेश प्रसाद यादव, डॉ एके चौधरी, डॉ एएन प्रसाद, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी केएन बरनवाल, उप जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सुनीता पटेल, सहायक मलेरिया अधिकारी राजेश चौबे, सीपी मिश्रा, जेई-एईएस कंसल्टेंट डॉ सिद्धेश्वरी, मलेरिया इंस्पेक्टर राहुल, वंदना, प्रवीण समेत सभी इंस्पेक्टर व मलेरिया विभाग के कर्मचारियों, पीसीआई संस्था के रिजनल कोआर्डिनेटर विकास द्विवेद्वी, डीसी प्रणव पांडेय, वरिष्ठ स्वास्थ्यकर्मी मनीष त्रिपाठी और संदीप राय आदि ने भी दवा का सेवन किया ।

अभियान पर एक नजर

•    लक्षित आबादी-50 लाख
•    कुल टीम-4078
•    पर्यवेक्षक-815
•    एक टीम एक दिन में 25 घर जाकरदवा खिलाएगी
•    सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक चलेगा अभियान