आंगनबाड़ी और आरबीएसके ने आसान की सुपोषण की राह



  • एनआरसी में भर्ती कराने से सेहत में आया सुधार
  • चिकित्सकीय देखरेख के साथ मिलता है पोषक भोजन

गोरखपुर - कुपोषण की जद में आने के बाद भी श्रम ह्रास, गरीबी और कई अन्यप्रकार की धारणाओं के कारण अभिभावक बच्चों को चिकित्सकीय सलाह पर भी पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती नहीं कराना चाहते हैं। इस तरह के  लोगों को यदि एनआरसी के फायदों के बारे में ठीक से समझ  आ जाती है तो कई बार उनका व्यवहार बदल भीजाता है । जिले की कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम के प्रयासों से कुपोषित बच्चों को सुपोषण की राह मिल रही है । इन बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया जाता है जहां चिकित्सकीय देखरेख के साथ पोषक भोजन भी मिलता है ।

चरगांवा ब्लॉक क्षेत्र के ठाकुरपुर नंबर एक गांव की सौम्या (4 वर्ष) की कहानी भी कुछ ऐसी ही है । बच्ची बचपन से ही कमजोर थी। दूध तक नहीं पीती थी । दूध पीने पर बच्ची को उल्टी हो जाती थी । अप्रैल 2020 में जब बच्ची की स्क्रीनिंग हुई तो उसका वजन महज आठ किलो था । गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उर्मिला ने बताया कि उन्होंने बच्ची के मां को घर बुलाया और एनआरसी के बारे में बताया, लेकिन उसका परिवार भर्ती करवाने के लिए तैयार नहीं था । गांव में 26 अप्रैल को आरबीएसके की टीम आई तो आंगनबाड़ी ने बच्ची को केंद्र परबुलवाया और टीम के चिकित्सक डॉ मनोज मिश्रा को दिखाया। उन्होंने आंगनबाड़ी को सलाह दी कि बच्ची को लेकर 30 अप्रैल को चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे । उर्मिला बताती हैं कि बच्ची के माता पिता चरगांवा भी जाने को तैयार नहीं थे लेकिन काफी समझाने के बाद मान गये । उन्हें बताया गया कि पूरा इलाज निःशुल्क मिलेगा ।

उर्मिला बताती हैं कि चरगांवा पीएचसी से आरबीएसके टीम के चिकित्सकों के साथ टीम के सरिता व गरिमा ने बच्ची को ले जाकर बीआरडी मेडिकल कालेज स्थित एनआरसी में भर्ती करवा दिया । जब बच्ची भर्ती हुई तो उसका वजन आठ किलो था । सौम्या के पिता दिनेश पेशे से मजदूर हैं जबकि मां शोभा गृहिणी हैं। दिनेश ने बताया कि सौम्या के भर्ती रहने के दौरान उसकी मां शोभा ही बच्ची के साथ रहीं । उन्हें डर था कि मेडिकल कालेज में अच्छी सुविधा नहीं मिलेगी, लेकिन जब तक बच्ची भर्ती रही अच्छी व्यवस्था मिली । उन्हें मजदूरी के नुकसान का भी भय था लेकिन उनके दस्तावेज जमा कराए गये हैं और बताया गया है कि उनके खाते में पैसे भी भेजे जाएंगे । बच्ची के साथ रहने वाली उसकी मां शोभा का कहना है कि भर्ती रहने के दौरान बच्ची को डॉक्टर देखने के लिए आते थे। दूध, अंडा, फल, खिचड़ी आदि पोषक भोजन मिलता था। इससे बच्ची का वजन बढ़ कर 21 मई तक 10 किलो हो गया । शोभा को भी खाना मिलता था । केंद्र से डिस्चार्ज होने के बाद भी इलाज व फॉलो अप जारी है ।

36 बच्चे हुए सुपोषित : आरबीएसके कार्यक्रम की डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना ने बताया कि मार्च 2022 से जून 2022 तक जिले की विभिन्न आरबीएसके टीम ने आंगनबाड़ी के सहयोग से 36 बच्चों को एनआरसी में भर्ती करवाया । सभी बच्चे चिकित्सकीय देखरेख और पोषण से स्वस्थ हो चुके हैं । यह टीम गांव के प्राथमिक स्कूल और आंगबाड़ी केंद्र का विजिट करती है । कोई भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता या आशा कार्यकर्ता के जरिये टीम से संपर्क कर अपने पाल्यों को सुपोषित करने में मदद ले सकता है ।

एनआरसी की भूमिका अहम : मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि एनआरसी का संचालन बीआरडी मेडिकल कालेज में हो रहा है । चिकित्सक की सलाह पर वहां कुपोषित बच्चे भर्ती होते हैं।भर्ती होने के दौरान बच्चे की मां या एक अभिभावक को निशुल्क पौष्टिक आहार मिलता है । बच्चे को दवा, दूध, खाना- सब नि:शुल्क है। बच्चे की हर तरह की चिकित्सकीय जांच व दवा की निशुल्क सुविधा मिलती है। बाल रोग विशेषज्ञ बच्चे की नियमित जांच करते हैं । घर ले जाने से पहले बच्चे के खानपान से संबंधित काउंसिलिंग की जाती है। श्रम ह्रास के लिए 100 रुपये प्रतिदिन की दर से बच्चे के अभिभावकों के खाते में पैसे भी दिये जाते हैं।