- घाघरा नदी के किनारे बाढ़ की स्थिति से निबटने के लिए हुई माक ड्रिल
- चिकित्सा विभाग के साथ एसडीआरएफ व पुलिस के जवान भी रहे मौजूद
संतकबीरनगर - बाढ़ जैसी आपातकाल स्थिति से निपटने के लिए घाघरा नदी किनारे बिड़हरघाट पर आपदा राहत मॉक ड्रिल हुई। चिकित्सा विभाग, एसडीआरएफ व पुलिस – प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस मॉक ड्रिल में लोगों को बाढ़ से निपटने के तरीकों के बारे में जानकारी दी गई। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने लोगों को यह बताया कि बाढ़ के दौरान दूषित जल कदापि न पीयें, साथ ही मच्छरों से भी बचें। साफ सफाई का पूरा ध्यान दें।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ अनिरुद्ध सिंह के निर्देशन में मॉक ड्रिल में गयी स्वास्थ्य विभाग की टीम का नेतृत्व कर रहे अपर मुख्य चिकित्साधिकारी / जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ आर पी मौर्या ने मौके पर उपस्थित ग्रामीणों को बताया कि बाढ़ के दौरान सबसे बड़ी समस्या जल की होती है। बाढ़ में हैण्डपम्प भी दूषित जल देने लगते हैं। ऐसी स्थिति में पानी को क्लोरीन की गोलियों से शोधित करके ही पीएं। दूषित जल कदापि न पिएं । दूषित जल से संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इस दौरान एपीडेमियोलॉजिस्ट ( जिला महामारी रोग विशेषज्ञ ) डॉ मुबारक अली ने लोगों को इस बात की जानकारी दी कि गांव की आशा कार्यकर्ता व स्वास्थ्य विभाग की चौकी पर क्लोरीन की गोलियां रखी जाती हैं। इन क्लोरीन की गोलियों का उपयोग करें। मच्छरों से बचने के लिए शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहनें तथा सोते समय मच्छरदानी का उपयोग जरुर करें। मच्छरों से ही डेंगू, कालरा, चिकनगुनिया, जेई/ एईएस, मलेरिया जैसी संक्रामक बीमारियां होती हैं। इन बीमारियों से बचने की जरुरत होती है। बाढ़ के बाद जब पानी हटता है तभी संक्रामक रोगों का प्रसार सबसे अधिक होता है। इसलिए जहां से बाढ़ का पानी हटे वहां पर ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव जरुर कराएं।
इस दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैसर बाजार तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पौली की स्वास्थ्य विभाग की टीम एम्बुलेंस के साथ मौके पर मौजूद रही। टीम ने लोगों को पीने के पानी के क्लोरीनेशन की विधि बताई तथा स्वच्छ जल पीने के लिए लोगों को प्रेरित किया। इस दौरान पुलिस क्षेत्राधिकारी तथा एसडीएम भी मौके पर मौजूद रहे।
डूबे व्यक्ति के शरीर से पानी निकालने का प्रदर्शन : इस दौरान जिला महामारी रोग विशेषज्ञ ने एसडीआरएफ टीम के साथ मिलकर नदी व बाढ़ के पानी में डूबने वाले व्यक्तियों को प्राथमिक उपचार देने के तरीके के बारे में बताया। डूबे हुए व्यक्ति को पीठ के बल एक विशेष तरीके से लिटाकर उसके सीने व पेट को दबाकर पेट व फेफड़े में फंसे पानी को निकालने का तरीका बताया गया।