कानपुर नगर - टीबी को जड़ से खत्म करने की मुहिम तेज हो गई है। इसी क्रम में जिले में अब प्रसव पूर्व जांच के दौरान टीबी जांच की भी होगी। इस संबंध में निर्देश जारी किया गया है।
मिशन निदेशक ने पत्र में लिखा है कि प्रदेश में हर साल लगभग 8000 गर्भवती में टीबी के लक्षण पाए जाते हैं। ऐसे में मां व शिशु के स्वास्थ्य और जीवन पर संकट आ जाता है। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. एपी मिश्रा ने बताया कि सभी चिकित्सा प्रभारियों को गर्भवती की एएनसी जांच के दौरान ही टीबी की जांच करवाने के निर्देश दिए गए हैं। घर-घर जाकर गर्भवती की स्क्रीनिंग कर स्वास्थ्य केंद्र तक लाने की जिम्मा आशा कार्यकर्ता को सौंपा गया है। जांच के बाद टीबी की पुष्टि होने पर डाक्टर की सलाह पर गर्भवती का उपचार किया जाएगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी का कहना है कि उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं में टीबी की संभावना रहती है। बीमारी के बारे में पता न चलने के कारण प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की जान को खतरा रहता है। इन मरीजों की टीबी की जांच कराने के लिए कहा है। टीबी की पुष्टि होने पर उन्हें निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान हर माह 500 रुपये दिए जाएंगे। जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना ने बताया कि जनपद में वर्ष 2022 में 8827 टीबी मरीज पंजीकृत हैं, इसमें 4436 महिलाएं हैं।
यह होगा फायदा : उच्च जोखिम वाली गर्भवती को अधिक जोखिम रहता है। टीबी का नहीं पता चलने पर स्थिति बिगड़ जाती है। महिला का वजन तेजी से कम होता है और कमजोरी आती है। ऐसे में यदि टीबी का समय से पता चल जाएगा तो उपचार हो सकेगा। इससे मातृ-शिशु मृत्यु दर में भी सुधार आएगा। डॉक्टर सुरक्षित प्रसव करा सकेंगे।
संक्रमण का खतरा : गर्भधारण के दिनों में महिला को संक्रमण का खतरा रहता है। तेजी से महिलाएं संक्रमण की चपेट में आती हैं। ऐसे में यदि गर्भवती टीबी मरीज के संपर्क में आती है तो वे उसकी चपेट में जल्दी आ जाती हैं। डॉक्टरों के मुताबिक गर्भवती होने के दौरान महिला की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है।