पुरूषों की सोच को बदला, दो की कराई नसबंदी



  • परिवार नियोजन के लिए प्रेरित कर रहीं गीता देवी

कानपुर नगर - बढ़ती जनसंख्या किसी भी देश व समाज के लिए एक बड़ी समस्या है। इसके नियंत्रण के लिए सरकार कई तरह के कदम उठा रही है। यहां सरकार के परिवार नियोजन संबंधी कार्यक्रमों को जमीन पर उतारने में आशा संगिनियों की भूमिका काफी अहम होती है। देश व समाज की तरक्की के लिए परिवार नियोजन बेहद जरूरी है। इसी बात का महत्व समझते हुए आशा संगिनी गीता देवी  लगातार पुरुषों को प्रेरित करने में जुटी हैं। नतीजा यह कि इस बार जुलाई 27 तक चले पखवाड़े के दौरान ब्लॉक ककवन में कुल चार पुरुषों की नसबंदी हुई जिसमें गीता देवी ने दो नसबंदी देहवा सबसेंटर में करवाई है।

ककवन ब्लाक के देहवा गांववासी गीता देवी वर्ष 2006 में आशा कार्यकर्ता बनीं। अपने बेहतर प्रदर्शन के चलते वह वर्ष 2015 में आशा संगिनी बन गईं। संगिनी के तौर पर प्रेमवती को 25 आशा कार्यकर्ताओं के नेतृत्व की जिम्मेदारी दी गई। उनकी मेहनत अब रंग ला रही है। 11 जुलाई  2022 से 27  जुलाई  2022 तक चले परिवार नियोजन पखवाड़े में दो पुरुषों ने रजामंदी देते हुए नसबंदी करवाई है। दोनों पुरुष देहवा गांव से ही हैं। गीता देवी ने बताया कि अपनी आशा कार्यकर्ताओं के साथ पखवाड़े के दौरान करीब 30 से ज्यादा महिलाओं की नसबंदी करवाई। इसके अलावा लाभार्थियों ने अंतरा, पीपीआईयूसीडी व माला डी-एन के अस्थाई संसाधन का अपनाया।

ब्लॉक ककवन के ब्लॉक सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक (बीसीपीएम ) अम्ब्रीश  ने कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से सीमित परिवार के फायदे बताए जाते हैं। ग्रामीण स्तर पर खूब प्रचार प्रसार भी किया जाता है। लेकिन पखवाड़े में दो पुरूषों की नसबंदी कराकर आशा संगिनी गीता देवी ने जनपद में मिसाल कायम की है। उन्होंने बताया कि वह पूरे पंचायत में घूम-घूमकर न केवल महिलाओं बल्कि पुरुषों को भी परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करती हैं। इतना ही नहीं, मातृ-शिशु स्वास्थ्य एवं प्रसव के दौरान मौत जैसी दुखद घटनाओं को रोकने के लिए संस्थागत प्रसव के लिए भी महिलाओं को प्रेरित करती हैं।

पति की प्रेरणा से मिली हिम्मत : आशा संगिनी गीता बताती हैं कि वर्ष 2006 में आशा के रूप में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी थीं। गांव में घूमना और पुरूषों से परिवार नियोजन की बात करना उन्हें सहज नहीं लगता था। शुरूआती दिनों में पति के साथ जाकर पुरूषों से बात करती थीं। इससे उनको हिम्मत मिली। पति के सहयोग और प्रेरणा से अपनी जिम्मेदारियों को सहजता से निभा पाई हैं। उनकी खुद दो बेटियां है।