फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों के चिन्हांकन व पुनर्वास पर कार्यशाला



  • इन बच्चों के पुनर्वास पर उत्तर प्रदेश में बन रही नीति
  • आदर्श नीति के तैयार ड्राफ्ट पर राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्वैच्छिक संगठनों ने रखे सुझाव

लखनऊ - उत्तर प्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों के चिन्हांकन व उनके पुनर्वास के लिए नीति तैयार करने में जुटा है। इसी नीति को लेकर तैयार ड्राफ्ट पर विचार-विमर्श के लिए बृहस्पतिवार को राजधानी के एक होटल में कार्यशाला आयोजित हुई। यूनिसेफ ने कार्यशाला के आयोजन में सहयोग दिया। कार्यशाला में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्वैच्छिक संगठनों ने अपने सुझाव रखे।

उप निदेशक महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग ब्रजेंद सिंह निरंजन ने बताया कि फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों के चिन्हांकन व पुनर्वास संबंधी नीति को मूर्तरूप देने के लिए 23 मार्च को निदेशालय स्तर पर ड्राफ्टिंग समिति गठित हुई। इस सम्बन्ध में इस आदर्श नीति का ड्राफ्ट तैयार हो गया है। उन्होंने बताया कि बच्चों के कल्याण के लिए प्रदेश में कई योजनाएं हैं। योजनाओं का असली उद्देश्य ऐसे बच्चों को लाभान्वित करना है। समय के साथ नई चुनौतियां भी आती हैं। इसलिए कुछ योजनाओं में अभी भी संशोधन की आवश्यकता महसूस हो रही है। आज की चर्चा से मुख्य रूप से फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों के मामलो में नीति बनाने हेतु सकारात्मक सुझाव मिले हैं, विभाग जल्द ही इन्हे सम्मिलित कर नीति को अंतिम रूप देगा। उनके अनुसार उत्तर प्रदेश में विभाग द्वारा ऐसे लगभग 2500 बच्चों को चिन्हित कर उनके पुनर्वास की कार्यवाही शुरू कर दी गई है।

यूनिसेफ के बाल संरक्षण विशेषज्ञ सैयद मंसूर उमर कादरी ने इस मौके पर प्रदेश में चल रही बच्चों के कल्याण की योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि फुटपाथ पर जीवनयापन करने वाले बच्चों के संदर्भ में प्रदेश सरकार की यह पहल महत्वपूर्ण है।

विभाग में राज्य सलाहकार प्रीतेश तिवारी ने जानकारी दी कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों और एनसीपीसीआर की पहल पर समस्त राज्य सरकारें ऐसे बच्चों के लिए नीति निर्धारण कर रही है।

विभाग द्वारा अन्य संबंधित विभागों जैसे पुलिस, श्रम, शिक्षा, पंचायती राज, स्वास्थ्य सहित शहरी नगर निकाय आदि विभागों को भी ड्राफ्ट भेजकर सुझाव मांगे हैं।

कार्यशाला में विभाग के उपनिदेशक प्रभात रंजन व प्रवीण त्रिपाठी, बाल कल्याण समिति लखनऊ की सदस्य संध्या सहित यूनिसेफ, एक्शन ऐड, सेव द चिल्ड्रेन, चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई), ऑक्सफैम इंडिया, विज्ञान फाउंडेशन, चेतना, वात्सल्य, मिलान फाउंडेशन, वर्ल्ड विज़न, ह्यूमन यूनिटी मूवमेंट, एहसास, आली, प्रथम, ब्रेकथ्रू, सामाजिक कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय और वी.वी गिरि सामाजिक शोध संस्थान  के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।