अपर निदेशक ने किया “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम का शुभारम्भ



  • कहा- स्टॉप डायरिया कैम्पेन में मददगार बनेगा यह कार्यक्रम
  • पीएसआई इंडिया व केनव्यू के सहयोग से चलाया जा रहा कार्यक्रम 

मिर्जापुर, 12 नवम्बर। शून्य से पांच साल तक के बच्चों को डायरिया से सुरक्षित बनाने को लेकर जनपद में एक अनूठी जन स्वास्थ्य पहल की गयी है। इसके तहत स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल-इंडिया (पीएसआई-इंडिया) और केनव्यू के सहयोग से “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम का बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के स्वामी विवेकानंद सभागार में भव्य शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अपर निदेशक चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. ए. के. सिंह ने की। 

डॉ. सिंह ने कहा कि शून्य से पांच साल तक के बच्चों की कुल मौत का एक प्रमुख कारण डायरिया भी है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस पर नियन्त्रण के लिए स्टॉप डायरिया कैम्पेन (डायरिया रोको अभियान) चलाया जा रहा है, जिसे “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम से और बल मिलेगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सी. एल. वर्मा  ने कहा कि इसके तहत समुदाय में जागरूकता को बढ़ावा दिया जाएगा और व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि दस्त प्रबन्धन को पूरी तरह प्रभावी बनाया जा सके। आशा कार्यकर्ताओं, सेवा प्रदाताओं और देखभालकर्ताओं का क्षमतावर्धन किया जाएगा जो कि दस्त प्रबन्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा बच्चों में ओआरएस और जिंक का वितरण सुनिश्चित कराया जाएगा, डायरिया की शीघ्र पहचान करने के साथ ही मामलों के उच्च कवरेज और प्रबन्धन को बढ़ावा दिया जाएगा।

 “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताते हुए पीएसआई-इंडिया के सीनियर मैनेजर प्रोग्राम अनिल द्विवेदी ने बताया कि आशा, आंगनबाड़ी, एएनएम और महिला आरोग्य समितियों के सदस्यों को डायरिया के प्रमुख बिदुओं के बारे में प्रशिक्षित करने के साथ ही ओआरएस की महत्ता, शीघ्र स्तनपान और छह माह तक सिर्फ स्तनपान के फायदे के बारे में ट्रेनिंग दी जाएगी। हाथ धुलने की सही विधि के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। दीवार लेखन के माध्यम से जन-जन तक डायरिया से बचाव के प्रमुख सन्देश पहुंचाए जायेंगे। “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम से बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार (आईसीडीएस) और शिक्षा विभाग के साथ ही अन्य विभागों को भी जोड़ा जाएगा। निजी क्षेत्र के चिकित्सकों और अस्पतालों को भी कार्यक्रम से जोड़ा जायेगा।

इस मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आर.सी.एच.) डॉ. वी. के. चौधरी ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित ओआरएस को दस्त के इलाज के लिए गोल्ड स्टैण्डर्ड माना गया है। डायरिया की शुरुआत में ही पहचान कर ओआरएस का घोल दिया जाए तो गंभीर स्थिति तक पहुँचने से बच्चे को बचाया जा सकता है। 24 घंटे में यदि तीन बार पतली दस्त आ रही है तो यह डायरिया के लक्षण हो सकते हैं और यह लम्बे समय तक बनी रहे तो यह गंभीर डायरिया का रूप ले सकती है। निजी क्षेत्र में अब लिक्विड के रूप में निर्मित ओआरएस का घोल उपलब्ध है। उन्होंने रोटा वायरस वैक्सीन के बारे में भी जानकारी दी।

इससे पहले जिला कार्यक्रम प्रबन्धक अजय सिंह और नगरीय स्वास्थ्य केंद्र (राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन) के पंकज कुमार ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए प्रतिभागियों का परिचय कराया। उन्होंने कहा कि शिशु को जन्म के तुरंत बाद स्तनपान कराएँ और छह माह तक बच्चे को मां के दूध के अलावा कोई भी बाहरी चीज न दें। मिर्जापुर में इस पहल के शुभारंभ पर केनव्यू के सेल्फ केयर बिजनेस यूनिट हेड, प्रशांत शिंदे का कहना है कि सरकार के डायरिया रोको अभियान को मजबूती देने के उद्देश्य से 'डायरिया से डर नहीं’ की एक बहुवर्षीय पहल की गई है। इस पहल का उद्देश्य पांच साल से कम उम्र के कमजोर बच्चों को एकीकृत दस्त प्रबंधन कार्यक्रम के माध्यम से सुरक्षित बनाना है। इसमें ओआरएस के कवरेज के विस्तार पर भी पूरा ध्यान दिया जाएगा।

इस मौके पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और इंडियन एकेडमी ऑफ़ पीडियाट्रिक्स से डॉ. ए. के. श्रीवास्तव, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. ए. के. ओझा, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मुकेश कुमार, डीसीपीएम ओंकार सिंह, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग से जिला कार्यक्रम अधिकारी वाणी वर्मा, ईविन से चन्द्र शेखर मिश्रा और माया शंकर मिश्रा के साथ ही पीएसआई इंडिया से विष्णु प्रकाश मिश्रा आदि उपस्थित रहे।