- फाइलेरिया मरीज शरीर की सफाई का रखें ख्याल : डीएमओ
- प्रशिक्षकों ने बताए बचाव के तरीके
- 79 मरीजों को बांटी मार्बिडिटी मैनेजमेंट किट
कानपुर नगर - फाइलेरिया ग्रस्त मरीजों को अपने अंगों को साबुन से नियमित साफ सफाई करनी चाहिए। साथ ही चिकित्सक द्वारा बताए गए नियमित व्यायाम को करने से सूजन नहीं बढ़ती है और व्यक्ति सामान्य जीवन जी पाता है। यह बातें ब्लॉक घाटमपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सेण्टर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से आयोजित घरेलू रोग प्रबंधन के प्रशिक्षण में जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) डा. एके सिंह ने कहीं। यह प्रशिक्षण राखी , राम रहीम और सिफा रोगी सहायता समूह के 62 सदस्यों सहित 17 अन्य रोगियों को दिया गया। प्रशिक्षण में संयुक्त निदेशक डॉ वीपी सिंह भी आनलाईन जुड़े |
संचारी रोगों के नोडल अधिकारी डॉ ओपी गौतम ने कहा कि फाइलेरिया को हाथी पांव भी कहा जाता है। यह क्यूलेक्स मच्छर काटने से होता है। यह मनुष्य के रक्त में रात में एक्टिव होता है। इस कारण स्वास्थ्य टीम रात में ही पीड़ित का ब्लड सैंपल लेती हैं। यह रोग जिसे भी हो जाता है, उसका जीवन बेहद कष्टप्रद हो जाता है। स्वास्थ्य विभाग ने इसी के मद्देनजर इलाज के इंतजाम किए है। यह रोग हो जाने के बाद उसे समाप्त तो नहीं किया जा सकता है लेकिन रोग को कम करने में मदद की जा सकती है। उन्होंने फाइलेरिया के लगभग 79 मरीजों को मार्बिडिटी मैनेजमेंट किट प्रदान करते हुए कहा कि घर पर रहकर ही मरीज खुद अपनी देखभाल कर सकता है।
डॉ गौतम ने बताया की फाइलेरिया रोगियों को किट में एक एंटीफंगल क्रीम, एक मेडिकेटेड साबुन, एक सफेद टावेल व एक-एक बाल्टी व मग दिया गया है । उन्होंने बताया कि लाइनलिस्ट के आधार पर जनपद में लिम्फोटीमा के 2375 मरीज चिन्हित हैं। इनमें 70 प्रतिशत मरीजों को मार्बिडिटी मैनेजमेंट प्रशिक्षण दिया जा चुका है। हर साल एमडीए कार्यक्रम के तहत टीमें घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया की खुराक खिलाती हैं। लगातार पांच साल तक इसका सेवन करने वालों को फाइलेरिया बीमारी नहीं होती है। यह बीमारी होने पर मरीज सीएमओ कार्यालय में स्थित यूनिट में आकर अपना इलाज ले सकते हैं।
पाथ संस्था के क्षेत्रीय नोडल अधिकारी डा. मानस शर्मा ने बताया कि किसी रोगी को यदि फाइलेरिया हो जाता है तो उसे समुचित उपचार करना होता है। सबसे पहले 12 दिन का डाक्टरों द्वारा बताया गया कोर्स पूरा करें। इसके बाद जहां भी फाइलेरिया रोग सबसे ज्यादा है, उस स्थान की नियमित सफाई करें। साथ ही डाक्टरों द्वारा बताई गई व्यायाम को भी करें। जो भी दवा दी जा रही है, उसका भी समय से सेवन करें। इसमें किसीतरह की लापरवाही न बरतें।
इस मौके पर जिला पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ राधेशयाम, पाथ संस्था के डा. मानस, बीसीपीएम सीमा सिंह और सेण्टर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था से डॉ एसके सिंह , शुभ्रा त्रिवेदी, प्रसून आदि उपस्थित रहे।
ऐसे करें बचाव
• रात को सोते वक्त मच्छरदानी प्रयोग करें।
• पूरी बाजू के कपड़े पहने।
• आस-पास गंदगी या कूड़ा जमा न होने दें।
• नालियों में पानी रुकने न दें।
• रोगी को दवा खाली पेट नहीं लेनी चाहिए।