बाराबंकी - बच्चों के बदलते व्यवहार की अनदेखी न करें। शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के बावजूद गुस्सा, जिद, उदासी, एकाकीपन की पसंद जैसे लक्षण दिखें तो गंभीरता से लें। पहले स्वयं उन्हें समझाने की कोशिश करें अगर नहीं समझते हैं तो काउंसलिग कराएं। इस पर भी सुधार न होने पर मनोचिकित्सक की सलाह लें। ऐसा ज्यादा देर तक मोबाइल देखने और परिवार में आपसी संवाद की कमी के चलते भी हो सकता है। बच्चों की उदासी को दूर करने और मुस्कान को बचाने का भरसक प्रयास कीजिए। क्योंकि भागदौड़ भरी जिदगी में उनके चेहरे की मुस्कान आपकी थकान को दूर करने का काम करती है। इसीलिए काउंसलर और चिकित्सक बच्चों की गतिविधियों की निगरानी करने और पारिवारिक माहौल सुधारने की सलाह दे रहे हैं।
दिनचर्या में शामिल करें आउटडोर गेम: बाल रोग चिकित्सक डा आलोक वर्मा बताते हैं कि अब लोग 'हम दो-हमारे एक' के तहत बच्चों प्लानिग कर रहे हैं। साथ ही पति-पत्नी दोनों नौकरी करना पसंद है। संयुक्त परिवार न होने के कारण बच्चों को पालने की जिम्मेदारी दूसरों पर होती है। ऐसी स्थिति में बच्चों का माता-पिता से भावनात्मक रिश्ता कमजोर हो रहा है। दंपति सिर्फ आर्थिक संसाधनों से परिवार की खुशियां तलाश रहे हैं, बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं। बाहर खेलने के बजाय मोबाइल पर ही खेल भी खेलते हैं। इस कारण बच्चे में अकेले रहने और मोबाइल आदि के सहारे दिन काटने की आदत हो जाती है। उनमें गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ता है। अपनी जिद पूरी कराने के लिए वह गलत कदम उठाने से भी नहीं हिचकते हैं। इसलिए जरूरी है कि आउट डोर गेम को बच्चों की दिनचर्या में शामिल किया जाए और उन्हें अभिभावक उन्हें समय देकर भावानात्मक रिश्ते को प्रगाढ़ करें।
डांटिए नहीं, समझाइए सुधर जाएंगे बच्चे : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सूरतगंज पर राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम की काउंसलर अर्चना मिश्रा ने बताया कि बच्चों के स्वभाव व व्यवहार में आ रहे बदलाव का कारण जानने की कोशिश करनी चाहिए। उनकी उदासी, चिड़चिड़ापन, गुस्सा और अकेले रहने व वस्तु विशेष को पानेकी जिद करने पर गंभीरता से सोचना चाहिए। वजह स्पष्ट होने पर उन्हें डांटने के बजाय शांतिपूर्वक समझाएं। आपस में झगड़ा, मारपीट न करें। इसका बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। गैर जरूरी वस्तु की जिद करें तो उन्हें समझाकर दूसरी वस्तु को दिलाकर शांत करें। मोबाइल का घर पर स्वयं कम प्रयोग करें और बच्चों को भी ऐसा न करने के लिए प्रेरित करें।