हृदय के जटिल ऑपरेशन के बाद दो साल की तृषा को मिला नया जीवन



  • आरबीएसके टीम के प्रयास से 5 लाख रुपए का जटिल ऑपरेशन हुआ निःशुल्‍क
  • दिल्‍ली स्थि‍त प्रतिष्ठित  अस्‍पताल के डॉ नीरज अवस्‍थी की टीम ने किया ऑपरेशन

संतकबीरनगर - खलीलाबाद शहर के मड़या मोहल्ले की हृदय रोग से ग्रसित दो वर्षीया तृषा का जिले की राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम ( आरबीएसके ) की टीम ने दिल्‍ली के प्रतिष्ठित  अस्‍पताल से हृदय रोग का जटिल ऑपरेशन करवाया है। तकरीबन 5 लाख रुपए की खर्च से होने वाला यह जटिल ऑपरेशन पूरी तरह से निःशुल्‍क हुआ है। दिल्‍ली के प्रतिष्ठित अस्‍पताल के पिडियाट्रिक कार्डियोला‍जी के चिकित्सक डॉ नीरज अवस्‍थी की टीम ने यह ऑपरेशन किया। तृषा अब पूरी तरह से स्‍वस्‍थ्‍य है।

तृषा के पिता दीपचन्‍द बताते हैं कि उनकी बेटी तृषा 21 महीने की हो चुकी थी और वह असामान्‍य तरीके से सांस लेती थी। उनके मोहल्‍ले की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मेनका ने जुलाई में उन्‍हें बताया कि आरबीएसके की टीम मोहल्‍ले में बच्‍चों की जांच के लिए आएगी। जांच टीम के आने के बाद वह अपनी बच्‍ची को जांच के लिए लेकर गए तो वहां पर डॉ अहमद मतीन तथा डॉ रचना यादव ने तृषा की जांच की। जांचोपरान्‍त उन्‍होने पाया कि वह गंभीर हृदय रोग से ग्रसित है। टीम ने उन्‍हें 3 अगस्‍त 2022 को गोरखपुर में ले जाकर दिल्‍ली से आए डॉ नीरज अवस्‍थी से जांच कराई। जांच के बाद डॉ अवस्‍थी ने उन्‍हें ऑपरेशन के लिए दिल्‍ली स्थित प्रतिष्ठित अस्‍पताल में बुलाया। वह अपनी बेटी को लेकर दिल्‍ली गए। वहां पर 11 अगस्‍त को उनकी बेटी का ऑपरेशन किया गया। 19 अगस्‍त को उसे हॉस्पिटल से डिस्‍चार्ज कर दिया गया। 19 से लेकर 25 अगस्‍त तक उसकी कई जांच की गयी।  25 अगस्‍त को अन्तिम जांच के बाद चिकित्‍सक ने उन्‍हें वापस भेज दिया। आज उनकी बच्‍ची पूरी तरह से स्‍वस्‍थ है। अब वह आम बच्‍चों की तरह बैठ रही है और उनके साथ खेल भी रही है। उसे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है।

दीपचन्‍द बताते हैं कि पहली बार दिल्‍ली जाने में परेशानी तो हुई लेकिन बच्‍ची का जीवन बचाने के लिए अकेले उसे लेकर गया। बच्‍ची भी उनके साथ अकेले ही दिल्‍ली चली गयी । वह आम बच्‍चों से अलग है। एक महीने बाद फिर 25 सितम्‍बर को चेकअप के लिए बुलाया गया है।

तृषा के हृदय में थी चार तरह की परेशानियां : स्‍थानीय स्‍तर पर तृषा की जांच करने वाली आरबीएसके टीम खलीलाबाद  के चिकित्‍सक  डॉ अहमद मतीन बताते हैं कि तृषा को जन्‍मजात हृदय रोग था। जांच के बाद डॉ अवस्‍थी ने बताया कि उसके दिल में छेद था, संक्रमण भी था, हृदय की नली टेढ़ी थी और वाल्‍व मोटा हो गया था। इन जटिलताओं के चलते उसे सांस लेने में दिक्‍कत हो रही थी।

साल में दो बार आती है टीम : आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मेनका बताती हैं कि साल में दो बार सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र खलीलाबाद से आंगनबाड़ी केन्‍द्र पर बच्‍चों की जांच के लिए टीम आती है। बच्‍चों की स्क्रीनिंग के बाद उनके जन्‍मजात रोगों की जांच कराई जाती हैं तथा जिन बच्‍चों को इलाज के लिए बाहर भेजना होता है उसे टीम के लोग ही भेजते हैं। इसके बाद उनका इलाज चलता है।

1741 बच्‍चे जन्‍मजात रोगी मिले : राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एसीएमओ डॉ मोहन झा बताते हैं कि आरबीएसके टीम ने अप्रैल 2021 से अब तक 36211 बच्‍चों की स्‍क्रीनिंग की है। इनमें से 1741 बच्‍चे जन्‍मजात रोगों से युक्‍त पाए गए। इनमें 67 हृदय रोग से ग्रस्‍त बच्‍चे हैं। इन बच्‍चों को उपयुक्‍त स्‍वास्‍थ्‍य इकाइयों तक ले जाकर उनका इलाज कराया गया। दिल्‍ली के प्रतिष्ठित अस्‍पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ नीरज अवस्‍थी से इसी क्रम में सम्‍पर्क हुआ तो उन्‍होने बताया कि वह प्रतिवर्ष  18 हृदय रोगी बच्‍चों का अपने हॉस्पिटल में ऑपरेशन निःशुल्‍क करा सकते हैं। जिन बच्‍चों का लखनऊ में इलाज नहीं होता है उनको दिल्‍ली भेज रहे हैं।