फाइलेरिया मुक्त जिला बनाने में सहायता समूह के सदस्यों की भूमिका सशक्त



  • फाइलेरिया पीड़ितों को चिन्हित करने के लिए हो रहा नाईट ब्लड सर्वे
  • रोगी सहायता समूह के सदस्य दे रहे पूरा सहयोग

कानपुर - जनपद में लोगों को फाइलेरिया रोग से बचाव तथा संक्रमण का पता लगाने के साथ ही मूल्यांकन के उद्देश्य से 26 अगस्त से ‘नाइट ब्लड सर्वे’ अभियान शुरू हो किया गया है। यह अभियान 20 सितंबर तक चलेगा। जनपद के ब्लॉक घाटमपुर और ब्लॉक कल्याणपुर में बने फाईलेरिया रोगी सहायता समूह के सदस्यों का नाईट ब्लड सर्वे में पूरा सहयोग मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ सेण्टर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था द्वारा बनाये गए समूह के सदस्य भी सक्रिय हैं। उन्होंने कहा की फाईलेरिया के प्रति लोगों  जागरूकता लाने के लिये रोगी सहायता समूह के सदस्य सशक्त भूमिका निभा रहें हैं।

जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) एके सिंह ने बताया की फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है, बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। फाइलेरिया मच्छर के काटने से फैलता है इसलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए। इसके लिए घर के आसपास व भीतर साफ सफाई रखें। पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें। उन्होंने बताया की ग्रामीण क्षेत्र के सभी केंद्रों को 6000 ब्लड स्लाइड बनाने का लक्ष्य दिया गया है। जिसमें लगभग 4000 से अधिक का लक्ष्य पूरा हो चूका है। शहरी क्षेत्र में भी ब्लड स्लाइड बनाने में कार्य जारी है।

डीएमओ ने बताया की रात्रि रक्त पट्टिका एकीकरण (नाइट ब्लड सर्वे) के लिए 21 टीम रात आठ बजे से लोगों के रक्त का सैंपल लेकर स्लाइड बनाने का कार्य कर रही है। उन्होने बताया कि फाइलेरिया के माइक्रोफाइलेरी अपने नेचर के मुताबिक रात्रि के समय रक्त में सक्रिय हो जाते हैं, इसी के आधार पर लक्षण को आसानी से पहचाना जा सकता है। इसलिए रात में ही ब्लड सैंपल लिया जाता है और उसकी स्लाइड बनाकर जाँच के लिये लैब में भेजा जाता है।

लक्षण : फाइलेरिया के सामान्यतः कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं। बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द और सूजन की समस्या दिखाई देती है। पैरों और हाथों में सूजन, हाथीपांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों का सूजन), महिलाओं के स्तन में सूजन के रूप में भी यह समस्या सामने आती है।

उपचार व सहयोग : जांच में पाजिटिव आने के बाद मरीजों का चिकित्सा का खर्च स्वास्थ्य विभाग वहन करता है। चिन्हित मरीजों को दवा खिलाई जाती है और हाइड्रोसील के मरीजों का निःशुल्क इलाज किया जाता है। इलाज की निःशुल्क सुविधा जनपद के समस्त ग्रामीण स्तरीय पीएचसी एवं फाइलेरिया नियंत्रण इकाई में मौजूद है। मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम के तहत साल में एक बार अभियान चलाकर लक्षित समस्त आबादी को निःशुल्क दवा खिलाई जाती है।