परिवार नियोजन कार्यक्रम में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने पर मंथन



  • सचिव योजना आलोक कुमार ने कहा- युवाओं की भागीदारी बहुत जरूरी  
  • ममता एचआईएमसी ने आयोजित की कार्यशाला     

लखनऊ - विश्व गर्भनिरोधक दिवस के उपलक्ष्य में स्वयंसेवी संस्था ममता एचआईएमसी ने गुरुवार को परिवार नियोजन कार्यक्रम में युवाओं की भागीदारी को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला के मुख्य अतिथि सचिव योजना एवं वन ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के नोडल अधिकारी आलोक कुमार ने परिवार नियोजन कार्यक्रम में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया।

इस मौके पर आलोक कुमार ने कहा – उत्तर प्रदेश ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ी प्रगति हासिल की है और इन उपलब्धियों को बनाए रखने के लिए युवाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए विभिन्न विभागों के बीच एक बहुक्षेत्रीय समन्वय होना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि हम साझा दृष्टिकोण, संयुक्त जवाबदेही और पर्यवेक्षण के ज़रिये विभिन्न विभागों के सम्मिलित प्रयासों को सफल बनाने की कोशिश करेंगे। श्री आलोक कुमार ने कहा - मैं यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धता दोहराता हूं कि राज्य के प्रत्येक युवा को सार्थक आर्थिक अवसर प्राप्त हो। वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था युवाओं को सूचना, ज्ञान और कौशल प्रदान करेगी ताकि वह राज्य के समग्र विकास में सार्थक योगदान दे सकें।

महानिदेशक, परिवार कल्याण निदेशालय, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं डॉ रेणु श्रीवास्तव वर्मा ने कहा - विश्व गर्भनिरोधक दिवस (26 सितम्बर) हमें यह याद दिलाने के लिए एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय दिवस है कि परिवार नियोजन सेवाओं पर युवाओं को और अधिक जागरूक करने की ज़रूरत है जिससे वह परिवार नियोजन से जुड़े निर्णय पूरी जानकारी के साथ ले सकें। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण – 5  के आंकड़े बताते हैं कि हमने एक महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है और अब चुनौती यह है कि इस प्रगति को कैसे बनाए रखा जाए। यह तभी संभव है जब हमारे कार्यक्रमों को युवाओं के साथ मिलकर और युवाओं के लिए बनाया जाए।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश की परिवार नियोजन कार्यक्रम की महाप्रबन्धक डॉ. रिंकू श्रीवास्तव ने कहा- राज्य ने युवा और दो या उससे कम बच्चों वाले जोड़ों पर ध्यान केंद्रित करते हुए खुशहाल परिवार दिवस, अंतराल दिवस जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं। नई पहल किट को ‘शगुन किट’ का नाम देकर नवविवाहित जोड़ों को वितरित किया जा रहा है। ‘मिस्टर स्मार्ट सम्मेलन’ और  'सास बेटा बहू सम्मेलन' के ज़रिये परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -5 के आंकड़ों से यह साफ़ है कि हमारे प्रयासों के सकारात्मक परिणाम मिले हैं।

इस मौके पर बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. देवेन्द्र खंडैत ने कहा – यूपी ने अपनी स्वास्थ्य सेवाओं, विशेष रूप से परिवार नियोजन सेवाओं को युवाओं के अनुकूल और युवा केंद्रित बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किया है। नए-नए प्रयास करके ही  युवाओं की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। इसके साथ ही समुदाय में परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता लाने की जरूरत है क्योंकि नवविवाहित जोड़ों के ऊपर परिवार के ही बड़े बुजुर्गों का दबाव परिवार बढ़ाने को लेकर होता है, जिसमें बदलाव लाने की बड़ी जरूरत है।

इस अवसर पर ममता एचआईएमसी के अधिशाषी निदेशक (ईडी) डॉ. सुनील मेहरा ने कहा - राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) के आंकड़े बताते हैं कि पिछले सर्वेक्षण-4 (एनएफएचएस-4) के मुक़ाबले परिवार नियोजन के सूचकांकों में  उत्तर प्रदेश ने उल्लेखनीय प्रगति की है। गर्भनिरोधक उपयोग की बात करें तो 15 से 24 वर्ष आयु के युवा वर्ग में आधुनिक गर्भनिरोधक विधियों के उपयोग में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके साथ ही उसी आयु वर्ग में परिवार नियोजन की टोटल अनमेट नीड्स में लगभग 7% की कमी आई है। इन उपलब्धियों को बनाए रखने के लिए यह ज़रूरी है कि विभिन्न विभाग मिलकर युवा तथा दो या उससे कम बच्चों वाले जोड़ों के लिए परिवार नियोजन की  रणनीति तैयार करें।

संयुक्त निदेशक, पंचायती राज प्रवीना चौधरी ने कहा-हमारा विभाग पंचायती राज संस्थाओं और युवाओं के बीच तालमेल स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। युवाओं के समग्र विकास से ही सामाजिक व आर्थिक परिवर्तन तथा सुशासन की गति तेज़ होती है।

कार्यशाला में मुख्य चिकित्सा अधिकारियों समेत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और प्रदेश भर में स्वास्थ्य के मुद्दे पर काम कर रहीं विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भाग लिया। इस दौरान विभिन्न विभागों जैसे- स्वास्थ्य, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, पंचायती राज द्वारा मिलकर परिवार नियोजन की दिशा में सतत परिवर्तन लाने के प्रयास और युवाओं के परिवार नियोजन तथा यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के उचित समाधान दिलाने पर बल दिया गया। कार्यशाला के दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र पवन कुमार, छात्रा स्निग्धा शर्मा और रूपसी कुमारी ने परिवार नियोजन व यौन शिक्षा को लेकर किशोर-किशोरियों और युवाओं की सोच व समझ के बारे में चर्चा की। कार्यशाला में डॉ. एन सी प्रजापति- एडीजी चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा विभाग, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन से मेधा गाँधी व अभिजीत पाठक, प्रदीप कुमार-संयुक्त मिशन निदेशक, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन शामिल रहे।

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के एसपीओ डॉ. विकास यादव ने आज की कार्यशाला की उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला और अतिथियों व प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद व आभार ज्ञापित किया ।