मातृ-शिशु स्वास्थ्य के लिए मिसाल बनीं डॉ शशि



  • मरीजों को नहीं करती हैं रेफर, जिला अस्‍पताल में ही करती हैं इलाज
  • ओपीडी में हों या लेबर रुम में, हर जगह लगी रहती है मरीजों की भीड़

संतकबीरनगर - चाहे जिला अस्‍पताल की ओपी‍डी हो या लेबर रुम में आकस्मिक ड्यूटी। हर जगह वह जच्‍चा बच्‍चा को सुरक्षित रखने की दिशा में बेहतर काम करती रहती हैं। मरीजों के अन्‍दर उनके मृदु व्‍यवहार व इलाज का ऐसा असर है कि उनकी ओपीडी में हमेशा भीड़ लगी रहती है। मरीजों को रेफर करना उनकी आदत नहीं है। हर महीने वह तकरीबन 2000 मरीजों को स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं प्रदान करती हैं।  

हम बात कर रहे हैं जिला अस्‍पताल की स्‍त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ शशि सिंह की, जिन्‍होने मातृ शिशु स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्र में एक बेहतर मुकाम हासिल किया है। लखनऊ मेडिकल कॉलेज से पास आउट होने के बाद उनकी तैनाती जिले में 2016 में सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र सांथा में हुई थी। उनके बेहतर कार्यों को देखते हुए तत्‍कालीन मुख्‍य चिकित्‍सा अधीक्षक डॉ पंकज  टंडन ने उन्‍हें जिला चिकित्‍सालय से अटैच करा दिया। वर्ष 2020 में उन्‍हें जिला चिकित्‍सालय की महिला विंग में ही तैनाती दे दी गयी। यहां पर तैनाती के दौरान कोरोना काल में भी उन्‍होंने नियमित तौर पर ओपीडी के साथ सिजेरियन प्रसव की व्‍यवस्‍था को बनाए रखा। वर्ष 2020 में उन्‍होने कोविड के दौरान ओपीडी में 1400 से अधिक मरीजों को देखा। वहीं 2021 में 2500 से अधिक मरीजों को देखा। वर्तमान में वह प्रतिदिन औसतन 80 से 120 मरीजों को देखती हैं। वह हर महीने 25 से 40 सिजेरियन प्रसव भी करती हैं। अगर कोई महिला गंभीर रुप से एनीमिक ( रक्‍त अल्‍पता ) की शिकार है और उसका प्रसव कराना है तो भी वह उसका प्रसव जिला अस्‍पताल पर ही कराती हैं। प्रसव के दौरान वह परिजनों से खून की व्‍यवस्‍था के लिए भी कहती हैं। प्रसव के बाद वह उसे खून चढ़ाती हैं।

डॉ शशि कहती हैं कि अगर कोई मरीज उनके पास आया है और वह उसे बेवजह हायर सेंटर को रेफर करेंगी तो उसके प्रसव में जितनी भी देरी होगी वह उसके लिए उतनी ही घातक होगी। जिला अस्‍पताल के मुख्‍य चिकित्‍सा अधीक्षक डॉ ओपी चतुर्वेदी बताते हैं कि डॉ शशि एक कर्तव्‍यनिष्‍ठ स्‍त्री रोग विशेषज्ञ हैं। अपने कार्यों की बदौलत मरीजों के बीच लोकप्रिय भी हैं। उनके पास कभी कोई मरीज डॉ शशि की शिकायत लेकर नहीं आया।  

डॉ शशि के पास जाकर मिली संतुष्टि  : महुली कस्‍बे की निवासी 28 वर्षीय अरुंधति दूबे को इसी माह में आपरेशन से बच्‍चा पैदा हुआ। वह बताती हैं कि महुली उपकेन्‍द्र की एएनएम की सलाह पर वह डॉ शशि के पास आई थीं। उन्‍होने उनसे मधुर व्‍यवहार किया तथा ऑपरेशन में उनका हाथ इतना सधा था कि इससे पहले हुए एक अन्‍य ऑपरेशन की तुलना में आधे दिन में ही घाव भर गया। वह सलाह भी देती हैं तो इस प्रकार से देती हैं जैसे कि कोई अपना सलाह दे रहा हो। वह एक बेहतर चिकित्‍सक हैं।

कोविड में बेहतर कार्य के लिए हो चुकी हैं सम्‍मानित : कोविड काल के दौरान मातृत्‍व सुरक्षा के लिए बेहतर कार्य करने पर तत्‍कालीन जिलाधिकारी दिव्‍या मित्‍तल ने डॉ शशि सिंह को सम्‍मानित किया था। सम्‍मानित होने वाले चिकित्‍सकों की सूची में उनका नाम दिव्‍या मित्‍तल की पहल पर ही डाला गया था। कारण यह था कि उन्होंने उनके कार्यों को कोविड काल के दौरान खुद देखा था और उनकी तारीफ भी की थी।

एक ही रात में कराए 9 सिजेरियन प्रसव : एनेस्‍थी‍सिया के चिकित्‍सक डॉ संतोष तिवारी बताते हैं कि गत 22 सितम्‍बर 2022 की रात में डॉ शशि सिंह की इमरजेंसी ड्यूटी थी। इस दौरान उन्‍होंने एक रात की 8 घण्‍टे की शिफ्ट में कुल 9 सिजेरियन प्रसव कराए। इतने सीजर के बाद भी उनके चेहरे पर थकान के कोई निशान नहीं दिखे। सभी बच्‍चे स्‍वस्‍थ हैं। डॉ संतोष बताते हैं कि इससे पहले एक शिफ्ट में 8 सिजेरियन प्रसव भी डॉ शशि ने ही कराए थे। वह अपना रिकॉर्ड खुद बनाती हैं तथा खुद तोड़ती हैं।

एक साथ तीन स्‍वस्‍थ बच्‍चों का कराया प्रसव : विगत सितम्‍बर 2020 के दौरान कोविड काल में डॉ शशि ने खलीलाबाद ब्‍लॉक के ग्रामसभा तेनुहारी दोयम निवासी 28 वर्षीया महिला का प्रसव कराया था। उनके गर्भ में 3 बच्‍चे थे। सिजेरियन प्रसव के दौरान तीनों बच्‍चे पूरी तरह से स्‍वस्‍थ रहे। सभी का वजन 2 किलो से उपर था।