- उत्तर प्रदेश में नवाचार के लिए पॉयलट प्रोजेक्ट के तौर पर चनयित किया गया पाली ब्लॉक
- यूपीटीएसयू की राज्य स्तरीय टीम ने दिया प्रशिक्षण
गोरखपुर - प्रसव पश्चात परिवार नियोजन सेवाओं की स्वीकार्यता की स्थिति का अध्ययन करने के लिए जिले के पाली ब्लॉक में पॉयलट प्रोजेक्ट चलेगा । इस अध्ययन के आधार पर सेवाओं की स्वीकार्यता बढ़ाने की योजना बनाई जाएगी । पूरे प्रदेश में इस नवाचार के लिए जिले के पाली ब्लॉक को ही चयनित किया गया है । अध्ययन में भागीदारी के लिए संबंधित स्वास्थ्यकर्मियों को उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) की राज्य स्तरीय टीम की मदद से प्रशिक्षण भी दिया गया है ।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएच डॉ नंद कुमार ने बताया कि इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे के दिशा-निर्देशन में कार्य शुरू हो गया है। अध्ययन एक वर्ष के भीतर प्रसव करवाने वाली महिलाओं पर किया जाएगा । ब्लॉक के एक सब सेंटर पर खास फोकस रहेगा। अध्ययन करीब 1500 उन महिलाओं पर होगा जिन्होंने सरकारी अस्पताल से प्रसव करवाया है । यूपीटीएसयू की उप निदेशक क्वालिटी (परिवार नियोजन) डॉ वृंदा ने ब्लॉक को प्रशिक्षित किया है जिसमें जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ विशेष सहयोग दे रहे हैं ।
डॉ नंद कुमार ने बताया कि यह प्रामाणित तथ्य है कि परिवार नियोजन साधनों के द्वारा दो बच्चों के मध्य अंतराल रख कर मातृ मृत्यु दर को 30 फीसदी तक कम किया जा सकता है । इसके लिए आवश्यक है कि जब महिला प्रसव के पश्चात घर जाए तो किसी न किसी परिवार नियोजन के साधन को दंपति द्वारा स्वीकार किया जाए। यदि कोई महिला बिना किसी परिवार नियोजन के साधन के प्रसव पश्चात घर जा रही है तो उसके पुनः गर्भवती होने की आशंका प्रबल होती है। ऐसे में अवांछित गर्भपात होता है जो महिला की सेहत के लिए उपयुक्त नहीं है। प्रसव पश्चात परिवार नियोजन के साधनों के इस्तेमाल के मामले में फॉलो अप के लिए कोई व्यवस्थित व प्रामाणिक प्रक्रिया बनाना ही इस अध्ययन का उद्देश्य है। अध्ययन के जरिये पता किया जाएगा कि किस प्रकार स्टॉफ नर्स, परामर्शदाता, एएनएम, आशा संगिनी और आशा कार्यकर्ता के सहयोग एवं फॉलो अप से परिवार नियोजन के साधनों और उनकी स्वीकार्यता को लंबे समय तक बढ़ाया जा सकता है ।
पहले भी हो चुका है प्रयोग : डॉ नंद कुमार ने बताया कि गोरखपुर जिला ऐसा पहला जनपद है जहां यूपीटीएसयू के सहयोग से सभी ब्लॉक पर परिवार नियोजन परामर्श केंद्र क्रियाशील हैं । जिले में एएनएम को प्रशिक्षण देकर काउंसलर बनाने का प्रयोग सफल रहा है। परिवार नियोजन के साधनों के प्रति लोगों को ढेर सारी जानकारी मिलने लगी है । पाली ब्लॉक का प्रयोग भी कार्यक्रमों को मजबूत बनाने में मील का पत्थर साबित होगा ।