- डेंगू, इंसेफेलाइटिस, स्वाइन फ्लू और कोविड के संक्रमण को देखते हुए बुखार को हल्के में न लें
- सरकारी अस्पताल में है बीमारियों के निःशुल्क इलाज के इंतजाम
- जिले में सात से 21 अक्टूबर तक चल रहा है दस्तक पखवाड़ा
गोरखपुर - डेंगू, इंसेफेलाइटिस, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू और कोविड जैसी संक्रामक बीमारियों के सामान्य लक्षणों में बुखार भी शामिल है । इसलिए अगर किसी भी प्रकार का बुखार हो तो हल्के में न लें । आशा कार्यकर्ता को बताएं और नजदीकी अस्पताल पहुंचे । अस्पताल पहुंचने के लिए 108 नंबर की निःशुल्क एंबुलेंस सेवा का भी इस्तेमाल करें । सरकारी अस्पताल में बीमारियों के निःशुल्क इलाज के इंतजाम हैं । यह संदेश सात अक्टूबर से शुरू होकर 21 अक्टूबर तक चलने वाले दस्तक पखवाड़े के दौरान आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर पहुंचा रही हैं ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि दस्तक पखवाड़ा विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह का एक घटक है जिसके तहत आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की प्रमुख भूमिका होती है । इस पखवाड़े के दौरान गृह भ्रमण के दौरान आशा और आंगनबाड़ी की टीम विभिन्न रोगों के नियंत्रण और उपचार की जानकारी देने के साथ-साथ व्यवहार परिवर्तन की गतिविधियां संचालित कर रही हैं । लक्षणयुक्त व्यक्तियों को सूचीबद्ध करना है और कुपोषित बच्चों का भी चिन्हांकन करना है। पखवाड़े के दौरान वीएचएसएनडी समिति की बैठक, क्लोरिनेशन डेमो बैठक, संचारी रोग व एईएस समूह की बैठकें, छाया वीएचएनडी की बैठक, स्वयं सहायता समूह और मातृ समिति की बैठकें भी कराई जाती हैं ।
डॉ दूबे ने बताया कि अभियान का मुख्य मकसद इंसेफेलाइटिस और मच्छरजनित रोगों पर नियंत्रण करना है । बुखार के रोगियों की सूची, कुपोषित बच्चों की सूची, कोविड के संभावित रोगियों की लाइन लिस्टिंग और क्षय रोग के लक्षण वाले व्यक्तियों की सूची बना कर उन्हें चिकित्सकीय मदद भी पखवाड़े के दौरान दिलवाना है। दस्त के रोगियों को जिंक और ओआरएस भी उपलब्ध कराया जाता है । मच्छरों के सर्वाधिक प्रजनन स्रोत वाले क्षेत्रों की सूची भी उपलब्ध करवानी है। साथ ही 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे वाले घरों पर स्टीकर भी लगाया जा रहा है ।
पूजा की समझदारी से संवर गई श्रेया की जिंदगी : लालडिग्गी इलाके की पूजा (30) के पति ठेला चलाते हैं । उनकी तीसरी बेटी श्रेया जब 11 माह की थी तो उसे तेज बुखार हुआ। वह बताती हैं कि आशा कार्यकर्ता जीता देवी ने उन्हें बताया था कि बुखार का इलाज नजदीकी बसंतपुर शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर संभव है । आशा की मदद से बच्ची को पीएचसी ले गयीं तो इलाज के दौरान झटके आने लगे। चिकित्सक डॉ पल्लवी श्रीवास्तव ने इंसेफेलाइटिस की आशंका जताते हुए जिला अस्पताल रेफर कर दिया। पूजा बताती हैं कि जिला अस्पताल में हफ्ते भर उनकी बच्ची का इलाज चला और वह पूरी तरह से ठीक हो गयी। आशा जीता देवी बताती हैं कि अगर अस्पताल ले जाने में देरी होती तो बुखार की जटिलताएं बढ़ सकती थीं। अब श्रेया सामान्य जीवन जी रही हैं ।
आशा आंगनबाड़ी से इनके बारे में लें जानकारी
• वातावरणीय स्वच्छता
• व्यक्तिगत स्वच्छता
• शौचालय के प्रयोग और खुले में शौच न करना
• हाथ धोने का महत्व और सही तरीका
• उथले और असुरक्षित जल स्रोत का उपयोग न करना। स्वच्छ पेयजल का इस्तेमाल।
• कुपोषण के कारण और बचाव के उपाय की जानकारी देना
• मच्छरों से बचाव के उपाय
• निकटवर्ती सरकारी अस्पताल की जानकारी और अप्रशिक्षित चिकित्सक से इलाज न कराने की सलाह
• चूहा और छछूंदर पर नियंत्रण के उपाय
• क्षय रोग के लक्षण और बचाव
• बुखार होने पर अस्पताल जाने का संदेश