लखनऊ - राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत श्री गुरु नानक गर्ल्स डिग्री कॉलेज में राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत सिफ्सा द्वारा संयोजित युवा परामर्श केंद्र मेंमंगलवार को मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया |
इस मौके पर बलरामपुर अस्पताल के मानसिक स्वास्थ विभाग के विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ देवाशीष शुक्ला ने कहा कि आज के प्रतिस्पर्धा और भौतिकवादी युग में चिंता, उलझन गंभीर समस्या बनती जा रही है | विद्यार्थियों में अच्छे नंबर लाने का दबाव, दूसरों से आगे निकलने की होड़, करियर का चुनाव करने आदि को लेकर स्कूल में, परिवार में और समाज का दबाव होता है | इस कारण से उनमें चिंता, पैनिक अटैक, उलझन जैसी समस्याएं होती हैं | ऐसे में शिक्षकों और अभिभावकों को समझदारी से काम लेना चाहिए | बच्चों पर बेवजह का दबाव न बनाएं, अपनी इच्छाओं को उन पर न थोपें, बच्चों की बातों को सुने, उनकी रुचि को भी जाने और रुचि के अनुसार ही करियर चुनने के लिए प्रोत्साहित करें | बच्चों की क्षमता को पहचाने |
डा. देवाशीष ने कहा कि बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद और अपनी पसंद की गतिविधियों के लिए भी समय निकालना चाहिए | टीवी, मोबाइल और लैपटॉप पर समय व्यर्थ न करें | इनके अत्यधिक उपयोग से भी मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है |
बलरामपुर अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ अभय सिंह ने आत्महत्या के विचार आना, एक ही कार्य को बार-बार करना जैसी परेशानियों से निजात पाने के लिए छात्राओं का ज्ञान वर्धन किया गया तथा नकारात्मक विचारों को अपने मस्तिष्क में न आने पाए - इसके बारे में बताया |
इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता रवि द्विवेदी ने बताया कि कार्यदिवसों पर सोमवार से शनिवार के बीच बलरामपुर अस्पताल के कमरा नंबर 110 और 112 में आकर मनोचिकित्सक से परामर्श एवं उपचार प्राप्त कर किया जा सकता है | किसी भी तरह की मानसिक समस्या यदि निरंतर 15 दिन तक बनी रहती है तो मनोचिकित्सक से हर हाल में संपर्क करना ही है ताकि हम अपने जीवन को अव्यवस्थित होने से बचा सकें | इस अवसर पर क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट गरिमा सिंह, महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ सुरभि गर्ग, शिक्षक एवं बड़ी संख्या में छात्राएं मौजूद रहीं |